-हॉस्ट‌र्ल्स पर चढ़ा मस्ती का रंग, खूब खेल रहे हैं होली

-ग‌र्ल्स हॉस्टल के बाहर रुकती है हर टोली, खूब कसे जा रहे हैं कमेंट

-ग‌र्ल्स की शिकायत का भी कोई असर नहीं, पुलिस भी है खामोश

ALLAHABAD: यूं तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के डिफरेंट हॉस्टल्स में अलग-अलग शहरों और प्रान्तों के छात्र निवास करते हैं। इनमें बहुतेरे ऐसे हैं। जिन्हें अभी अभी हॉस्टल्स में दाखिला मिला है और वे इलाहाबाद की अमें तमें कसबे चलबे की न चलबे वाली होनी से अंजान हैं। मगर अब जब होली का त्यौहार अपने शबाब पर है तो इन्हें भी खुद के शहर से अलग इलाहाबाद की आवारागर्दी से भरी होली का पहला पहला एक्सपीरियंस बखूबी मिल रहा है। होली के रंग से सराबोर पुराने छात्रों और नए छात्रों के बीच संवाद और मनुहार के कई दिलचस्प सीन भी सामने आ रहे हैं। कुछ यूं है हॉस्टल्स के अंदर और बाहर का माहौल।

भंग की तरंग में

दोपहर का समय है हॉस्टल के अन्दर डीजे की धमक पर गीत बजना शुरू होता है। नाकाबन्दीनाकाबंदी हईया रे.हईया हो। जैसे जैसे गीत बजता जाता है, छात्रों का जोश भी पूरे उफान पर चढ़ता जाता है। उधर भंग की तरंग वाली ठंडई पूरे शिद्दत के साथ घोटी जा रही है। छात्र पूरी बेकरारी के साथ ठंडई को एकटक निहार रहे हैं। इतने में भंग की तरंग का आनन्द किसी भी कीमत पर फीका न पड़े, एक छात्र तपाक से बोल पड़ता है अबे औउर डाल.इस पर भंग को पूरी तरंग के साथ घोट रहे छात्र आदेश का त्वरित अनुपालन करते हैं और दे दनादन की तर्ज पर भंग का चढ़ावा ठंडई को चढ़ाते हैं। अब भंग की तरंग पूरी तरह से बनकर तैयार है। उधर गीत बजना शुरू होता हैके पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी नाची थी नाची थी हांइस गीत के साथ ही होलियारों की टोली ठंडई गटागट गटक कर पूरी तैयारी के साथ मुंह पोते निकलने को तैयार हो जाती है।

अरे ना आएं तो खींचकर लाओ

होलियारों की टोली ठंडई से तरबतर होकर पूरी तरह से निकलने को तैयार खड़ी है। तभी हल्ला मचता है अजीत सरमिन्टु सरअमित सरवगैरह वगैरह नहीं आए। इस पर ठंडई चढ़ाकर पूरी रौं में आ चुके कुछ छात्र पूरे जोश में चिल्लाते हैं काहे नहीं आएबात खत्म होती उससे पहले ही आदेश आता हैबुलाकर लाओन आएं तो खींचकर लाओतभी कुछ कम पीने वाले माजरे को भांपते हुए धीरे से कहते हैं अरे परीक्षा है अपने कमरे में हैंइस पर कुछ जोशीले छात्र हुंकार भरते हैंकईसे न अईहें देखित ईउनकी इस हुंकार पर सामने वाला भी कुछ नहीं बोल पाता और चुप रहने में ही अपनी भलाई समझता है। उधर झूमते ढोलते कुछ जूनियर्स सर के कमरे के बाहर पहुंचते ही दनादन दरवाजा पीटते हैंपहले से ही बाहर का माजरा भांप चुके सर धीरे से दरवाजा खोलते हैं उनके दरवाजा खोलते ही जूनियर्स अपनी धुन में मनुहार करते हैं चलिए सरसर बोले हैं। सामने से उत्तर मिला आज नहीं कल आएंगे। लेकिन जूनियर्स उनकी एक नहीं सुनते और खींचना शुरू कर देते हैं। इस पर सर भी समझ जाते हैं अब कुछ भी बोलना बेकार है और चल पड़ते हैं होलियारों की टोली में शामिल होने।

थोड़ी सी जो ले ली है

इलाहाबाद की होली में पहले से मंझे मंझाए छात्रों की नाकाबन्दी यहीं पर खत्म नहीं होती। कुछ नए छात्र जिन्होंने सीनियर्स के सम्मान में अभी थोड़ी थोड़ी ही छुप छुपाकर ली है और पूरे मैनर के साथ पांव जमाए खड़े हैं। अब बारी उनकी हैहोलियारोंकी टोली की नजर इन पर पड़ती हैडायरेक्शन आता हैकाहे खड़े होली नहीं क्यावे मुस्कुराते हैं और मुंह चियारकर कहते हैंनहीं सरसीनियर्स दूसरों की तरफ मुखातिब होते हैं और डायरेक्शन देते हैंकसकर रगड़ों इन्हेंइस पर शकुचाते छात्रों को पोतने और रगड़ने का दौर शरू होता है।

एक बार आ जा।

हॉस्टल के अन्दर का माहौल देखते ही देखते बाहर भी जवां होना शुरू हो जाता है। ठा ठा ठा दुनिया की ठा ठा ठा की धुन पर एक दूसरे का कपड़ा पूरे हक के साथ चीर फाड़ चुके छात्र कुछ टॉप हिन्दी और भोजपुरी गीतों के मौसम में नाच गा रहे हैं। डीजे की धमक जैसे ही महिला हॉस्टल के बाहर पहुंचती है। गाना बजता है अरे ओ मीना आ गया तेरा दीवाना.बता बता कहां है तेरा ठिकाना। इस पर सब अमिताभ बच्चन बनें नजर आते हैं और हॉस्टल के अन्दर मौजूद मीना की झलक पाने की बेकरारी दिखलाते हैं। तभी हिमेश रेशमिया की नाक वाले साउंड पर गाना बजता है झलक दिखला जांझलक दिखला जांएक बार आ जा। आ जा। आ जा। इस पर सड़क से गुजरने वाले, यूनिवर्सिटी कैम्पस और बाहर मौजूद पुलिस के कुछ जवानों में भी खुसर फुसर शुरू होती है। सभ्यता की दुहाई देकर कुछ को इस नाच गाने पर कोफ्त होती है तो बहुतों के मुंह से स्वर फूटते हैं अरे लड़के हैं ई उमर में न करिहें तो कब करिहें।