प्रयागराज (ब्‍यूरो)। बहादुरगंज में लगभग किराना से जुड़ा हर सामान मिल जाता है। किराना के सामानों की बड़ी मंडी के रूप में बहादुरगंज का नाम जाना जाता है। यहां कारोबारी बड़े पैमाने पर कारोबार करते हैं। नब्बे फीसदी कारोबारी हेल सेल के हैं। हर घर दुकान और गोदाम है। ऐसे में मामूली चूक बर्बादी का सबब बन जाती है, अक्सर आग की घटनाएं इस इलाके में होती हैं तो फिर कारोबारियों को करोड़ों का झटका दे जाती हैं, मगर इसका कोई स्थायी रास्ता नहीं निकल पाता है।

बहादुरगंज में रामभवन चौराहा से लेकर गुड़मंडी तक सड़क के दोनों तरफ किराना की दुकानें हैं। पुराने शहर के इस बड़े हिस्से में कारोबारी अपने घरों के ऊपर के हिस्से में रहते हैं और नीचे के हिस्से में दुकान खोल रखी है या फिर गोदाम बना रखा है। जिसका नतीजा है कि आग की घटना होने पर जब तक दुकान या गोदाम में रखा सामान पूरी तरह से नष्ट नहीं हो जाता है तब तक आग को बुझा पाना मुश्किल रहता है, क्योंकि अंदर जाने का कोई दूसरा रास्ता होता नहीं है। सामने से आग को बुझा पाना बहुत ही टेढ़ी खीर है। यही मामला विनोद केसरवानी के साथ भी हुआ। दुकान में आग लगी तो अंदर जाने का कोई रास्ता नहीं था। दमकल कर्मी दूसरे तल से आंगन तक पहुंचे। मगर वहां से पानी की बौछार का कोई विशेष फायदा नहीं हुआ। नतीजा आग तभी थमी जब सब जलकर नष्ट हो गया।

चौक देख चुका है आग से बर्बादी
1 अप्रैल 2023 को नेहरू कांप्लेक्स में लगी थी आग
15 दुकानें हो गईं थी पूरी तरह नष्ट
35 दुकानों को हुआ था आग से नुकसान।
20 दमकल की गाडिय़ों ने बुझाई थी आग।
5 करोड़ का हुआ था व्यापारियों को नुकसान