बैक स्टेज संस्था की ओर से 'खारू का खरा किस्सा' का मंचन

कलाकारों ने अपनी प्रतिभा से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

ALLAHABAD: जिजीविषा, सब कुछ बचा ले जाने की चाहत के बीच प्रेम, जीवन की झोंक देने के साहस के बीच इंसान के पाशवीकरण के सशक्त बिंबों के रंग मंगलवार को एनसीजेडीसीसी में देखने को मिले। बैक स्टेज संस्था की ओर से उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र में नाटक 'खारू का खरा किस्सा का मंचन किया गया। इसमें जीवन के संघर्षो को बेहद खास अंदाज में प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर दर्शकों ने भी तालियां बजाकर कलाकारों के अभिनय की जमकर तारीफ की।

निर्मम फैसलों के द्वंद ने तोड़े कई मिथक

नाटक की कहानी गरीब और अभावों के बीच अलग-अलग आयामों को प्रदर्शित करती दिखी। कहानी की मुख्य पात्र खारू के पिता का खारू की जिंदगी के लिए कटार लेकर और अभी हाल में ही खरीदा जूता बेचने के लिए देकर भेडि़यों के बीच कूद जाने की घटना एक पीढ़ी को चेहरा दिखाने वाली कहानी है। जहां एक व्यक्ति मरने से पहले वो सब कुछ बचा लेना चाहता है, जो उसकी अगली पीढ़ी में काम आए। कहानी में दुनिया का वो खौफनाक तर्क भी दिखा, जिसके हिसाब से औरत एक सामान से ज्यादा कुछ नहीं। कहानी में मौत के मुंह पर थूक कर जीते खारू के बहाने अभावग्रस्त जिंदगी की उन तमाम जानलेवा स्थितियों का भी चित्रण दिखा जिसमें इंसान से जीवन के सारे कोमल चिन्ह मिटा देती है। प्रवीण शेखर के निर्देशन में कलाकारों ने सभी पात्रों को अपने शानदार अभिनय से स्टेज पर जीवंत कर दिया। इसे दर्शकों ने खूब सराहा।