- ट्रेजरी ऑफिस में लगी रही भीड़, अंतिम दिन पहुंचे दो हजार बिल

- अंतिम समय में कई विभागों को मिली ग्रांट ने बढ़ाई टेंशन

- बैंकों में देर रात तक हुआ काम

ALLAHABAD: 31 मार्च यानी वित्तीय वर्ष का अंतिम दिन जिला कोषागार समेत बैंकों के लिए सिरदर्द बना रहा। बैंकों में अफीशियल कामों का बोझ था तो कोषागार में सरकारी ग्रांट के बिलों को पास कराने के लिए माथापच्ची रही। सुबह से शाम तक यहां काम चलता रहा।

अंतिम समय में सरकार को आई याद

अंतिम समय में विभागों को करोड़ों रुपए की ग्रांट उपलब्ध कराई गई। इन पैसों को कैश कराने के लिए विभागीय कर्मचारी और अधिकारी पहुंच गए जिला कोषागार और लगा दी लंबी लाइन। कृषि विभाग को अपने एक करोड़ का बिल पास कराना था तो एमएलएन मेडिकल कॉलेज को नौ मदों में मिला करोड़ों रुपए को उपलब्ध कराने का प्रेशर था। अन्य विभागों के दो हजार से अधिक बिल गुरुवार को कोषागार में पहुंचे।

बढ़ाए गए काउंटर

जिला कोषागार ने सरकारी विभागों के बिलों को पास कराने के लिए 30 और 31 मार्च को जमकर बिल लगाए। यही कारण था कि कोषागार के अधिकारियों को वर्क प्रेशर रिलीज करने के लिए कुल 11 काउंटर बनाने पड़े।

क्योकि हर चेक जरूरी होता है

कमोबेश यही हाल बैंकों का भी रहा। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मेन ब्रांच में गुरुवार को करीब सौ करोड़ रुपए से अधिक के सरकारी चेक का ट्रांजेक्शन किया गया। एसबीआई गवर्नमेंट बिजनेस ब्रांच के चीफ मैनेजर एचआर पांडेय ने बताया कि विभागों द्वारा लगाए गए चेकों के भुगतान का काम चल रहा है।

-----

नेट बैंकिंग की राह चले विभाग

31 मार्च को बैंकों में होने वाली मारामारी से बचने के लिए कुछ विभागों ने नेट बैंकिंग का रास्ता भी अख्तियार किया। बैंक अधिकारियों का तर्क है कि नेट बैंकिंग की वजह से काउंटर पर भीड़ कम रही। उन्होंने माना कि आने वाले दो सालों में नब्बे फीसदी विभाग नेट बैंकिंग पर निर्भर हो जाएंगे।

सेंट्रलाइज्ड क्लीरियरिंग से राहत

चीफ मैनेजर एचआर पांडेय ने बताया कि एसबीआई ने वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन भीड़ से निजात पाने के लिए सेंट्रल क्लीयरिंग प्रोसेसिंग सेल बनाई है। जिसका काम सरकारी और प्राइवेट सेक्टर्स के चेकों का ट्रांजेक्शन करना है। इसकी वजह से इस साल बैंक को काफी राहत मिल रही है।