- चालीस दिनों बाद भी नहीं हटाई जा सकीं प्रचार सामग्री
- अभी तक आधे ही जमा कराए जा सके लाइसेंसी असलहे
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- चालीस दिनों बाद भी नहीं हटाई जा सकीं प्रचार सामग्री
- अभी तक आधे ही जमा कराए जा सके लाइसेंसी असलहे
ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in
ALLAHABAD: आखिर जिस बात का डर था, वही हुआ। चालीस दिनों से शहर में चल रहा चुनाव सामग्री हटाने का अभियान अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। नियमानुसार अब जो सामग्री बची है उसका खर्च संबंधित प्रत्याशी के खाते में जुड़ेगा। इसका जिम्मेदार कौन है? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। सवाल यह भी खड़ा होता है कि चुनाव आचार संहिता का पालन कराने में और कितना टाइम लगेगा। लाइसेंसी असलहे जमा कराने में भी आधी सफलता ही मिल सकी है।
पांच टीमों के भरोसे है शहर
छह मार्च को लोकसभा चुनाव कार्यक्रम घोषित हुआ था। इसके बाद से शहर में लगी प्रचार सामग्री हटाए जाने का अभियान चलाया गया.अब तक चालीस दिन हो चुके हैं और इस अभियान में पूरी सफलता नहीं मिली है.ऑफिसर्स बताते हैं कि शहर में कुल पांच टीमों को इस काम में लगाया गया है। इसके अलावा तहसील वाइज एक-एक टीम भेजी गई है। चुनाव आचार संहिता के पालन में हो रही लेटलतीफी से बचने के लिए अभी तक एक्स्ट्रा टीमें भी नहीं लगाई जा सकी हैं।
अब तक पब्लिक प्रॉपटी से हटाई गई कुल सामग्री
वाल राइटिंग-1903
पोस्टर- 9162
बैनर- 3910
अन्य- 17365
अब तक प्राइवेट प्रापर्टी से हटाई गई कुल सामग्री
वाल राइटिंग- 456
पोस्टर- 806
बैनर- 413
अन्य- 217
पब्लिक हो रही परेशान
एक आरे आचार संहिता के पालन को लेकर तेजी से कार्रवाई चल रही है तो दूसरी ओर पब्लिक की परेशानी जस की तस बनी हुई है। सरकारी ही नहीं बल्कि प्राइवेट प्रापर्टी पर भी पोस्टर और स्टिकर चिपकाए जा रहे हैं। ऐसे काम अधिकतर रात के अंधेरे में होते हैं, जिससे मकान मालिकों को पता नहीं चल पाता। खासतौर से ऑन रोड मकानों के साथ ऐसी समस्याएं ज्यादा पेश आ रही हैं।
नहीं कर रहे असलहे सरेंडर
आंकड़ों पर जाएं तो जिले में लगभग 30 हजार लाइसेंसी असलहे हैं। इनमे ंसे अब तक 16222 लाइसेंस ही जमा कराए जा सके हैं। हालात यह हैं कि कई बार सूचनाएं देने के बावजूद लाइसेंसधारी आचार संहिता का पालन करने को तैयार नहीं हैं। यही आलम रहा तो चुनाव के दौरान शांति व्यवस्था पर खतरा मंडरा सकता है। कुछ लाइसेंसधारी तो थानों में टूट-फूट और कारतूस खराब हो जाने के डर से असलहे सरेंडर नहीं कर रहे हैं। अब इनसे आचार संहिता का पालन कराया जाना प्रशासन के लिए सिरदर्द बन चुका है।
लगानी पड़ी <आखिर जिस बात का डर था, वही हुआ। चालीस दिनों से शहर में चल रहा चुनाव सामग्री हटाने का अभियान अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। नियमानुसार अब जो सामग्री बची है उसका खर्च संबंधित प्रत्याशी के खाते में जुड़ेगा। इसका जिम्मेदार कौन है? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। सवाल यह भी खड़ा होता है कि चुनाव आचार संहिता का पालन कराने में और कितना टाइम लगेगा। लाइसेंसी असलहे जमा कराने में भी आधी सफलता ही मिल सकी है।
पांच टीमों के भरोसे है शहर
छह मार्च को लोकसभा चुनाव कार्यक्रम घोषित हुआ था। इसके बाद से शहर में लगी प्रचार सामग्री हटाए जाने का अभियान चलाया गया.अब तक चालीस दिन हो चुके हैं और इस अभियान में पूरी सफलता नहीं मिली है.ऑफिसर्स बताते हैं कि शहर में कुल पांच टीमों को इस काम में लगाया गया है। इसके अलावा तहसील वाइज एक-एक टीम भेजी गई है। चुनाव आचार संहिता के पालन में हो रही लेटलतीफी से बचने के लिए अभी तक एक्स्ट्रा टीमें भी नहीं लगाई जा सकी हैं।
अब तक पब्लिक प्रॉपटी से हटाई गई कुल सामग्री
वाल राइटिंग-क्90फ्
पोस्टर- 9क्म्ख्
बैनर- फ्9क्0
अन्य- क्7फ्म्भ्
अब तक प्राइवेट प्रापर्टी से हटाई गई कुल सामग्री
वाल राइटिंग- ब्भ्म्
पोस्टर- 80म्
बैनर- ब्क्फ्
अन्य- ख्क्7
पब्लिक हो रही परेशान
एक आरे आचार संहिता के पालन को लेकर तेजी से कार्रवाई चल रही है तो दूसरी ओर पब्लिक की परेशानी जस की तस बनी हुई है। सरकारी ही नहीं बल्कि प्राइवेट प्रापर्टी पर भी पोस्टर और स्टिकर चिपकाए जा रहे हैं। ऐसे काम अधिकतर रात के अंधेरे में होते हैं, जिससे मकान मालिकों को पता नहीं चल पाता। खासतौर से ऑन रोड मकानों के साथ ऐसी समस्याएं ज्यादा पेश आ रही हैं।
नहीं कर रहे असलहे सरेंडर
आंकड़ों पर जाएं तो जिले में लगभग फ्0 हजार लाइसेंसी असलहे हैं। इनमे ंसे अब तक क्म्ख्ख्ख् लाइसेंस ही जमा कराए जा सके हैं। हालात यह हैं कि कई बार सूचनाएं देने के बावजूद लाइसेंसधारी आचार संहिता का पालन करने को तैयार नहीं हैं। यही आलम रहा तो चुनाव के दौरान शांति व्यवस्था पर खतरा मंडरा सकता है। कुछ लाइसेंसधारी तो थानों में टूट-फूट और कारतूस खराब हो जाने के डर से असलहे सरेंडर नहीं कर रहे हैं। अब इनसे आचार संहिता का पालन कराया जाना प्रशासन के लिए सिरदर्द बन चुका है।
लगानी पड़ी RAF
RAF
नामांकन के पहले दिन ही राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने दल-बल का प्रदर्शन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बसपा और भाजपा के कैंडिडेट्स ने व्हीकल और समर्थकों समेत प्रतिबंधित एरिया में सेंध लगाकर अपने इरादे जता दिए। इसके चलते दोनों के खिलाफ कार्रवाई करने पर प्रशासन को मजबूर होना पड़ा। इतना ही नहीं नामांकन के बाकी दिनों में पुलिस बल बढ़ाने के साथ आरएएफ की भी तैनाती की गई। बावजूद इसके जुलूसों में नियम विरुद्ध भारी संख्या में समर्थकों का आना जारी है।
चुनाव आचार संहिता के पालन को लेकर लगातार कार्रवाई चल रही है। प्रचार सामग्री हटाने के लिए पर्याप्त संख्या में टीमों को लगाया गया है। अगर-अलग से कोई सामगी लगाई जाती है तो इसका खर्च संबंधित प्रत्याशी के खाते में जोड़ा जाएगा।
अशोक कुमार, एडीएम सिटी व नोडल ऑफिसर चुनाव आचार संहिता