--Diabetes patients के लिए जारी हुई नई guide line

--HBA 1c test से होगी sugar level की सही पहचान

ALLAHABAD (23 Feb): इंडिया में डायबिटीज के बढ़ते पेशेंट्स के मद्देनजर व‌र्ल्ड लेवल पर इलाज की नई गाइड लाइन जारी हुई है। इसके तहत हर एज ग्रुप के शुगर पेशेंट्स का इलाज प्रॉपर तरीके से किया जाएगा। यह भी कहा गया है कि ऐसे पेशेंट्स का शुगर लेवल केवल ब्लड जांच के जरिए नहीं किया जाना चाहिए। इसके लिए उनका एचबीए वनसी टेस्ट किया जाना जरूरी है। ताकि, डायग्नोसिस सही तरह से की जा सके।

क्या है एचबीए वनसी टेस्ट

यह जांच हर तीन महीने में कराई जाती है। इसमें पिछले तीन महीने के ब्लड में शुगर का एवरेज लेवल पता लगा लिया जाता है। यूथ में जहां एचबीए वन सी म्.भ् से कम होना चाहिए वहीं फ्0 से ब्0 साल के एज ग्रुप के पेशेंट का लेवल 7.भ् से कम माना गया है। इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की संडे को आयोजित एक सेमिनार में डॉ। सुबोध जैन ने कहा कि आमतौर पर लोग ब्लड की जांच कराकर शुगर लेवल पता करते हैं, जो फास्टिंग के बेस पर किया जाता है। लेकिन, इससे सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। जबकि, एचबीए वनसी टेस्ट के जरिए पिछले तीन महीने के शुगर लेवल का एवरेज निकलता है। इससे इलाज प्रॉपर तरीके से किया जा सकता है।

यह भी है गाइड लाइन

उन्होंने कहा कि डायबिटीज इंडिया में तेजी से फैलने वाली बीमारी है। व‌र्ल्ड में जहां ख्ब् करोड़ से अधिक लोग इसकी चपेट में हैं वहीं अगले ख्0 सालों में यह संख्या बढ़कर फ्8 करोड़ हो जाएगी। इंडिया में सबसे ज्यादा पेशेंट हैं। इसीलिए हमारे देश को डायबिटीज की राजधानी कहा जाता है। यहां तक कि बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। जारी हुई गाइड लाइन में कहा गया है कि ओल्ड पर्सस के इलाज में सावधानी बरतनी चाहिए। शुगर लेवल को लेकर बहुत ज्यादा सख्ती बरतने से वह हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि ब्लड की जांच में स्पॉट शुगर लेवल ही पता चलता है। जबकि, एचबीए वनसी टेस्ट में ब्लड में शुगर लेवल का वैरिएशन पता चल जाता है। इसी आधार पर तीन महीने का एवरेज निकाला जाता है।

लंबे समय में होता है असर

डॉ। जैन के मुताबिक डायबिटीज का असर बॉडी पर लंबे समय में होता है। कभी-कभी तीन से सात साल का समय भी लग जाता है। अगर पेशेंट हर तीन महीने में यह जांच कराएं तो इलाज में आसानी होगी। सेमिनार की अध्यक्षता एएमए उपाध्यक्ष डॉ। आरकेएस चौहान ने की। संचालन वैज्ञानिक सचिव डॉ.ॅ मनोज माथुर ने की। सचिव डॉ। बीके मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।