केन्द्रीय विद्यालय न्यू कैंट की शिक्षिका अंजलि गरीब बच्चों को शिक्षित करने की जगा रहीं अलख

वर्ष 2016 में पति के निधन के बाद संभाली संस्था विशाल संकल्प की जिम्मेदारी

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ALLAHABAD: समाज में नेक काम करना हर किसी के वश की बात नहीं होती है। अगर नेक काम के साथ ही गरीब बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया जाए तो सभ्य समाज में इससे बड़ा उदाहरण कुछ नहीं हो सकता है। अंजलि विशाल की सोच भी ऐसी ही है। पति के निधन के बाद विशाल संकल्प की बागडोर संभालने वाली केन्द्रीय विद्यालय की शिक्षिका अंजलि न केवल खुद की सैलरी से गरीब बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रही हैं, बल्कि उनकी टीम के 12 अन्य सक्रिय सदस्य भी अपनी आमदनी में समाज सेवा में सक्रिय योगदान दे रहे हैं।

108 कन्याओं को दिया गिफ्ट

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी पर संस्था ने एक अलग ही प्रयास किया। संस्था की ओर से बोट क्लब की बारादरी में कन्याओं का पूजन किया गया। अंजलि विशाल की अगुवाई में सदस्यों ने आसपास की मलिन बस्तियों की 108 कन्याओं का पांव पूजा और उन्हें भोजन का पैकेट व उपहार दिया। यही नहीं शिक्षा के उजियारे में लाने के लिए 108 बच्चों के अलावा 92 लड़कों को क्लास वन से लेकर फिफ्थ तक की किताब, कॉपी व पेंसिल भी दी। साथ ही उनके अभिभावकों को संकल्प दिलाया कि राष्ट्र निर्माण में अपने-अपने बच्चों को अवश्य शिक्षित करने का काम करेंगे।

हादसे ने बदला संस्था का नाम

समाज सेवा के कार्य में 'विशाल संकल्प' नाम की संस्था दस वर्षो से काम कर रही है। संस्था का यह नाम तब पड़ा जब अंजलि के पति का आकस्मिक निधन 2016 में हुआ। सड़क दुर्घटना में उनके पति का निधन हुआ था। तभी से अंजलि अपने पति के सपनों को साकार करने में जुटी हुई हैं। उसके पहले संस्था का नाम 'नारी शक्ति' था। इस नाम के जरिए मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहने वाली गरीब महिलाओं के बीच संस्था काम कर रही थी।

सभी देते हैं आमदनी का हिस्सा

संस्था की बागडोर संभालने वाली अंजलि विशाल की टीम में 12 सक्रिय सदस्य हैं। इनमें व्यापारी, इंजीनियर व छात्र शामिल हैं जो अपनी आमदनी में से कुछ न कुछ रुपया हर महीने जरुरतमंदों की सेवा करने के लिए बचा कर रखते हैं।

समर कैंप का हिस्सा बनेंगे बच्चे

संस्था की ओर से मलिन बस्तियों के बच्चों की जिंदगी में रंग भरने के लिए मई में एक बड़ा प्रयास किया जाएगा। अंजलि विशाल ने बताया कि बच्चों को किसी एक समर कैंप में एक महीने रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ा जाएगा। ताकि बच्चों को यह एहसास न हो कि दुनिया में उनके लिए कुछ भी नहीं है।