प्रयागराज (ब्‍यूरो)। जय माता दी, दोस्तों मंगलवार को चैत्र नवरात्र का पहला दिन था। लिहाजा सुबह होते ही घरों में साफ सफाई के बाद पूजा पाठ की तैयारियां शुरू हो गईं। अभिजित मुहुर्त में भक्तजन करुणा मई मां की आराधना के लिए घरों में घट यानी कलश की स्थापना किए। यजमानों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ घरों में विधि-विधान से मां के शैलपुत्री स्वरूप का भक्तजन पूजा पाठ किए। इसके बाद दर्शन के लिए मंदिरों में जा पहुंचे। मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचे भक्तों की लंबी कतार देर शाम तक लगी रही। दर्शन मिलते ही लोगों के चेहरे पर खुशी व सुकून के भाव तैरने लगे। सुबह से शाम तक दर्शन व पूजन का यह भक्ति मय दौर चलता रहा। भक्तों के जयकारे से मां का दरबार गूंजता रहा।

जयकारों से गूंजती रही दिशाएं
घरों में लोग मिट्टी रखकर उसमें जौ की बुवाई किए। उसके ऊपर घट यानी कलश में गंगा जल कर आम की टेरी यानी पत्तेदार टहनी रखे। फिर मिट्टी के प्याले में चावल भर कर कलस के रूप रख दिए। पास में मां भगवती की तस्वीर रखकर द्रव्य यानी पैसा पान, सुपाड़ी, रक्षासूत्र बांधकर करुणा मई मां से क्षमायाचना करते हुए नौ दिनों के व्रत का संकल्प लिए। इसी के साथ मां दुर्गा सप्तशती व दुर्गा चालीसा का पाठ किए। नवरात्र का पहला दिन होने के कारण घरों में भोर से ही तैयारियां शुरू हो गईं। तमाम लोग स्नान के लिए गंगा व संगम के घाट पर पहुंचे। चूंकि मंगलवार का दिन था लिहाजा यहां स्नान के बाद लोग बड़े हनुमान जी बंधवा पर दर्शन करके घर लौटे। वहीं से तमाम भक्त दर्शन पूजन के लिए देवी मंदिरों की ओर रुख कर दिए। अलोपीबाग स्थित मां अलोपशंकरी देवी, मां कल्याणी देवी, मां ललिता देवी, मां खेमा मायी सहित अन्य देवी मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। कर्मकाण्डी पं। शिवेंद्र शास्त्री के मुताबिक नवरात्र के दूसरे दिन बुधवार को मां भगवती के ब्रह्माचारिणी स्वरूप की पूजन होगी।

किस दिन किस स्वरूप की पूजा
संत श्री राजाराम सेवा संस्थान के उपाध्यक्ष व पं। विमलेश्वरानन्द मिश्र कहते हैं कि पूरे नवरात्रि करुणा मई मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मंगलवार को भक्तजनों ने मां के शैलपुत्री रूप की आराधना की। बुधवार को चंद्रघण्टा व गुरुवार को कूष्माण्डा एवं शुक्रवार को स्कंदमाता मां के स्वरूप की पूजा की जाएगी। इसी के साथ शनिवार कात्यायनी व रविवार को कालरात्रि, सोमवार को महागौरी एवं मंगलवार को सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाएगी।