-एनसीजेडीसी में हुआ नाटक का मंचन

-सामाजिक, राजनैतिक विसंगतियों पर व्यंगात्मक प्रहार

- कलाकारों ने अभिनय से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

ALLAHABAD: समाज में फैली विसंगतियों को नाटकों और साहित्य के जरिए हमेशा से कटाक्ष किए जाते रहे हैं, जिससे उन सामाजिक विसंगतियों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सके। एनसीजेडसीसी में बुधवार को ऐसे ही एक नाटक 'हास्य रसायन' की प्रस्तुति बेहद शानदार तरीके से की गई।

कलाकारों का उत्साहवर्धन

बैक स्टेज संस्था की ओर से आयोजित नाटक के मंचन के दौरान कलाकारों ने अपने शानदार अभिनय से कहानी के सभी पात्रों को जीवंत कर दिया। दर्शकों ने भी तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया। नाटक की कहानी संस्कृत प्रहसन कौतुक रत्‍‌नाकर, लटकमेलकम एवं धूर्त समागम से जोड़कर तैयार की गई, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया।

राजनैतिक दुरुपयोग की गाथा

12वीं, 13वीं व 17वीं शताब्दी की कहानियों को जोड़कर तैयार हास्य रसायन कहानी एक स्वतंत्र कथा है। इसमें भी गणिका प्रसंग को दिखाया गया है, जिसमें लोगों का गणिका के प्रति आकर्षण और उसके हासिल करने के लिए व्यक्तिगत व सामाजिक विसंगतियों का सहारा लेने की कहानी को बेहद प्रभावशाली ढंग से दर्शकों के सामने पेश किया गया। नाटक में राजा द्वारा अपनी पत्‍‌नी को खो देने और गणिका को प्राप्त करने में लोगों की लड़ाई को बेहद रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया। नाट्य प्रस्तुति में दर्शायी गई घटनाएं समानांतर चलती है। वे उस बहुआयामी जीवन का प्रतीक है, जो आज के परिवेश में जिया जा रहा है। हास्य रसायन में जहां एक रेखीय स्वरूप को नकारा गया है, वहीं, उस नाटक के बहुआयामी स्वरूप के आधार पर घटनाओं को एक कोलाज बनता दिखाई देता है। ये तीनों प्रहसन, जिनके आधार पर हास्य रसायन की रचना की गई है, वे अपने समय की सामाजिक चुनौतियों को खेलते हैं।