प्रयागराज (ब्‍यूरो)। ये कहानी है हुबलाल की। राजमिस्त्री का काम करने वाला हुब लाल मेहनत मजदूरी करके अपना परिवार पालता था। मगर अचानक उसके जीवन में एक ऐसा मोड़ आया कि हुबलाल करोड़पति बन गया। मगर हुबलाल के जीवन का चैन आराम सब खत्म हो गया। वही हुबलाल जो अतीक का मोहरा बना तो फिर चैन की सांस नहीं ले सका। माफिया अतीक तो नहीं रहा, मगर उसका मोहरा बना हुब लाल आजकल सुर्खियों में है। अतीक ने हुबलाल के नाम पर जमीन खरीदी थी। धमकी भी दी थी कि किसी को बताना नहीं। ये बात 2015 की है। आठ साल हुबलाल सांसत में रहा। वह उस वक्त को कोसता रहा, जब उसे अतीक के पास ले जाया गया। मगर अब हुबलाल चैन की सांस ले पा रहा है। मौजूदा समय में जमीन की कीमत 12 करोड़ है।

गांव के धीरेंद्र ने मिलवाया गुर्गे से
हुबलाल की ये कहानी शुरू होती है 2015 की जून महीने से। इसके पहले हुब लाल राजमिस्त्री का काम करता था। दो सौ रुपया उस समय मजदूरी थी। छोटा परविार था। काम चल जाता था। लालापुर थाना क्षेत्र के मानपुर गांव के रहने वाले हुब लाल ने जून महीने में गांव के ही धीरेंद्र सिंह के घर काम लगाया। निर्माण कार्य चल रहा था। रसूखदार धीरेंद्र सिंह का अतीक के गुर्गों से सम्पर्क था। एक दिन धर्मेंद्र सिंह ने हुब लाल को कहा कि उसे शहर चलना है। सुबह के समय हुब लाल तैयार होकर धीरेंद्र सिंह के घर पहुंच गया। धीरेंद्र उसे लेकर शहर आया। चकिया में धीरेंद्र ने उसकी मुलाकात राशिद से कराई। राशिद पिपरी का रहने वाला है। राशिद के साथ उसका भांजा असद कालिया निवासी चकिया भी था। राशि ने हुब लाल से उसका पूरा ब्यौरा पूछा। इसके बाद उसे अतीक के सामने पेश किया।

अतीक को देख कर सहम गया हुबलाल
धीरेंद्र, राशिद और असद कालिया तीनों ने हुब लाल को अतीक के सामने पेश किया। अतीक का नाम हुब लाल ने बहुत सुना था, मगर ये पहला मौका था जब उसका अतीक से आमना सामना हुआ। अतीक ने उसे बताया कि वह कुछ लोगों की जमीन खरीदना चाहता है। बिरादरी की समस्या होने की वजह से वह जमीन अपने नाम नहीं करा सकता। इस लिए उसे बुलाया गया है। अतीक को देख हुब लाल की विरोध की हिम्मत नहीं हुई। वह घर लौटा, उसने अपनी पत्नी कमला देवी को सारी बात बताई। इस पर कमला देवी भी डर गई। आखिरकार हुब लाल ने माफिया अतीक की बात मानने में ही अपनी भलाई समझी।

जमीन वालों को बुलाया अतीक ने
अतीक अहमद की नजर कटहुला गौसपुर में कई लोगों की जमीन पर थी। जिसमें से श्यामबाबू, महादेव, मुंशी लाल और प्रेमचंद को अतीक ने अपने बंगले पर बुलाया। साथ ही हुब लाल को भी बुलाया गया। अतीक ने हुब लाल के बारे में बताया कि इसी के नाम पर जमीन करनी है। अतीक के आतंक के गवाह गांव वालों ने उसकी बात मान ली। 14 अगस्त 2015 को जमीन की रजिस्ट्री हुब लाल के नाम कर दी गई।

आठ साल दहशत में रहा हुबलाल
अगस्त 2015 में जमीन जब हुब लाल के नाम रजिस्ट्री हुई तो इसके बाद आए दिन अतीक के गुर्गों का कोई न कोई संदेश उसको भेजा जाता रहा। हर बार यही हिदायत दी जाती रही कि किसी से भी जमीन के बारे में कोई जिक्र न करना। वरना तुम जिंदा नहीं बचोगे। इसके बाद अतीक के जेल जाने से लेकर अतीक के मारे जाने तक हुब लाल हमेशा दहशत में रहा।

घर पहुंची पुलिस तो कांप गया
15 अप्रैल को माफिया ब्रदर्स अतीक और अशरफ की हत्या कर दी गई। इसके बाद माफिया ब्रदर्स की बेनामी संपत्तियों की तलाश पुलिस ने शुरू की। कटहुला के मामले में पुलिस को शिकायत की जानकारी दी। जमीनवालों से पुलिस ने सम्पर्क किया तो हुब लाल के बारे में पुलिस को जानकारी हुई। जून महीने में हुब लाल के घर पुलिस पहुंची। हुब लाल को बताया गया कि उसे साहब ने बुलाया है। जमीन का मामला पुलिस से सुनकर हुब लाल कांप गया। मगर पुलिस ने उसे साथ देने का पूरा भरोसा दिया। इसके बाद हुबलाल ने माफिया अतीक के सारे कारनामे की पोल खोलकर रख दी। जुलाई से शुरू हुई जांच अक्तूबर में खत्म हुई।

2020 में दर्ज हुआ था मुकदमा
हरवारा के अशरफ और उमेश पाल ने जमीन कब्जा करने के मामले में 2020 में मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें जांच चल रही थी। मगर जांच केवल फाइलों तक की सीमित थी।

कुर्क हो गई अतीक की बेनामी सपंत्ति
जिस अतीक के नाम का डंका बजा करता था, सोमवार को उसी की जमीन पर कुर्की की डुगडुगी पीटी गई। कहुला में चार परिवारों की 21 बीघा जमीन अतीक ने हुब लाल के नाम रजिस्ट्री कराई थी। इस जमीन को सोमवार को पुलिस ने कुर्क किया। मामले की जांच कैण्ट थाने की पुलिस और डीसीपी सिटी दीपक भूकर कर रहे थे। जांच पूरी होने के बाद आयुक्त रमित शर्मा ने जमीन को कुर्क करने का आदेश जारी किया था। जिस पर सोमवार दोपहर एसीपी वरुण कुमार, कैण्ट इंस्पेक्टर रुकुम पाल सिंह और एयरपोर्ट थाने के प्रभारी योगेंद्र प्रसाद के साथ फोर्स लेकर कटहुला गांव पहुंचे। इसके बाद गांव में डुगडुगी पिटवाई गई। लोगों को पुलिस ने ताकीद किया कि अतीक की ये बेनामी संपत्ति कुर्क की जा रही है।

जांच के बाद पता चला कि कटहुला की 21 बीघा जमीन अतीक ने हुबलाल के नाम कराई थी। अतीक की बेनामी संपत्ति को सोमवार को कुर्क किया गया। गांव वालों को ताकीद किया गया है कि कुर्क जमीन पर कोई कार्य न किया जाए।
वरुण कुमार एसीपी धूमनगंज