प्रयागराज ब्यूरो । लोकल कन्वेंश में ई रिक्शा बहुत राहत लेकर आया। लेकिन राहत के साथ ही फजीहत का कारण भी बन गया है। ई रिक्शा से चलना जान पर खेलना है। न जाने किस मोड़ पर ई रिक्शा पलट जाए। मगर शहरियों के पास जान पर खेलने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है। हैरत है कि लोकल कनवेंश के नाम पर सरकारी सिस्टम कोई प्लान बना ही नहीं पा रहा है। अगर बात ई रिक्शा के सिस्टमैटिक संचालन की हो तो इसके लिए भी कोई सिस्टम डेवलप नहीं किया जा रहा है। कुल मिलाकर शहर में लोकल कनवेंश की व्यवस्था भगवान भरोसे है। फिर चाहे शहरी लुट जाएं, पिट जाएं या हादसे का शिकार हो जाएं। राम भरोसे व्यवस्था चलाएमान है।

हर गली में ई रिक्शा
अल्लापुर मटियारा रोड से लगी यादव गली हो या फिर तेलियरगंज में छुआरा हनुमान मंदिर गली, मम्फोर्डगंज में आबकारी गली हो या फिर धूमनगंज में सांसद गली। ई रिक्शा हर जगह मिल जाएगा। ई रिक्शा ने लोकल कनवेंश की समस्या को लगभग खत्म कर दिया। हाल ये था कि जंक्शन से उतरकर किसी को यदि काटजू कालोनी गोविंदपुर जाना हो तो फिर यात्री को जंक्शन से गोविंदपुर के टेंपो पकडऩी पड़ती थी। इसके बाद गोविंदपुर से पैदल ही काटजू कालोनी जाना पड़ता था। ठंड के मौसम में तो पैदल चलने में कोई दिक्कत नहीं रहती थी, मगर बारिश या फिर गर्मी के मौसम में एक एक कदम दुश्वार हो जाता था। इसका बड़ा समाधान बनकर ई रिक्शा आया।

टूटती ही नहीं लाइन
2010 में ई रिक्शा मार्केट में इंट्रोड्यूज हुआ। मगर तब एक्का दुक्का ई रिक्शा नजर आते थे। टेक्निक आगे बढ़ी तो ई रिक्शा की खामियां दूर हुईं। इसके बाद शहर की गली गली ई रिक्शा नजर आने लगे। अब तो ये हाल है कि मोहल्लों की गलियों में ई रिक्शा पर सवारियां बैठी रहती हैं और कई कई ई रिक्शा लाइन से चलते रहते हैं। इनकी लाइन टूटती ही नहीं है।

मोहल्लों में जाम की समस्या
जितने ई रिक्शा शहर के सिविल लाइंस, कटरा, दारागंज, धूमनगंज, कोतवाली और अन्य प्रमुख मार्केट में हैं। उससे ज्यादा ई रिक्शा मोहल्लों की गलियों में घूमते रहते हैं। अब तो ये हाल है कि राहत बनकर आए ई रिक्शा आफत हो गए हैं। शुरुआत में शहरियों को ई रिक्शा की सवारी बहुत पसंद आई। थोड़ी दूर जाने के लिए भी शहरी ई रिक्शा पर बैठना पसंद करने लगे, मगर हाल फिलहाल जाम की समस्या का कारण ई रिक्शा होने लगे तो अब लोग पैदल चले जाना ज्यादा पसंद करने लगे हैं।

तय नहीं है कोई रूट
शहर में ई रिक्शा चलते दस साल से ज्यादा का समय बीत गया, मगर अभी भी ई रिक्शा का कोई रूट प्रमुख मार्गों के लिए तय नहीं हो सका है। यातायात विभाग भी ई रिक्शा को कंट्रोल नहीं कर पा रहा है। हाल ये है कि टेंपो टैक्सी स्टैण्डों पर ही ई रिक्शा वाले भी खड़े रहते हैं। नतीजा है कि कई चौराहे जाम के झाम में हमेशा फंसे रहते हैं। मगर यातायात विभाग ये नहीं तय कर पा रहा है कि किस रूट पर कितना ई रिक्शा चलाया जाए।

तय नहीं हो सका है रूट रेट
ई रिक्शा के लिए अभी तक रूट रेट तय नहीं किया जा सका है। ऐसे में ई रिक्शा चालक मनमाना किराया वसूल कर लेते हैं। मसलन जंक्शन से सिविल लाइंस बस अड्डा का किराया कोई दस रुपया लेता है तो कोई बीस रूपया। गोविंदपुर से तेलियगंज आने का किराया दस रुपये फिक्स है। मगर सुबह शाम सवारी की मजबूरी देखकर किराया बढ़ा दिया जाता है।