किमामी, मोटी सरबती, सूतफेनी की खास डिमांड

- ईद पर बनने वाली सेवाईयों की अपनी अलग होती है अहमियत

- सैकड़ों परिवारों को मिलता है दो महीने का रोजगार

- सेवइयां तैयार करने में लगते हैं लोग, कटिंग से लेकर पैकिंग तक होती जरूरत

ALLAHABAD: ईद त्यौहार को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इस पर्व पर खासतौर से बनने वाली सेवाईयों की जबरदस्त डिमांड है। सेवाईयों की वैरायटी भी बेहद खास होती है। इसमें किमामी या बनारसी सेवाईयों से लेकर मोटी सरबती, डिब्बा बंद व सूतफेनी शामिल हैं। सूत फेनी को छोड़ दें तो बाकी सेवाईयों की वैरायटी में कच्ची और भुनी दो तरह की सेवाईयां मार्केट में मौजूद हैं, जिनकी लोग खास तौर पर खरीदारी कर रहे हैं।

किमामी सेवाईयां हैं खास

सबसे बेहतर मानी जाने वाली किमामी सेवाईयों का रेट म्0 से 80 रुपए केजी है। जबकि मोटी सरबती सेवईयों के रेट फ्0 से भ्0 रुपए व डिब्बाबंद सेवाईयां 80 से 90 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से मार्केट में अवेलेबल हैं। सूतफेनी भी मार्केट में 80 से क्00 रुपए प्रति केजी के हिसाब से बिक रही हैं।

फैक्ट्रियों में तैयार होता है माल

शहर के अटाला क्षेत्र में आधा दर्जन फैक्ट्रियों में ईद से लगभग दो महीने पहले सेवईयों को तैयार करने का काम शुरू हो जाता है। वैसे सिर्फ शहर में ही इस सेवई तैयार करने के करीब सौ से अधिक कारखाने रात-दिन संचालित हो रहे हैं। जिससे लोगों की डिमांड के मुताबिक सेवाईयों की सप्लाई की जा सके। ईद ही नहीं रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, नागपंचमी, हरितालिका तीज पर भी सेवइयों का इस्तेमाल होता है। इस कारण सेवाईयों की डिमांड लगातार बढ़ती है। यही कारण है कि प्रत्येक फैक्ट्री में दर्जनों कारीगरों को लगाया जाता है। जो इनीशियल स्टेज यानी गेहूं खरीद से लेकर सेवई को मार्केट में पहुंचाने तक के कामों में इनवॉल्व होते हैं। हालांकि महीन काम मशीनों से ही होता जाता है। लेकिन मोटे काम के लिए व्यक्ति की जरूरत होती है। मैदा गूंथने से लेकर मशीन से सेवई तैयार करने का काम महीन की श्रेणी में आता है। तो इसकी कटिंग, पैकिंग और दुकानों तक पहुंचाने का काम हाथ से होता है।

तैयारी दो महीने पहले

फैक्ट्रियां चलाने वाले बताते हैं कि इसकी तैयारी दो महीना पहले से शुरू हो जाती है। तब कहीं जाकर हम अकेले रमाजन महीने की रिक्वॉयरमेंट पूरी कर पाते हैं। शहर की फैक्ट्रियों में तीन से चार हजार क्विंटल सेवईयां इन दो महीनों में तैयार होती है। शहर में स्थापित दो सौ से अधिक दुकानों के जरिए इस माल को बेचा जाता है। एक कंपनी के ओनर शहनवाज बताते हैं कि जुलाई व अगस्त माह में सेवई की सबसे ज्यादा खपत होती है। सेवाईयों का ये बिजनेस इस समय करोड़ों के टर्नओवर तक पहुंच चुका है। इतना ही नहीं ईद के सीजन में ये सैकड़ों परिवारों को रोजगार भी देने का काम करता है।

कई जिलों में होती है सप्लाई

अटाला स्थित एक सेवई फैक्ट्री के ओनर हसीम बताते हैं कि हमारा तैयार किया हुआ माल मध्य प्रदेश के कई शहरों में भी सप्लाई होता है। रीवां, सतना, कटनी आदि शहरों में ईद के मौके पर कई क्विंटल सेवई निर्यात की जाती है। फैक्ट्रियों के बीच सीजनली कॉम्पिटिशन बढ़ जाता है। इसके लिए वे मैनुफैक्चरिंग के दौरान सेवई में मैदे के अलावा कई चीजें मिक्स करते हैं। हालांकि बेहतर क्वालिटी की सेवई की कीमत अधिक होती है। मैदे में दूध मिलाकर तैयार होने वाली किमामी सेवई मार्केट में तीन से चार हजार रुपए कुछ की कीमत आठ हजार प्रति क्विंटल है।

खास बातें

- ईद चाहे जिस महीने में पड़े अप्रैल-मई में फसल कटने के बाद ही जुटा लिया जाता है बेसिक इंग्रीडिएंट्स

- रमजान शुरू होने से कम से कम दो महीने पहले बुक कर लिए जाते हैं कर्मचारी

- एक किलोग्राम मैदे से तैयार होती है आठ सौ ग्राम सेवई

- मुख्यत: तीन प्रकार की सेवई तैयार होती है कारखानों में

- इलाहाबाद से लगे एमपी के जिलों में भी होती है सप्लाई

- सेवई को सुखाना और उसकी कटिंग पैकिंग है ज्यादा चैलेंजिंग वर्क