प्रयागराज ब्यूरो । आप शहर की किस सड़क पर खड़े हैं। इसे जानने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। हाल ये है कि शहर में सड़कों के अगल बगल कोई ऐसा बोर्ड नहीं लगा मिलेगा जिसमें उस सड़क का नाम लिखा होगा। और अगर सड़क का नाम लिखा बोर्ड मिल जाए तो फिर गनीमत समझिए। यातायात संभालने की जिम्मेदारी यातायात विभाग की है। मगर यातायात विभाग इसमें कोई इंटरेस्ट नहीं लेता है। आरटीओ कार्यालय वैसे भी साइलेंट मोड में रहता है। बचा नगर निगम तो उसके पास कामों की कमी नहीं है। ऐसे में शहर की सड़कें अपनी पहचान अपना नाम मांगते मांगते थक चुकी हैं पर कोई भी नहीं है जो सड़कों के किनारे उनका नाम लिखा बोर्ड लगवा दे।

प्रमुख सड़कों का नाम बता पाना मुश्किल
हाल ये है कि शहर की प्रमुख सड़कों के किनारे भी उनके नाम का बोर्ड नहीं लगा है। स्टेनली रोड पर सिविल लाइंस से लेकर तेलियरगंज तक चले जाइए। बीच में अगल बगल कई मोहल्ले मिलेंगे। कॉलोनी मिलेगी। मगर बोर्ड केवल म्योराबाद के पास मिलेगा। अब ऐसे में किसी को सड़क का नाम पता करके कहीं जाना हो तो उसके लिए पूरी मुश्किल हो जाएगी। उसे चार दफा अगल बगल वालों से सड़क का नाम पूछना पड़ेगा। उस पर भी तुर्रा कि शायद पूछने वाले भी सड़क का नाम बता पाएं। क्योंकि जरुरी नहीं कि जिनसे सड़क का नाम पूछा जा रहा है उन्हें नाम पता ही हो।

हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला
सोहबतियाबाग में संगम पेट्रोल पंप से जार्जटाउन थाना चौराहा, प्रीति नर्सिंग होम होते हुए कंपनी बाग गेट तक जाने वाली सड़क को लेकर जमकर बवाल हो चुका है। इस सड़क को लोग सीवाई चिंतामणि रोड के नाम से जानते हैं। इस रोड पर नाम का बोर्ड कहां लगा है ये भगवान ही जाने। खैर, इस सीवाई चिंतामणि रोड का नाम बदलकर पूर्व मेयर रवि भूषण बधावन के नाम पर कर दिया गया। जिस पर मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया। नामकरण नगर निगम से कराया गया था। मामले में हाईकोर्ट ने नगर निगम को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सीवाई चिंतामणि रोड का नाम बदलने पर फटकार लगाई थी।

ये देख लीजिए उदाहरण
- अलोपीबाग मंदिर चौराहा से लेबर चौराहा के आगे तक की रोड को मटियारा रोड कहा जाता है। जबकि इस सड़क का नाम शहीद चंद्रशेखर आजाद रोड है। मगर कहीं भी बोर्ड नहीं लगा।
- अल्लापुर पुलिस चौकी से पटेल चौराहा होते हुए जवाहर लाल नेहरू रोड तक जाने वाली सड़क का नाम शहीद सुभाष चंद्र रोड है। मगर कहीं भी बोर्ड नहीं लगा।
- कुंदन गेस्ट हाउस से बाघंबरी गद्दी रोड तक जाने वाली सड़क को लोग अस्सी फीट रोड कहते हैं। जबकि इस रोड का नाम राजेंद्री बाजपेयी मार्ग है। कहीं भी बोर्ड नहीं लगा।
- संगम पेट्रोल पंप से चिल्ड्रेन हॉस्पिटल तक एलआईसी कालोनी होते हुए जाने वाली सड़क का नाम एलआईसी रोड है। मगर कहीं बोर्ड नहीं लगा है।
- यूनिवर्सिटी गल्र्स हास्टल से एलनगंज होते हुए हाशिमपुर चौराहा तक जाने वाली सड़क का क्या नाम है पता नहीं। बोर्ड तो लगा ही नहीं।
- महात्मा गांधी रोड से स्वरूपरानी नेहरू मेडिकल अस्पताल तक जाने वाली रोड का नाम शहीद रोशन सिंह मार्ग है। मगर कहीं बोर्ड नहीं लगा है।

केवल जगह के लगाए बोर्ड
सड़कों किनारे चौराहों के पास केवल प्रमुख स्थानों के बोर्ड लगाए गए हैं। जैसे, महाराणा प्रताप चौराहे के पास एक बोर्ड लगा है। जिसमें एरो बनाकर बताया गया है कचहरी रोड, मनमोहन पार्क, लोकसेवा आयोग, ट्रैफिक चौराहा। अब ये स्थान किस रोड पर है। इसका जिक्र करना बोर्ड में जरुरी नहीं समझा गया है।



सड़कों का नामकरण है तो उनका बोर्ड लगा होना चाहिए। ताकि पब्लिक को सुविधा हो सके। शहर की सड़कों पर बोर्ड नहीं लगे हैं तो इसकी जांच कराई जाएगी। बोर्ड लगवाने के लिए संबंधित विभाग को पत्र भेजा जाएगा।
शिवराम सिंह, एडीसीपी ट्रैफिक


सड़कों के नामकरण को लेकर बोर्ड लगवाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। मगर नगर निगम कहीं भी बोर्ड नहीं लगवा रहा है। मौजूदा सत्र में अभी तक सड़कों के नामकरण के लिए कोई कमेटी तक गठित नहीं की जा सकी है। मैंने खुद कई सड़कों का नामकरण कराया है, मगर अभी तक बोर्ड नहीं लगा है।
शिवसेवक सिंह, वरिष्ठ पार्षद