हाईकोर्ट में 26 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

नोएडा-दिल्ली डीएनडी पर 2001 से वसूले जा रहे टोल टैक्स की भरपाई न हो पाने तथा टैक्स ले रही कंपनी नोएडा टोल बृज कंपनी के घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई जारी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण टण्डन तथा न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खण्डपीठ ने फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों से तथ्यात्मक ब्योरा दाखिल करने को कह है ताकि तथ्य व आंकड़े स्पष्ट हो सके। याचिका की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।

हर दिन 30 लाख रुपए वसूली

मालूम हो कि 407 करोड़ में फ्लाई ओवर बना। कंपनी को प्रतिवर्ष लागत का 20 फीसद टोल से वसूली करने का ठेका दिया गया। याची का कहना है कि प्रतिदिन कंपनी 30 लाख की वसूली कर रही है। उसके बावजूद मूल लागत 407 करोड़ बढ़कर 3200 करोड़ हो चुकी है। याची अधिवक्ता रंजीत सक्सेना का आरोप है कि यदि इसी तरह से वसूली की जाती रही तो 100 साल में भी लागत नहीं वसूली जा सकेगी। वसूली में घोटाला किया जा रहा है। साल में 100 करोड़ से अधिक वसूली के बावजूद कंपनी स्वयं को घाटे में बता रही है। अधिकारियों की मिलीभगत से टोल घोटाला किया जा रहा है। कोर्ट ने कंपनी से एक माह की वसूली राशि जाननी चाही तो कंपनी नहीं बता सकी। कंपनी वसूली राशि की जानकारी दिए बगैर 15 साल से टोल की वसूली कर रही है। याचिका में टोल फ्री किए जाने की मांग की गई है।