प्रयागराज ब्यूरो । जैसे जैसे ठंड कम हो रही है, वैसे वैसे हेल्दी सीजन जा रहा है। ऐसे में लापरवाही से बचना जरूरी है वरना बीमार होने के मे ंदेर नही लगेगी। इस समय अस्पतालों में सदीँ, जुकाम और बुखार के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। यह मरीज लगभग सभी एजग्रुप के हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि बदलते मौसम की वजह से फ्लू को फैलने में मदद मिल रही है। बेहतर हो कि लोग मौसम के झांसे में आने से बचें।

बीमारी का सबसे बड़ा कारण

जनवरी में भीषण ठंड रही और तीन सप्ताह तक लोगों को भगवान सूर्य के दर्शन नसीब नही हुए। फरवरी में पुन: तेज धूप निकलने लगी है। ऐसे में दिन में गर्मी और रात में गलन हो रही है। जिससे लोग चकमा खा रहे हैं। अनजाने में लोग हल्का कपड़ा पहनकर घर से बाहर निकल रहे हैं। जिससे वह बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। यह सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा बाजार का खानपान और दूषित जल का सेवन करना भी संक्रमण का कारण बना हुआ है।

शुरुआत के दो दिन मिलता है इंडीकेशन

फ्लू फैलने के दौरान व्यक्ति मे ंकई तरह के लक्षण नजर आने लगते हैं। शुरुआती दो दिनों में सिर दर्द और हल्की खांसी आती है। इस दौरान अगर प्रिकाशन नही बरता तो तीसरे दिन तेज जुकाम और चौथे दिन फीवर आ जाता है। इसके बाद रोगी को ठीक होने में तीन से पांच दिन लग जाते हैं। डॉक्टर्स का कहनाह कि जिस तरह से मौसम चेंज हो रहा है, आने वाले समय में सर्दी, जुकाम, बुखार के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होती रहेगी।

इस तरह से हो सकता है बचाव

- दिन के समय भी गर्म कपड़े पहने रहें।

- ठंडा पानी पीने से बचें।

- बाजार का खानपान बिल्कुल यूज न करें।

- शुरुआती लक्षण आने पर तत्काल मेडिसिन लें।

- किसी भी संक्रमित व्यक्ति के पास जाने से बचें।

- बार बार खांसी आ रही है तो मास्क का यूज करें।

हर पांचवें व्यक्ति को शिकायत

पिछले एक सप्ताह से सकंक्रमण के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। ये कह लें कि ओपीडी में आने वाले हर पांचवें व्यक्ति में यह लक्षण सामने आ रहे हैं। बेली, काल्विन और एसआरएन अस्पताल में ओपीडी में डॉक्टर्स मरीजों को मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं। सबसे ज्यादा बच्चे और बुजुर्ग मौसमी बीमारी से परेशान हो रहे हैं। पांच साल से छोटे बच्चों में अधिक लक्षण पाए जा रहे हैं।

मौसम फिर से बदल रहा है। ऐसे में फ्लू का फैलना लाजिमी है। एक बार चपेट में आने के बाद मरीज पांच से सात दिन तक परेशान होता है। बेहतर होगा कि शुरआती लक्षण आने पर ही इलाज शुरू करा दिया जाए।

डॉ। डीके मिश्रा, फिजीशियन

हेल्दी सीजन के दौरान अस्पताल में मरीज कम होते हैं लेकिन जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है, मौसमी बीमारी के मरीजों की ंसख्या में इजाफा हो रहा है।

डॉ। एमके अखौरी, अधीक्षक, बेली अस्पताल