मीडियम व हाई क्लास के युवा ज्यादातर कर रहे सूखे नशे का इस्तेमाल
PRAYAGRAJ: रोक, चेकिंग व जांच एवं सख्ती के बावजूद प्रयागराज में नशे का कारोबार फल-फूल रहा है। पुलिस और सौदागरों का तगड़ा गठजोड़ इसका कारण बताया जाता है। बड़े सप्लायर बल्क में गांजा व अफीम एवं स्मैक चोर दरवाजे से मंगाते हैं। इसके बाद इसे छटाक और तोले में फुटकर सेल के लिए बेचा करते हैं। फुटकर खरीदार इस नशे की पुडि़या बनाकर लोगों तक पहुंचाते हैं। सूत्रों का कहना है कि गांजा सबकी रीच वाला नशा है जबकि अफीम और स्मैक का इस्तेमाल स्टेटस सिंबल मेंटेन करने के लिए किया जाता है। इसका ऑफिशियल पहलू यह भी है कि यहां इन दोनों की बरामदगी और इसका कारोबार करने वालों की गिरफ्तारी नाम मात्र की ही है। पुलिस की कार्रवाई बताती है कि इन दोनो नशे का कारोबार प्रयागराज में होता ही नहीं है।
अच्छे-अच्छों को मुनाफे का नशा
पिछले दिनों जिले में एसओजी और एसटीएफ द्वारा कार्रवाइयां की गई।
बल्क में गांजे का खेल और तस्कर पकड़े गए थे।
धान की भूसी के नीचे छिपाकर ट्रक द्वारा नैनी लाया गया।
यह खेप विशाखापत्तनम से आई थी।
बरामद गांजा की मात्रा 11.380 कुंतल इसकी कीमत करीब 2.75 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
सप्लाई के लिए खरीदारी करने पहुंचे नैनी व झूंसी के कई लोग पकड़े गए थे।
यह बरामदगी नौ सितंबर को की गई थी।
तीन जून को एसटीएफ द्वारा 1.75 कुंतल गांजा फिर नैनी में पकड़ा गया था।
इसकी कीमत करीब 40 लाख बताई गई थी।
माह के आरंभ में खुल्दाबाद पुलिस द्वारा कफ सीरप पकड़ा गया था।
क्षेत्र के एक नामी व्यापारी के गोदाम से बरामद हुआ था।
आज तक पुलिस उस व्यापारी को गिरफ्तार नहीं कर सकी।
खाकी पर नशे का दाग
नशे के कारोबार में मुनाफा खाकी को भी खूब रास आया है।
इसी वर्ष के मई महीने में सोरांव थाने के दो जवान मिलकर माले खाने की शराब का सौदा कर डाले।
सिर्फ सौदा ही नहीं बाकायदे इनके द्वारा पकड़ कर लाई गई इस शराब को मुनाफे के फेर में बेच दिया गया।
बात एएसपी/सीओ सोरांव अशोक बेंकटके तक पहुंची तो जांच शुरू हो गई।
उस वक्त एसएसपी रहे सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज द्वारा दीवान विजय बहादुर व मुंशी राज कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया।
बताते हैं कि राज कुमार बहाल हो चुके हैं दीवान का पता नहीं।
इनके द्वारा करीब 150 पेटी शराब बेचे जाने की बात अफसरों द्वारा उस वक्त बताई गई थी।
यहां होती है खपत
सिटी में सूखे नशे की खपत ज्यादातर भांग की दुकानों के आसपास होती है
ब्लड बैंक के पास, अशोक नगर, धूमनगंज नीवां, दारागंज व कीडगंज गंगा यमुना के तराई वाले बेल्ड में
अधिकांश स्कूल और कॉलेज एवं हॉस्टलों के आसपास
रोडवेज बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, एसएसएन हॉस्पिटल के पास
झुग्गी झोपड़ी वाले एरिया में भी इसकी खपत व सप्लायर दोनों हैं
नैनी एरिया में तो सूखे नेशे की खपत हर रोज लाखों रुपये में है
नशे के सौदागरों से सख्ती से निबटने के लिए पुलिस तत्पर है। इसका नतीजा भी पिछले दिनो में देखने को मिला है। आगे भी पुलिस अपना काम पूरी तत्परता से करेगी। नशे के सौदागरों को बख्शा नहीं जाएगा।
सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी
एसएसपी प्रयागराज
शौक से शुरू होने वाला नशा कब एडिक्शन बन जाता है, पता ही नहीं चलता। टीनएजर या यूथ के बारे में पता चले कि वह नशे की तरफ बढ़ रहा है, तभी उसकी काउंसिलिंग करायी जानी चाहिए। नहीं तो जब पता चले, उलझने की बजाय उसका इलाज शुरू करा देना चाहिए।
राकेश पासवान
मनोचिकित्सक, काल्विन हॉस्पिटल