प्रयागराज ब्यूरो । नालों व नालियों की ठीक से सफाई नहीं होने के कारण मच्छरों की तादाद बढती जा रही है। नाले और नालियां इन मच्छरों का आशियाना बन चुके हैं। बढ़े हुए यह मच्छर रात ही नहीं दिन में भी लोगों का खून पी रहे हैं। इस शहर का शायद ही कोई ऐसा वार्ड हो जहां पर मच्छरों से लोग नहीं हों। दिन-रात खतरनाक मच्छरों के डर से लोगों में बीमारी फैलने का डर बढ़ता जा रहा है। इन घातक बीमारी फैलाने वाले मच्छरों को देखते हुए लोग बच्चों की सेहत को लेकर ज्यादा चिंतित हैं। बावजूद इसके नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग लोगों की इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है। इन दोनों विभागों की खामोशी के चलते मच्छरों की संख्या दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है।

सदन में गूंज चुकी है नालों की स्थिति
विस्तारित एरिया को लेकर नगर निगम एरिया में कुल 100 वार्ड हैं। शहर के पुराने वार्डों की बात करें तो मात्र 80 वार्ड ही थे। इन वार्डों में विकास व सफाई आदि के कार्यों की जिम्मेदारी नगर निगम के कुल नौ जोनल कार्यालयों को सौंपी गई है। पिछले वर्ष 2023 में नालों की सफाई का टेंडर नगर निगम के द्वारा जारी किया गया था। इस टेंडर के अनुसार शहर के पुराने वार्डों में कुल बड़े नालों की संख्या 546 है। इन नालों की सफाई में विभाग के द्वारा 51984 मानव दिवस लगाने का दावा विभाग ने किया था। शहर के आठों जोन कार्यालय सीमा क्षेत्र में 108 छोटे नाले बताए गए थे। जिनकी सफाई का कार्य जनकार्य विभाग नगर निगम को सौंपा गया था। इन छोटे नालों की कुल लंबाई 69821 मीटर में बताई गई थी। इससे भी छोटे नालों की संख्या सात थी। जिसकी लंबाई नगर निगम के जिम्मेदार अफसरों के जरिए 6020 मीटर बताई गई थी। दावा था कि इन नालों की सफाई का काम जलकल विभाग के द्वारा कराई गई थी।
पार्षदों ने भी उठाया था मुद्दा
नगर निगम सदन की बैठक में नालों की सफाई में घोर लापरवाही का मुद्दा पार्षदों के जरिए गर्मजोशी के साथ उठाया गया था। सदन में कुछ पार्षदों के जरिए नाला सफाई में महज कारम पूरा किए जाने तक की बातें कही गई थी। पूरे सदन में नाल सफाई पर खर्च हुए करोड़ों रुपये की जांच की भी मांग पार्षद किए थे। अब शहर में बढ़ी मच्छरों की तादाद को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पार्षदों के द्वारा सदन में उठाए गए सवाल शायद सही थे। नाला सफाई नहीं होने से ही लोग शहरी एरिया में मच्छरों के बढऩे का मुख्य कारण मान रहे हैं। पब्लिक का कहना है कि शहर के छोटे से लेकर बड़े नालों में जमा शिल्ट के कारण पानी गंदा पानी नहीं निकल पा रहा। यही गंदा पानी मच्छरों के बढऩे की एक खास वजह बन गई है। इन बढ़े हुए मच्छरों से पूरा शहर दिन रात परेशान है। बावजूद इसके नगर निगम कुंभकर्णी नींद से उठने का नाम नहीं ले रहा है।


प्राइवेट जांच में झुलस जाएगी जेब
शहर में बढ़े हुए मच्छरों के काटने से लोग तमाम तरह की बीमारियों के फैलने की आशंका से ग्रसित हैं।
यदि स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों की मानें तो मच्छरों के काटने से लोगों में फाइलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, मस्तिष्क ज्वर, बदन में चकत्ते या दानें और खुजली जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
मलेरिया छोड़ कर यदि इन बीमारियों के होने पर यदि सरकारी अस्पतालों में जांच कराई जाय तब पर भी सैकड़ों रुपये लोगों खर्च करने होंगे।
कहीं जांच के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल या पैथालाजी चले गए तो लोगों को पांच सौ रुपये तक केवल मलेरिया जांच में ही खर्च करने पड़ जाएंगे।
गनीमत यह है कि सरकारी अस्पतालों में मलेरिया जांच के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता। वह हॉस्पिटल कहीं की भी हो।
मलेरिया जांच के लिए गांवों में मौजूद आशाओं को तक स्वास्थ्य विभाग ने ट्रेंड किया है।
हर आशा व एएनएम को विभाग के द्वारा 10-10 मलेरिया जांच के किट दिए गए हैं। ताकि वे लोगों का मुफ्त जांच कर सकें।


जानिए मच्छरों से खुद को कैसे बचाएं
मच्छरों से बचने का तरीका जानने से पहले यह जान लीजिए कि इनका अटैक किस समय अधिक होता है
सबसे ज्यादा मच्छरों के अटैक का समय शाम को पांच बजे से लेकर रात को नौ से दस बजे तक का होता है
इस लिए शाम होते ही घरों में मास्कीटो लगा रखें, बच्चों को फुल आस्तीन के कपड़े पहनाएं और खुद भी पहने रहें।
इस समय खिड़कियों व दरवाजों को बंद करके रखें, यदि बारीक जालियां का डोर लगवा सकतें तो अति उत्तम रहेगा
सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें, क्वाइल आदि जलाकर बेड के नीचे या आसपास अथवां गैस सिलेंडर के पास नहीं रखें।
घर के अंदर व बाहर अच्छे से साफ सफाई रखें, यदि हो सके तो पोछा लगाने के लिए आने वाली दवाओं को पानी में डालकर पोछा जरूर लगाएं।

2023 की रिपोर्ट में कुल नालों की संख्या
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जोन नाला लंबाई मीटर
01 77 33605
02 51 15345
03 86 41070
04 54 16405
05 75 48550
06 76 42000
07 50 18050
08 77 36950
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योग 546 252875
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अभी जो मच्छर अटैक कर रहे हैं वह सिर्फ परेशान करने वाले हैं। इनमें बीमारियों को फैलाने की क्षमता बहुत नहीं होती। मलेरिया की जांच सरकारी किसी भी हॉस्पिटल में फ्री है। एलाइजा जैसी जांच में कुछ पैसे जरूरत लगते हैं। हालांकि जल्द ही स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम मिलकर अभियान चलाएगा। इस अभियान में एंटी लार्वा का छिड़काव व फागिंग आदि के कार्य शहर में कराए जाएंगे।
आनन्द कुमार सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी