लखनऊ में मऊ जिले के अजीत सिंह की हत्या में सामने आया था पूर्व सांसद का नाम

गिरफ्तारी के लिए जारी हो गया था वारंट, पुलिस ने घोषित कर दिया इनाम

एमपी-एमएलए कोर्ट में किया सरेंडर, कोर्ट के आदेश पर नैनी सेंट्रल जेल में किये गये दाखिल

पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह ने शुक्रवार को एमपी-एमएलए प्रयागराज की कोर्ट में सरेंडर कर दिया। 25 हजार के इनामी के कोर्ट में सरेंडर के लिए पहुंच जाने की पुलिस को हवा तक नहीं लगी। जब तक पुलिस को पता चला कोर्ट उनके बेल बांड निरस्त करने की अर्जी को नोटिस लेकर पूर्व सांसद को हिरासत में लिए जाने का आदेश दे चुकी थी। कोर्ट के आदेश पर उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में 14 दिन के लिए नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया। शाम को पुलिस ने उन्हें जेल में दाखिल भी करा दिया।

अजीत सिंह हत्याकांड से हुए थे इनामी

मूलरूप से जौनपुर जिले के रहने वाले धनंजय सिंह का नाम लखनऊ में हुए मऊ जिले के मूल निवासी अजीत सिंह की दिनदहाड़े हत्या में सामने आया था। आरोप है कि उन्होंने अजीत की हत्या करने वाले शूटरों को संरक्षण दिया था। इसी के आधार पर उनके खिलाफ लखनऊ में रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी। यह खुलासा होने के बाद पुलिस धनंजय को गिरफ्तार किये जाने के मिशन पर लग गयी थी। गिरफ्तारी से बचने के लिए धनंजय यहां-वहां शरण लेते रहे। इस बीच पुलिस ने उन पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया। इस कांड के एक आरोपित को पुलिस मुठभेड़ में ढेर कर चुकी है। अजीत की हत्या की साजिश रचने वाले आजमगढ़ जिले के माफिया कुंटू सिंह के मकान भी ढहाया जा चुका है। सूत्रों का कहना है कि इसी के चलते प्रेशर बना और धनंजय ने सरेंडर कर दिया। अब उनसे पूछताछ के लिए पुलिस को रिमांड पर लेना होगा। वह भी कोर्ट के आदेश से ही मिलेगा।

तोड़ दी बेल बांड में मेंशन शर्ते

जौनपुर के खुटहन थाने में छह नवंबर 2017 को एक मामला दर्ज हुआ था। इस मुकदमें 147, 148, 323, 504, 506, 332, 353 सहित अन्य धाराएं लगाई गई थीं। इसमें धनंजय सिंह को भी नामजद किया गया था। जिला शासकीय अधिवक्ता अपराध की मानें तो इस केस में बरना भगवतपुर बम्हरौली के आशुतोष शर्मा पुत्र मोहन लाल ने धनंजय की जमानत मंजूर होने पर बेल बांड दाखिल किया था। इसी जमानतदार आशुतोष ने एमपीएमएलए कोर्ट में धनंजय सिंह की जमानत वापस लेने की अर्जी दी थी। जमानत वापस लेने का कारण जो उन्होंने कोर्ट में दाखिल की गयी अर्जी में बताया, वह इस प्रकार है, 'विभिन्न माध्यमों से उसे मालूम हुआ है कि धनंजय सिंह का नाम किसी अन्य अपराध में सामने आया है। उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हो चुका है। पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए 25 हजार रुपये का ईनाम भी घोषित है। उसने धनंजय की जमानत इस शर्त पर ली थी कि वह किसी दूसरे अपराध में लिप्त नहीं होंगे। नए केस से साबित हो गया है कि उन्होंने शर्तो का उल्लंघन किया है। इसके चलते वह अपनी जमानत वापस लेना चाहता है। वह अब धनंजय सिंह का जमानतदार नहीं रहना चाहता'। इस आवेदन को जमानत निरस्त किये जाने का पर्याप्त आधार मानते हुए कोर्ट ने धनंजय सिंह को न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया। कोर्ट ने कोर्ट मोहर्रिर को आदेशित किया कि अभियुक्त धनंजय सिंह को नियमानुसार जेल में दाखिल करना सुनिश्चित किया जाय। कोर्ट द्वारा अगली सुनवाई के लिए एक अप्रैल की तारीख भी मुकर्रर की गई है।

क्या हुआ था 6 नवंबर 2017 को

6 नवंबर 2017 को खुटहन थाने में कुंवर हरिवंश सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। तहरीर के मुताबिक खुटहन ब्लाक प्रमुख सरजू देवी के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव लाया गया था। वादी की बहू नीलम सिंह क्षेत्र पंचायत की सदस्य होने के नाते उसके साथ खुटहन गई थी। आरोप है कि पूर्व सांसद ललई यादव के ललकारने पर धनंजय सिंह, नवीन सिंह, बृजेश सिंह उर्फ प्रिन्सू आदि जान से मारने की नियत से फायरिंग करने लगे। उसके वाहन को क्षतिग्रस्त कर जला दिया। साथ आई महिलाओं के आभूषण लूट लिए?

इनकाउंटर का डर था धनंजय को!

सीएम योगी आदित्यनाथ इन दिनों अपराधियों के खिलाफ सख्त हैं। इसकी का नतीजा है कि पूरे प्रदेश में पूर्व माफियाओं और अपराधियों का नेटवर्क ध्वस्त करने में लगी हुई है। यूपीएसटीएफ पिछले 48 घंटों के भीतर प्रयागराज में दो फुल, सिद्धार्थनगर और भदोही जिले में एक-एक हाफ इनकाउंटर कर चुकी है। शुक्रवार को धनंजय के कोर्ट में सरेंडर करने के बाद चर्चा रही कि पुलिस कार्रवाई के डर से ही धनंजय ने खुद ही सेटिंग करके बेल बांड कैंसिल कराया है। खुद जेल चले जाने से वह कोर्ट की निगरानी में आ गया है। इससे पुलिस अब उसे टॉचर्स नहीं कर सकेगी।

प्लांड थी बेल बांड निरस्त करने की अर्जी

कोर्ट में परिस्थितियां क्रिएट करके धनंजय ने भले ही यह साबित करने का प्रयास किया हो कि सब कुछ अचानक हुआ है, लेकिन यह तथ्य किसी के भी गले के नीचे नहीं उतरता। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी गुलाब चंद्र अग्रहरी बताते हैं कि बेल बांड कैंसिल करने के लिए एमपी-एमएलए कोर्ट में अर्जी शुक्रवार को ही दाखिल की गयी थी। अर्जी दाखिल किये जाने के समय धनंजय खुद शहर में पहुंच चुका था। इन फैक्ट वह कोर्ट प्रिमाइस में पहुंच चुका था। उसके साथ कई वकील भी थे। चर्चा रही कि वह वकील की ड्रेस में कोर्ट पहुंचा था। लेकिन, कहीं से इसकी पुष्टि नहीं हो पायी।

क्या है लखनऊ का पूरा प्रकरण

छह जनवरी 2021 को लखनऊ के विभूखंड इलाके में मऊ जिले के पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह की गोली मारकर हत्या की गई थी।

तफ्तीश के दौरान पुलिस ने दावा किया था कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने शूटरों की मदद की थी।

इस वारदात का मुख्य शूटर गिरधारी विश्वकर्मा एनकाउंटर में मारा जा चुका है।

एनकाउंटर में गारे गए गिरधारी से धनंजय की लखनऊ पुलिस द्वारा नजदीकियां पाई गई हैं।

पुलिस रिपोर्ट के आधार पर सीजेएम लखनऊ की कोर्ट से धनंजय सिंह के खिलाफ एनबीडब्लू जारी है।

गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद से पुलिस ने धनंजय को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी शुरू कर दी थी।

कोर्ट ने सुरक्षा पर उठाये थे सवाल

दो बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके धनंजय को पूर्व में सरकार की तरफ से सुरक्षा भी उपलब्ध करायी गयी थी। यह मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा था। कोर्ट में दाखिल मामले में 2017 के चुनाव में जौनपुर से निषाद पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर धनंजय की तरफ से जमा किए गए शपथपत्र को तुलनात्मक रूप से आधार बनाया गया था। शपथ पत्र में उन्होंने सिर्फ तीन गंभीर आपराधिक मुकदमे होने का जिक्र किया था। इनमें हत्या, सबूत मिटाने और अपराध के लिए उकसाने जैसे आरोप थे। एक साल बाद मई 2018 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धनंजय को मिली वाई सिक्योरिटी के खिलाफ दायर हुई एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य पुलिस से पूछा कि 24 से ज्यादा आपराधिक मामले वाले नेता की सुरक्षा में सरकारी अमला क्यों लगाया जा रहा है? कानूनी दस्तावेजों के साथ दाखिल की गई जनहित याचिका में उनके खिलाफ कुल अपराधों की संख्या 24 बताई थी। इसमें हत्या के 7 मामले शामिल थे।

मुन्ना बजरंगी की हत्या में भी आया था नाम

जरायम की दुनिया में कदम रखने से पहले बाहुबली धनंजय सिंह ने 90 के दशक में अभय सिंह के साथ लखनऊ विश्वविद्यालय में ही दबंगई का ककहरा सीखा। बाद में दोनो की महत्वाकांक्षा बढ़ने के साथ एक-दूसरे से दूरी हो गयी और दोनों एक-दूसरे के दुश्मन हो गये। इसकी बानगी वाराणसी के नदेसर में हुई शूटआउट के दौरान देखने को मिली थी जबकि अभय सिंह ने धनंजय पर हमला करवाया था। बीच में एक समय ऐसा भी आया था जब धनंजय के एसटीएफ द्वारा इनकाउंट में मार गिराने की अफवाह फैल गयी। बाद में धनंजय ने खुद प्रकट होकर इस अफवाह को खारिज कर दिया। जुलाई 2018 में बागपत जेल में मारे गए मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने अपने पति की हत्या की साजिश का आरोप धनंजय सिंह पर लगाया था।

फोटो खींचने पर पीटे गये पत्रकार

शुक्रवार को एमपी-एमएलए कोर्ट में धनंजय की फोटो खींचने पर हंगामा खड़ा हो गया। वकील का कोट पहनकर कोर्ट पहनकर पहुंचे धनंजय की फोटो क्लिक करने के लिए फोटोग्राफर लग गये थे। कोर्ट के भीतर फोटो खींचने पर धनंजय के साथ रहने वालों ने आपत्ति दर्ज करायी। इसके बाद भी कैमरे के साथ दिख जाने पर दो लोगों की पिटायी भी हुई। इसमें एक चैनल का रिपोर्टर भी था।

पूर्व सांसद धनंजय सिंह को लखनऊ पुलिस मर्डर के एक केस में तलाश कर रही थी। उसके खिलाफ गैर जमानत वारंट भी जारी था। पकड़े जाने के पूर्व वे यहां एमपीएमएलए कोर्ट में सरेंडर कर दिया।

गुलाबचंद्र अग्रहरि

जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी