राकेश मोहन और सविता के लिए बेटे से कम नहीं हैं उनकी बेटियां

ALLAHABAD: बेटे और बेटियों में अंतर अब पूरी तरह से खत्म हो गया है। क्योंकि बेटियां किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं है। हमें गर्व है कि हम दो बेटियों के पैरेंट्स हैं। रीयल स्टेट कम्पनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत राकेश मोहन बाला जी और उनकी पत्‍‌नी का ऐसा ही सोचना है। उन्होंने कहा कि बेटियों को सही मुकाम तक पहुंचाना और उनके सपनों को साकार करने में अपना बेस्ट देना ही जीवन का मकसद है। उनकी पत्‍‌नी संगीता सिंह बाला जी भी इस बात से पूरी तरह इत्तेफाक रखती हैं। वो कहती हैं कि उन्हें अपनी फैमली से पूरा सपोर्ट और आजादी मिली। अपनी बेटियों को भी वो यही सपोर्ट और आजादी देना चाहती हैं।

फैमली का मिला पूरा सपोर्ट

संगीता बताती हैं कि उन्हें कभी इस बात की चिंता नहीं रही कि बेटा होगा या बेटी। बस यही यही कामना रही कि भगवान की कृपा से जो भी संतान हो वह स्वस्थ रहे। बेटियों के जन्म के बाद कभी इस बात की चाहत नहीं रही कि बेटा भी होना चाहिए। अहम बात यह कि पूरी फैमली ने इस डिसीजन में पूरा सहयोग दिया। संगीता बताती हैं कि उनके रिलेशन में कई ऐसी फेमिली हैं जो सिंगल गर्ल चाइल्ड के साथ खुश हैं। उन्होंने बताया कि उनका सारा फोकस बताती है कि बच्चों को अच्छी परवरिश देने पर अधिक फोकस रहता है। फिलहाल उनकी बड़ी बेटी तंधी बाला जी बारहवीं की स्टूडेंट है और छोटी बेटी इशिता बाला जी एर्थ में है। बड़ी बेटी इनवायरमेंटल प्रोटेक्शन के फील्ड में करियर बनाना चाहती है। फिलहाल पूरा फोकस बड़ी बेटी के करियर पर है। छोटी बेटी भी जिस क्षेत्र में वर्क करना चाहेगी उसका भी पूरा सपोर्ट करेगी। जिससे दोनों बेटियां सेल्फ डिपेंड हो सकें। संगीता के पति राकेश भी इसी विचारधारा को फॉलो करते हैं।