प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यहां अनदेखी की हद है। बस स्टॉपेज यात्री शेड में ठेला लग रहा है। यात्रियों को रोड पर खड़े होकर साधन पकड़ता है। कोई देखने व सुनने वाला नहीं है। पब्लिक के लाखों रुपये से बनाए गए इस यात्री शेड की कंडीशन चौकाने वाली है। यात्रियों को रोड पर खड़े होकर साधन पकडऩा पड़ता है। अति व्यस्त इस चौराहे पर चौबीसों घंटे लोगों का आवागमन बना रहता है। सरकारी फाइलों में इसे बस शेल्टर के नाम से जाना जाता है। इसे आम लोग अपनी भाषा में बस स्टॉपेज या यात्री शेड के नाम से जानते हैं। इस बस स्टॉपेज की यह दुर्दशा देखने के लिए कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है। बस आप को सिविल लाइंस हनुमान मंदिर के पीछे वाले गेट के पास चौराहे पर आना होगा।

यहां भी नहीं रुकती हैं बसें
यहां पर साधन के इंतजार में यात्रियों को रोड पर खड़ा होना पड़ता है। यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बस स्टॉपेज पर बनाए गए हैं। ताकि यात्रियों को धूप और बारिश में रोड पर खुले आसमान के नीचे खड़े होकर साधन का इंतजार नहीं करना पड़े। मगर यह उद्देश्य और सरकार की मंशा यहां दोनों ही धूल धूसरित नजर आ रही है। आज तक शायद ही कोई ऐसा बस स्टॉपेज हो जहां पर सिटी बसें रोक कर चालक सवारियों को उतारते व बैठाते हैं। सिविल लाइंस हनुमान मंदिर के पीछे वाले गेट पर बनाया गया यह बस स्टॉपेज अफसरों की उपेक्षा का शिकार है। लोगों का कहना है कि अधिकारियों को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। हालात यही रहे तो महाकुंभ में शहर को स्मार्ट और खूबसूरत दिखाने का सपना पूरा हो पाना संभव नहीं होगा।

यात्रियों के लिए बनाए गए यह यात्री शेड उपेक्षा के शिकार हैं। किसी भी बस स्टॉपेज यानी यात्री शेड पर बसें रुकती ही नहीं हैं। हालात यह हैं कि उपेक्षा के चलते कई यात्री शेड अभी से ही डैमेज हो गए हैं। कार्यदायी संस्थाएं व जिम्मेदार टाइम पास कर रहे हैं।
कमलेश सिंह, पूर्व पार्षद

यह यात्री शेड हमारे चुंगी का हो या फिर सिविल लाइंस का। हर जगह के हालात काफी कंडम हैं। यात्री शेड है तो वहां बसें नहीं रुकती। बसें जहां रुकती हैं वहां यात्री शेड नहीं हैं। सिविल लाइंस हनुमान मंदिर के पीछे के इस यात्री शेड के आसपास ही नहीं अंदर भी दुकानदारों ने कब्जा कर रखा है।
जयप्रकाश, चुंगी

यह अधिकारियों के ऊपर डिपेंड करता है कि वह बनाई गई व्यवस्था का लाभ पब्लिक को कैसे देते हैं। प्रशासनिक इच्छाशक्ति के अभाव में बस स्टॉपेज पर यात्री शेड का यह हाल है। जब स्टॉपेज बना ही दिए हैं तो बसें भी वहीं पर रुकवानी चाहिए। मगर, यह बात उन्हें समझाए कौन?
अंकित यादव, झूंसी