प्रयागराज ब्यूरो । आज दीपावली का पर्व है। इस दिन लक्ष्मी-गणेश का विधि विधान से पूजन करने पर सालभर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। यह पूजा शुभ मुहूर्त में की जाती है। इस बार भी रविवार को लगभग दो घंटे का मुहूर्त है। इससे पहले शनिवार को छोटी दीवाली के मौके पर लोगों ने अपने घर में यम की पूजा की और अकाल मृत्यु से परिवार के सदस्यों को बचाने के लिए घर दिया जलाया। इसके अलावा बाजार में पटाखे और मिठाई की जमकर बिक्री की गई।

कब से शुरू हो रही अमावस्या तिथि

वर्ष में कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को श्रेष्ठतम माना जाता है। इस बार यह तिथि 12 नवंबर को दोपहर 2:44 बजे से शुरू होकर 13 नवंबर दोपहर 2:56 बजे तक रहेगी। ऐसे में दीपावली का पर्व रविवार को मनाया जा रहा है। दीपावली को महालक्ष्मी की पूजा-आराधना करके अपने कार्यो को सिद्ध किया जा सकता है। दीपावली के दिन ही भगवान श्रीराम माता सीता और भाई लक्ष्मण सहित रावण का वध करने के पश्चात अपना वनवास समाप्त कर वापस अयोध्या लौटे थे। शक्ति की आराधना के लिए भी दीपावली को सर्वोत्तम माना गया है। लोग सुख-समृद्धि और धन की कामना के लिए दीपावली पर माता लक्ष्मी का स्वागत करते हैं और इसके घर को सजाते हैं और चारों ओर उजाला फैलाकर अंधेरे को दूर करते हैं।

कैसे करें लक्ष्मी-गणेश पूजन

- दीपावली पर प्रदोष बेला से लेकर पिशाच बेला के आरंभ से पहले महालक्ष्मी पूजा का विधान है। इस बार पिशाच बेला रात दो बजे से लग रही है। पूजा के लिए लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और इस पर साबुत अक्षत की एक परत बिछा दें। अब श्री लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को विराजमान करें और पूजन सामग्री के साथ उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। जल कलश व अन्य पूजन सामग्री जैसे-खील पताशा, सिन्दूर,गंगाजल, अक्षत-रोली, मोली, फल-मिठाई, पान-सुपारी, इलाइची आदि पूजन सामग्री उपलब्ध होनी चाहिए। इसे भी उत्तर पूर्व दिशा में रखें। गणेशजी के पूजन में दूर्वा, गेंदा और गुलाब के फूलों का होना आवश्यक है। पूजा स्थल के दक्षिण-पूर्व की तरफ घी का दीप जलाते हुए मंत्रो का जाप करना चाहिए। देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के लिए भोग में खीर, बूंदी के लड्डू, सूखे मेवे या फिर मावे से बनी हुई मिठाई अर्पित करें व आरती उतारें। पूजन कक्ष के द्वार पर सिन्दूर या रोली से दोनों तरफ स्वास्तिक बना देने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करती हैं।

माता लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त- 12 नवंबर की शाम 5:38 से 7:38 बजे तक

निशिता काल मुहूर्त - 12 नवंबर की रात 11:35 से 13 नवंबर रात 12:32 बजे तक

प्रदोष काल - शाम 5:29 बजे से 8:08 बजे तक

वृषभ काल- शाम 5:39 से 7:35 बजे तक

बाजार में छाई रही रौनक

वहीं शनिवार को छोटी दीपावली पर शनिवार को बाजार में रौनक छाई रही। लोगों ने कपड़े, मेवे, गिफ्ट की खरीदारी के साथ मिठाई और पटाखों की अधिक खरीदारी की। चौक, सिविल लाइंस, कटरा, अल्लापुर, मुट्ठीगंज सहित तमाम एरिया में देर रात तक दुकानों में ग्राहकों की भीड़ लगी रही। वहीं छोटी दीवाली पर यम की पूजा भी विधि विधान से की गई। लोगों ने घर में सरसों के तेल का दिया भी जलाया।

वर्ष की कार्तिक अमावस्या की तिथि पर दीपावली के पर्व का आयोजन किया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश का पूजन कर हम अपने कार्यों को सिद्ध कर सकते हैं। महालक्ष्मी को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया जा सकता है। पूजन शुभ मुहूर्त में विधि विधान से करना चाहिए।

आचार्य बालकृष्ण त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य