प्रयागराज ब्यूरो ।सरकार चाहती है कि पाताल से लिए जाने वाले पानी की एक एक बूंद का हिसाब हो, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। सरकारी मशीनरी की सुस्ती के चलते भूजल का दोहन करने वालों को नियमों की जानकारी ही नहीं है। वह यह भी नहीं जानते कि अत्यधिक भूजल का दोहन करने से आने वाले समय में पानी की किल्लत भी हो सकती है। हालात यह हैं कि सैकड़ों की संख्या में आरओ प्लांट और कार वाशिंग प्लांट के जरिए रोजाना हजारों लीटर पानी नाली में बह रहा है। जिसका हिसाब किताब रखने वाला कोई नही है।

हर गली में खुला है आरओ प्लांट

इस समय शहर का कोई ऐसा मोहल्ला

नहीं है जहां पर आरओ प्लांट नहीं खुला हो। खासकर गर्मी के सीजन में इनकी डिमांड अधिक होती है। लोग ठंडा और साफ पानी पीना पसंद करते हैं। देखा जाए तो समय शहर में 150 से अधिक छोटे आरओ प्लांट हैं। यह प्रत्येक गली मोहल्लों में हैं और इनसे रोजाना हजारों लीटर भूजल का दोहन किया जाता है।

एक प्लांट से औसतन तीन हजार लीटर का दोहन

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब गुरुवार को एनालिसिस किया तो पता चला कि प्रत्येक प्लांट से रोजाना तीन हजार लीटर का औसतन भूजल का दोहन किया जाता है। अगर इसका डेढ़ प्लांट से गुणा करें तो 450 लाख लीटर पानी रोजाना निकाला जाता है। इसी तरह से कार वाशिंग प्लांट से रोजाना 6 लाख लीटर पानी का रोजाना दोहन किया जाता है। असलियत में यह आंकड़ा इससे अधिक हो सकता है।

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने किया स्टिंग आपरेशन

गुरुवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से आरओ प्लांट की असलियत जानने के लिए स्टिंग आपरेशन किया। जिसमें हमने झलवा पीपल गांव स्थित एक प्लांट का निरीक्षण किया। बातचीत में पाया कि एक प्लांट लगाने में पांच लाख रुपए तक खर्च आता है। प्लांट के मालिक नरेंद्र सिंह ने बताया कि हमनें चार किलोवाट का बिजली का मीटर लगाया है और पानी का मीटर के बारे में हमें कोई जानकारी नही है। अभी तक कोई हमसे इस बारे में जानकारी देने भी नही आया है। अगर कोई आएगा तो इसका पालन भी करेंगे। हमने प्लांट ओनर को बताया था कि हम नया प्लांट डालने जा रहे हैं इसके लिए आपके प्लांट की विजिट करना चाहते हैं। नरेंद्र ने बताया कि वह प्रतिदिन 160 बॉक्स पानी के बेचता है। एक बॉक्स की कीमत 20 रुपए है और इसमें 16 लीटर पानी आता है। उसने बताया कि वेस्टेज वाटर के यूज का कोई इंतजाम नही है। यह नाली से बह जाता है। इसके यूज के बारे में अभी तक हमें कोई जानकारी नही दी गई है।

अंधाधुंध दोहन से नुकसान

भूजल के दोहन से स्थिति खराब हो रही है। एक दर्जन के आसपास ऐसे इलाके हैं जहां ग्राउंड वाटर लेवल की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। यहां का लेवल बीस मीटर से अधिक हो चुका है। इन एरिया में कई नलकूप सूख चुके हैं और उनको रिबोर कराने की नौबत आ चुकी है। आइए जानते हैं किन एरिया में बनी है ऐसी स्थिति-

एरिया ग्राउंंड वाटर लेवल

बेली अस्पताल 20.50

गल्र्स पालिटेक्निक 21.80

न्यू कटरा 25.16

उच्चतर प्रावि न्यू कटरा 25.16

तेलियरगंज 20.60

आईईआरटी 25.30

एडीए कालोनी नैनी 22.95

सदर तहसील 25.30

तुलापुर 22.40

यह फैक्टर्स हैं जिम्मेदार

ऐसे कई फैक्टर्स हैं जो ग्राउंड वाटर लेवल को बचाने का काम करते हैं। जिन एरिया में पानी का लेवल अधिक नीचे नही गया है, वहां पर यही फैक्टर काम करते हैं। भूगर्भ जल वैज्ञानिकों के मुताबिक किसी एरिया की पापुलेशन जितनी अधिक घनी होगी, वहां पानी का कंजम्प्शन भी अधिक होगा। जो एरिया नदी के आसपास होंगे वहां पर अक्सर वाटर लेवल बेहतर होता है। बाजार और इंडस्ट्रियल एरिया में पानी की खपत अधिक होती है। जहां वाटर लेवल अधिक नीचे है वहां सबमर्सिबल पंप की संख्या अधिक मिली है।

चुनाव आचार संहिता के चलते कार्रवाई पर रोक

भूगर्भ जल विभाग की ओर से 28 संस्थाओं जिनमें होटल, आरओ वाटर प्लांट, हॉस्पिटल आदि शामिल हैं, पर पेनाल्टी लगाने की तैयारी की जा रही है। इनको दो नोटिस दिया जा चुका है और तीसरा नोटिस डीएम की ओर से भेजा जाना है। इसके बाद 5 से 10 लाख की पेनाल्टी लगाई जाएगी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल चुनाव आचार संहिता के चलते कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है। चुनाव के बाद ताबड़तोड़ कार्रवाई की जाएगी। कहा कि भूजल का दोहन करने वाली संस्थाओं को पानी का मीटर लगाने और विभाग से एनओसी लेने को कहा गया है। इसके बाद हर माह इन संस्थाओं को उपयोग किए गए ग्राउंड वाटर लेवल के एवज में पैसे जमा करने होंगे और हर माह मीटर के जरिए दोहन किए गए पानी का हिसाब देना होगा।

वर्जन

हमारी ओर से कार्रवाई लगातार जारी है। जिनको चिंहित किया गया है उनको नोटिस भेजा गया है। शहर में दो आरओ प्लांट हैं जो मीटर लगा चुके हैं। लेकिन अभी सैकड़ों प्लांट में इनको लगवाया जाना बाकी है। चुनाव के बाद युद्धस्तर पर कार्रवाई को अंजाम दिया जाना है।

रवि पटेल, भूगर्भ जल वैज्ञानिक प्रयागराज