प्रयागराज (ब्‍यूरो)। एक-एक दिन करके लोक सभा चुनाव की डेट नजदीक आती जा रही है। ऐसे में युवाओं में अपने मुद्दों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। राजनीतिक दल अपने मुद्दों को लेकर मैदान में उतरने को बेताब हैं तो वहीं युवाओं के मुद्दे बिल्कुल साफ हैं। युवाओं को रोजगार, सुरक्षा, स्वास्थ्य, न्याय और शिक्षा चाहिए। युवा अब राजनीति दलों के चक्कर में नहीं फंसना चाहते हैं। युवा उसी राजनीति पार्टी को वोट करना चाहते हैं जो उनके मुद्दों की बात करती हो। युवाओं का कहना है कि जमाना बदल रहा है। उन्हें राजनीतिक दलों की घमासान में नहीं फंसना है। उन्हें अपने मुद्दों को पूरा करने वाली सरकार चाहिए। रविवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम राजनी-टी कैंपेन के छठवें दिन चौक एरिया में पहुंची। वहां पर युवाओं ने अपनी बेबाक राय रखी। यूं तो मुद्दे तो कई उठे, मगर सबकी एक राय रोजगार के मुद्दे पर रही। सबने एक स्वर से कहा, मजबूत सरकार चाहिए, पेपर न लो लीक गारंटी चाहिए।

युवाओं ने बताए ये मुद्दे
- अपने हितों को साधने वाले राजनीतिक दलों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
- चुनाव आयोग को ऑन लाइन वोटिंग व्यवस्था करनी चाहिए।
- स्टार्टअप की व्यवस्था को और तेज करना चाहिए।
- महिला सुरक्षा कानून घटना होने के बाद काम आता है। घटना न होने पाए ऐसी व्यवस्था चाहिए।
- राजनीति से अपराधीकरण को दूर करना चाहिए।
- प्राइवेट अस्पताल और शिक्षण संस्थानों की फीस का मानक होना चाहिए।
- युवाओं में स्क्लि डेवपमेंट वाली एजुकेशन प्रणाली को डेवलप करना चाहिए।
- सरकारी डिपार्टमेंट के अलावा हर जिले में आबादी के लिहाज से कारखाना लगना चाहिए।
- हर व्यक्ति के लिए वोटिंग कंपल्सरी करना चाहिए।
- वोटिंग भयमुक्त होनी चाहिए।
- अपराधिक केस वाले नेताओं के चुनाव लडऩे पर पाबंदी होनी चाहिए।
- चुनाव लडऩे की उम्र तय होनी चाहिए।
- आबादी पर कंट्रोल के लिए नियम बनना चाहिए।
- महिला सुरक्षा कानून से ज्यादा जरुरी महिला सुरक्षा है।
- हर बात पर टैक्स की व्यवस्था को खत्म करना चाहिए।

वन विंडो सिस्टम लागू हो
युवाओं का कहना है कि हर समस्या के समाधान के लिए वन विंडो सिस्टम बनना चाहिए। ताकि किसी भी समस्या को लेकर लोगों को भटकना न पड़े। फिर चाहे कानून व्यवस्था हो, स्वास्थ्य व्यवस्था हो या फिर शिक्षा व्यवस्था हो। शिकायतों के समाधान के लिए भी पारदर्शी व्यवस्था होनी चाहिए। वर्तमान में शिकायत के बाद भी जिम्मेदार कर्मचारी, अफसर मनमानी रिपोर्ट लगा देते हैं। जिससे पीडि़त को परेशान होना चाहिए।

न्याय आपके द्वार
युवाओं का कहना है कि आज की सबसे ज्यादा जरुरत लंबित शिकायतों के त्वरित समाधान की है। चाहे जैसे भी समस्या हो। शिकायत होने पर उसके त्वरित समाधान की कोई व्यवस्था नहीं है। किसी को भी अपनी समस्या के समाधान के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। इसके लिए सरकार को न्याय आपके द्वार जैसी कोई स्कीम लानी चाहिए। और इस व्यवस्था के लिए पूरा सिस्टम अलग से बनाना चाहिए। हाल ये रहता है कि जिस सिस्टम को लेकर शिकायत रहती है, उसकी सिस्टम के लोग जांच करते हैं। ऐसे में न्याय की उम्मीद बेमानी है।

सबके लिए वोटिंग हो मस्ट
चुनाव आयोग को पहल करते हुए ऑन लाइन वोटिंग और हर व्यक्ति के लिए वोटिंग मस्ट कर देना चाहिए। ताकि लोग जिम्मेदार बन सकें। देश के आजादी के लंबे समय के बाद भी वोटिंग प्रतिशत बहुत कम रहता है। वोट न देने को भी अपराध की श्रेणी में लाकर लापरवाही बरतने वालों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

नेताओं का तय हो रिटायरमेंट
युवाओं का कहना है कि जब वोट देने के लिए 18 वर्ष की उम्र तय की गई है। सरकारी नौकरी में रिटायरमेंट की उम्र तय है तो फिर राजनीति में भी नेताओं की रिटायरमेंट की उम्र तय होनी चाहिए। जबकि अपने देश में नेता मरते दम तक राजनीति को नहीं छोड़ते हैं। इससे युवाओं को राजनीति में अच्छे पदों पर पहुंचने का मौका नहीं मिल पाता है।

शिक्षा, स्वास्थ्य हो मुफ्त
युवाओं का कहना है कि शिक्षा और स्वास्थ्य मुफ्त होना चाहिए। ताकि हर तबके लोग अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ ले सकें। युवाओं ने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों के लिए एक शुल्क निर्धारित होना चाहिए। सुविधाओं के नाम पर वसूली पर रोक लगनी चाहिए।

पहली बार देंगे वोट
इस बार लोकसभा चुनाव में मैं पहली बार वोट दूंगा। मैं उसी प्रत्याशी का चयन करुंगा जो युवाओं के मुद्दों की बात करेगा। फिर चाहे वो किसी भी दल का हो। प्रयास रहेगा कि युवा प्रत्याशी को वोट दूं।
अक्षर सिडाना

मौजूदा समय में देश में सबसे बड़ी आबादी युवाओं की है। युवा नौकरी चाहता है, अपना काम चाहता है। मगर काम करने में दिक्कत है। नौकरी की हालत बदतर है। ऐसे में गार्जियन पर भार पड़ता है। युवा को नौकरी न मिले तो उसे युवा पेंशन मिलना चाहिए।
आशीष टंडन

हर युवा अपने पैर पर खड़ा होना चाहता है। मगर आज के दौर में न तो नौकरी आसान है और न ही व्यापार। ऐसे में जीविकोपार्जन के मुद्दे को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए। सरकार को युवाओं की मदद के लिए बजट निर्धारित करना चाहिए।
शुभम चोपड़ा

महिला सुरक्षा को लेकर कानून तो बना दिया गया है, मगर ये कानून घटना होने के बाद काम आता है। व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि महिलाओं के साथ अपराध होने ही न पाए। वरना घटना के बाद महिला का जीवन तो बर्बाद हो जाता है, फिर अपराधी को फांसी की सजा ही क्यों न दे दी जाए।
नितिन

सरकार का पूरा जोर इंफ्रास्टक्चर डेवलप करने पर होता है। ये जरुरी है, मगर सरकार को सरकारी नौकरी के अलावा सरकारी कारखाना भी खोलना चाहिए। ताकि महंगाई पर नियंत्रण लग सके। नौकरी रोजगार में बेहतरी हो।
सैफ अहमद

सरकार के पास ऐसा कोई सिस्टम नहीं है, जिसके जरिए युवाओं को एक्सपीरियंश हो सके। सरकारी नौकरी में तो ट्रेनिंग की व्यवस्था है, मगर जो युवा स्टार्टअप करना चाहते हैं, उनको ट्रेंड करने की कोई स्कीम नहीं है। इसे सरकार को बनाना चाहिए।
अंकित टंडन

सरकारी तंत्र की ओवरहालिंग होनी चाहिए। सरकारी कर्मचारी खुद को भगवान समझते हैं। जबकि असल में वे जनसेवक होते हैं। सरकारी कर्मचारी की मनमानी पर रोक टोक की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकारी कर्मचारियों के कामकाज की मानिटरिंग का सिस्टम डेवलप होना चाहिए।
उज्जवल