उबला खाएं या बनाएं भुर्जी, सस्ती दर पर दुकानों पर बिक रहा अंडा

ठंड के दिनो में बढ़ी अंडे की डिमांड, पांच से छह रुपए एक अंडे का रेट

ALLAHABAD: संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे। यह जुमला लोगों के बीच आज भी हिट है। इस बीच कड़ाके की ठंड के आते ही अंडे की मार्केट गर्मा चुकी है। लोगों के बीच अंडे की भारी डिमांड है तो राहत वाली बात यह है कि मार्केट में एक अंडा पांच से छह रुपए में बिक रहा है। इससे अंडा खाने के शौकीनों के लिए रोज सुबह-सुबह प्लेट में ऑमलेट सजाकर खाना आसान हो गया है। अंडे के दुकानदार बताते हैं कि जाड़े के सीजन में सुबह के समय ज्यादातर लोग बच्चों की सेहत बनाने के लिए अंडा खरीदकर ले जा रहे हैं।

सप्लाई में नहीं है कोई दिक्कत

यह आम धारणा है कि दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में ठंड की दस्तक के तुरंत बाद अंडों की बिक्री में तेजी का दौर शुरू हो जाता है और इसके दाम भी आसमान छूना शुरू कर देते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि खपत बढ़ने से अंडों की सप्लाई में भी दिक्कत आती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। सिटी की सभी प्रमुख मार्केट में अंडे इफरात की संख्या में आ चुके हैं और अगले कई दिनों तक इनकी संख्या में कहीं कोई कमी नहीं आने वाली।

सिटी में मौजूद हैं प्रमुख बाजार

दुकानदार बताते हैं कि सिटी में अंडे की सप्लाई का प्रमुख केन्द्र हैदराबाद है। मार्केट पर इसका असर यह है कि अंडों की सप्लाई में कोई अड़चन न होने से इनकी कीमतें भी सामान्य हैं। इससे लोगों के पास मौका है कि वे अपने शौक के मुताबिक ठंड के दिनों में ज्यादा से ज्यादा अंडे का उपयोग कर सकते हैं। बता दें कि सिटी में कटरा मार्केट, साउथ मलाका डाट का पुल, करेली, काल्विन अस्पताल रोड, हटिया आदि जगहों पर थोक में अंडे की प्रमुख बाजार हैं।

अक्टूबर में 10 रुपये बिका था अंडा

थोक दुकानदारों का कहना है कि अभी डेढ़ महिने पहले तक अंडों की सप्लाई सिटी में ठीक ढंग से नहीं हो पा रही थी। अक्टूबर में एक अंडा 10 रुपये तक बिक गया था। उस समय थोक दुकानदारों को 210 अंडों की एक पेटी 1200 रुपये तक में मिल रही थी। वर्तमान में पांच से छह रूपये में अंडा बाजार में मिल रहा है और थोक दुकानदारों को 900 रूपया प्रति पेटी अंडा मिल जा रहा है। हालांकि, कुछ दुकानदार मार्केट की इस स्थिति को ठीक नहीं बताते। उनका कहना है कि मार्केट में अंडों का दाम स्थिर होना चाहिये। अंडा बाजार के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि सप्लाई बाधित होते ही दाम चढ़ना शुरू हो जाता है और एक दो दिन में नीचे भी आ जाता है। इससे दुकानदारों को नुकसान भी उठाना पड़ता है।

थोक दुकानदारों के लिये अंडे का कारोबार शेयर मार्केट से कम नहीं है। दाम कभी कम तो कभी ज्यादा होता रहता है। चूंकि, यह रोजाना का कारोबार है तो इसमें मौसम का भी बड़ा असर होता है। कोहरा घना हुआ और सुबह गाड़ी समय पर नहीं आई तो मार्केट में इसके दामों पर सीधा असर पड़ता है।

दिलीप कुमार, साई अंडे वाले नेतराम चौराहा

सिटी में पोल्ट्री फार्म हैं। लेकिन वहां से मांग के अनुसार उत्पादन हो पाना संभव नहीं है। हैदराबाद से बड़ी संख्या में सप्लाई हो पाती है। गर्मी के दिनो में पंजाब से भी अंडे आते हैं। इस समय सप्लाई में कोई दिक्कत नहीं है। मार्केट में अंडों के दाम भी कम हैं। इसलिए लोगों में डिमांड भी बढ़ी है।

रिजवान अहमद उर्फ गुड्डु, दुकानदार लक्ष्मी टाकीज चौराहा

बाजार में देशी अंडों की हमेशा क्राइसिस होती है। इसलिये हमेशा फार्म वाले अंडों की ही डिमांड होती है। अभी तो हालत यह है कि थोक में दाम 50 रुपये आगे पीछे होता रहता है। लेकिन एकाएक इसमें उछाल आने की संभावना नहीं लग रही। बच्चों की सेहत के लिए खूब अंडा बिक रहा है।

विकास, व्यावसायी

जनवरी में अंडों की डिमांड हमेशा सबसे ज्यादा होती है। इसके बाद फरवरी से इसमें कमी आना शुरू हो जाता है। चूंकि, अभी ठंड की शुरूआत है तो डिमांड का बने रहना भी स्वाभाविक है।

ईरशाद, व्यावसायी

अंडे के बारे में जाने

अंडे की जर्दी अंडे का वह भाग होता है जो विकसित होते हुए भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। भोजन के रूप में अंडे की जर्दी विटामिन व खनिज तत्वों का प्रमुख स्त्रोत है। इस भाग में अंडे की संपूर्ण वसा, कोलेस्ट्राल और प्रोटीन का लगभग पांचवां हिस्सा होता है। यदि इस भाग को अण्डों को तलने हेतु ऐसे ही छोड़ दिया जाये तो स्पष्ट सफेद चित्तियों से घिरा जर्दी वाला भाग व्यंजन को एक विशिष्ट रुप देता है। यदि इन दोनों हिस्सों को तलने से पहले मिला दिया जाये तो यह एक फीके पीले रूप में आ जाता है, जैसा कि हम ऑमलेट और अंडे की भुर्जी में देखते हैं। डॉक्टर भी मरीजों को अधिकांश बीमारियों में अंडा खाने की सलाह देते हैं।