प्रयागराज ब्यूरो । दशाश्वमेध व किला घाट को पक्का बनाने की कसरत शुरू हो गई है। घाट निर्माण को पूरा करने के लिए शासन ने डेड लाइन तय कर दी है। नौ महीने में इस घाट को बनाकर तैयार किया जाना है। दोनों घाट पर सीढिय़ों की डिजाइन व रेलिंग आदि का भी नक्शा तैयार है। यह दोनों घाट तैयार होने के बाद अन्य पांच घाटों के निर्माण की कवायद शुरू होगी। यह सभी सातों घाट महाकुंभ की मुख्य योजनाओं में शामिल हैं। महाकुंभ के पहले इन घाटों को बनाने की जिम्मेदारी फ्लरू वर्क डिवीजन को सौंपा गया है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और महाकुंभ के बजट से इसका निर्माण कार्य पूर्ण किया जाएगा।

बनाए जाएंगे कुल सात नए घाट
महाकुंभ से पहले कुल सात पक्के स्नान घाट बनाए जाने हैं। इनमें रसूलाबाद घाट, नौकायान घाट व महेवा घाट, सरस्वती घाट, किला घाट, दशास्वमेध घाट व ज्ञान गंगा छतनाग घाट शामिल हैं। इन घाटों के निर्माण में करीब करोड़ों रुपये खर्च किए जाएंगे। निर्माण पूरा करने के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और महाकुंभ के बजट से पैसे की व्यवस्था की जाएगी। रसूलाबाद व दशाश्वमेध व किला घाट के लिए जमीन का चिन्हांकन और फस्ट फेज का सर्वे शुरू हो गया। इनमें किला और दशाश्वमेध घाट का निर्माण शुरू करने के लिए कवायद शुरू हो गई है। कुल नौ महीने में इन दोनों घाटों को तैयार किया जाना है। शेष पांच घाट का निर्माण भी महाकुंभ के पहले पूरा कराया जाएगा। टेंडरिंग प्रक्रिया शुरू हो गई है। सभी घाट की अपनी एक लंबाई तय कर दी गई है। घाट की सीढिय़ों पर दोनों पर स्टील की रेलिंग भी लगाई जाएगी। सीढिय़ों का निर्माण बुजुर्गों व बच्चों एवं महिलाओं की सहूलियत के हिसाब से किया जाएगा। प्लान के अनुरूप सीढिय़ों के पास चेजिंग रूम भी तैयार किया जाएगा। चेजिंग रूम केवल महिलाओं और युवतियों के लिए ही होगा।

श्रद्धालुओं को लुभाएगी लाइटिंग
इन स्नान घाटों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए आकर्षक लाइटिंग भी की जाएगी। लाइट इस अंदाज में सेट की जाएगी कि रोशनी का फोकस सीढिय़ों के साथ पानी पर भी पड़े। इसी के साथ सीढ़ी से कुछ दूरी पर टॉयलेट भी बनाए जाएंगे। घाट के पहुंच मार्गों को भी दुरुस्त किया जाएगा। भीड़ बहुत कम नहीं हो इसके लिए सड़कें चौड़ी भी की जाएंगी।

महाकुंभ के मद्देनजर कुल सात नए पक्के घाट बनाए जाने हैं। दशाश्वमेध व किला घाट का निर्माण जल्द ही शुरू किया जाएगा। वर्ष 2012 से 2019 कुंभ तक करीब आठ नए पक्के घाट बनाए जा चुके हैं।
डीके त्रिपाठी, एई फ्लड वर्क डिवीजन