Alert message से पता चला

कांस्टेबल जीतेन्द्र मौर्या के मोबाइल पर कुछ दिन पहले एलर्ट मैसेज आया था। मैसेज देखा तो उसके होश उड़ गए। पता चला कि उसके बैंक एकाउंट से ट्रांजेक्शन हुआ है। अभी वह सोच रहा था कि दो मैसेज ट्रांजेक्शन के और आ गए। वह भागता हुआ बैंक पहुंचा और बैंक एकाउंट सीज कराया। पुलिस विभाग का मामला था, लिहाजा तत्काल पुलिस एक्टिव हो गई और रिपोर्ट दर्ज हो गया। साइबर सेल के प्रभारी एसआई ज्ञानेन्द्र राय मामले की जांच में जुट गए। बैंक स्टेटमेंट से पता चला कि साइबर क्रिमिनल ने ज्यादातर मोबाइल में रिचार्ज किया है। फिर कुछ शॉपिंग भी की।

जांच में जुट गई पुलिस

एसआई ज्ञानेन्द्र ने बताया कि पुलिस सर्विलांस की मदद से उस व्यक्ति को ट्रेस करने में जुट गई जिसका मोबाइल रिचार्ज हुआ था। फिर जिस कंपनी से साइबर क्रिमिनल ने शॉपिंग की थी, उसके बारे में डिटेल पता लगाई गई। लास्ट में पुलिस को उस फ्राड के बारे में सुराग हाथ लग गया। पुलिस उसकी तलाश में पुलिस जुट गई.  सैटरडे को पुलिस ने सिविल लाइंस पुलिस के साथ रेड करके आरोपी को अरेस्ट कर लिया।

Software engineer निकला

जब पुलिस ने आरोपी धनंजय सिंह को पकड़ा तो दंग रह गई। क्योंकि धनंजय सिंह वही साफ्टवेयर इंजीनियर था जिसे पुलिस ने जार्जटाउन से लास्ट इयर फ्राड के केस में अरेस्ट किया था। धनंजय सिंह सोनभद्र का रहने वाला है और पिछले कुछ सालों से स्टडी के नाम पर जार्जटाउन एरिया में रेंट पर रूम लेकर रहता है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि उसके रिलेटिव चाचा सोनभद्र के  सांसद रह चुके हैं।

कैसे करता था fraud   

साइबर सेल की माने तो धनंजय इंटरनेट का मास्टर है। साफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद ही वह इस धंधे में जुट गया था। 25 नवंबर 2011 को पुलिस ने साइबर फ्राड के मामले में धनंजय को जार्जटाउन से अरेस्ट किया था। धनंजय कई तरीके से फ्राड करता है। सबसे आसान तरीका एटीएम के अंदर जाकर एटीएम का नंबर और पिन चोरी छिपे देख कर नोट करना है। जिसकी मदद से वह आसानी से इंटरनेट शॉपिंग करता था था। इसके आलावा वह बैंकों में जाकर खड़ा हो जाता था। फिर वहां से बैंक एकाउंट नंबर देख लेता था। फिर सेटिंग करके पूरी डिटेल पता करता था। उसके बाद फेक आईडी यूज करके वह आसानी से दूसरे के बैंक एकाउंट से रुपए उड़ाता था।

दो cases का खुलासा

-सिविल लाइंस में कांस्टेबल जीतेन्द्र मौर्या

-कर्नलगंज पुलिस स्टेशन का साइबर फ्राड का केस

Recovery

-दो मोबाइल फोन, एक लैपटाप, एक कैमरा, आठ सिम कार्ड जिसमें हजारों रुपए का बैलेंस, एक नेटशटर, एक पैनकार्ड, एक ब्रांडेड घड़ी, 9 पासपोर्ट साइड पिक्चर, दो पाकेट डॉयरी, दो फेक एड्रेस वाली ड्राइविंग लाइसेंस, 120 रुपए कैश

Target में 90 bank account

अगर आप का बैंक एकाउंट भारतीय स्टेट बैंक में है तो जरा एलर्ट हो जाएं। क्योंकि, पकड़े गए साफ्टवेयर इंजीनियर ने 90 बैंक एकाउंट को अपने टॉरगेट में रखा है। पुलिस को उसके पास से एक डॉयरी मिली है जिसमें उसने 90 बैंक की डिटेल रखी है। सभी के नाम और उनके एकाउंट नंबर उस डॉयरी में लिखे हुए हैं। पुलिस को पूरा यकीन है कि इन्हीं बैंक डिटेल के आधार पर वह खेल रहा था।