21 या 90 दिन तक धूना तपस्या करते हैं संत
07चरणों में होती धूना तपस्या
प्रयागराज (ब्‍यूराे )। माघ मेले में आए तपस्वी संतों की धूना तपस्या का श्रीगणेश आज से होने जा रहा है। वसंत पंचमी से लेकर गंगा दशहरा तक चलने वाली इस तपस्या में मेले में आए 500 संन्यासी शामिल होंगे। कठिन तपस्या मानी जाने वाली धूना तपस्या अग्नि के घेरे में बैठकर विधि विधान पूर्वक की जाती है। संन्यासियों की इस तपस्या को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगती है। इसे रहस्यमय पूजा भी माना जाता है जो संत अपने गुरु के मार्गदर्शन में पूर्ण करते हैं।

गंगा दशहरा पर होती है पूर्ण आहुति
संगम की रेती वसंतोत्सव पर पंच अग्नि साधना की साक्षी बनेगी। जिसमें तपस्वी और महात्यागी परंपरा के संत पंच अग्नि का घेरा बनाकर अपनी तपस्या की शुरुआत आज से करेंगे। गंगा किनारे होने वाली अनूठी ध्यान-साधना में अग्नि के घेरे के बीच संतों द्वारा सिर पर मिट्टी के घड़ों में अग्नि प्रज्जवलित करने की भी परंपरा निभाई जाती है। जेष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी यानी गंगा दशहरा के दिन इस तपस्या की पूर्णाहुति होगी। यह बताया जाता है कि कुछ संत सात दिन, तो कुछ 21 या 90 दिन तक भी धूना तपस्या करते हैं। इस अनुष्ठान में संतों के गुरु का अहम भूमिका होती है। धूना तपस्या में अनेक विधि विधान भी होते हैं जिसे संत किसी से नही बताते। इस पूजा के कई हिस्सो ंको रहस्यमय भी रखा जाता है। कहते हैं कि धूना तपस्या के दौरान संतों के तेज से कई शक्तियां भी जन्म लेती हैं।

श्रेष्ठतम तप है अग्नि साधना
संतों के अनुसार अग्नि साधना को श्रेष्ठतम तप माना जाता है। सात चरणों में होने वाली धूना तपस्या में प्रतिदिन कम से कम पांच घंटे से लेकर 12 घंटे तक संत अग्नि के घेरे में कठिन तपस्या करते हैं। धूना तपस्या का संकल्प लेने वाले सुबह से शाम तक साधना करेंगे। गंगा दशहरा पर हवन- पूजन कर धूनी को गंगा में विसर्जित किया जाएगा। तपस्या किसी कारण से अगर भंग हो जाती है तो अगले वर्ष नए सिरे से संकल्प लेकर उसे फिर से आरंभ किया जाता है। खासकर सनातन धर्म के उत्थान और राष्ट्र की खुशहाली के लिए भी संत धूना तपस्या का पालन करते हैं।

आठ वर्ष के बाल संत भी करते हैं साधना
धूना तपस्या करने वालों में आठ वर्ष के बाल संत से लेकर सभी उम्र के संत, महात्मा धूना तपस्या करते हैं। माघ मेला में महामंडलेश्वर स्वामी रामसंतोष दास महराज, महामंडलेश्वर स्वामी रामदास टाटाम्बरी महराज, स्वामी ध्रुवदास महराज, बीकानेर के राष्ट्रीय संत महामण्डलेश्वर स्वामी सरयू दास महाराज, स्वामी गोपाल महराज, स्वामी तुलसीदास महाराज, स्वामी भगवत दास महराज सहित करीब 500 संत, महात्मा बसंत पंचमी बुधवार से धूना तपस्या शुरू करेंगे। बताते हैं कि गर्मी में अप्रैल से जून के बीच यह तपस्या काफी कठिन होती है। इस दौरान भी आग घेरे में में संत धूनी रमाते हैं।
क्या कहते हैं संत
धूना तपस्या वसंत पंचमी से शुरू होकर गंगा दशहरा तक चलेगी। गर्मी के दौरान अप्रैल से जून तक तपस्या सबसे कठिन होती है क्योंकि उस दौरान भीषण गर्मी पड़ती है। यह तपस्या सुबह से शुरू होकर शाम तक यानी कि दिन में कम से कम आठ घण्टे होती है। अगर किसी की तबियत खराब है या कोई दिक्कत है तो वह अपनी सुविधानुसार तपस्या कर सकता है लेकिन धूना तपस्या सभी को करनी होती है। इसके करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
- गोपाल महराज, संत, तपस्वी नगर

यह प्राचीन तपस्या की परंपरा है जिसे हमारे ऋषि-मुनि करते थे, उसी परंपरा का निर्वहन कर रहा हूं। मेरी उम्र लगभग 70 वर्ष है लेकिन अभी भी धूना तपस्या करता हूं। इस तपस्या को करने से असीम ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
महामंडलेश्वर स्वामी रामसंतोष दास महराज

यह तपस्या हम लोग बचपन से करते आ रहे है। इससे जहां ऊर्जा मिलती है वहीं ईश्वर का भी ध्यान और पूजन होता है।
स्वामी ध्रुवदास महराज

धूना तपस्या हम सभी संत उत्साह से करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन धूना तपस्या करते हैं। यह एक कठिन तपस्या है लेकिन इसे सभी संतों को करना होता है।
राष्ट्रीय संत महामण्डलेश्वर स्वामी सरयूदास