प्रयागराज (ब्‍यूरो)। खुशियों के रंग में डूबी हुई होली का पर्व करीब है। पर्वों की महत्ता व इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं बच्चों को बताने की जरूरत है। क्योंकि, नई पीढ़ी के ज्यादातर नए युवाओं को यह पर्व मनाने की वजह नहीं मालूम। चौंकाने वाले यह तथ्य उस वक्त सामने आए जब 'दैनिक जागरण आईनेक्स्टÓ रिपोर्टर द्वारा कुछ युवाओं व युवतियों एवं बालकों से पर्व की महत्ता को लेकर सवाल किया गया। पांच में सिर्फ दो बच्चे ऐसे थे जो पर्व से जुड़े आधे अधूरे तथ्य बता सके। होली पर्व को लेकर प्रशासनिक तैयारियों की भी पड़ताल की गई। पता चला कि पूरे जिले में करीब 4088 स्थानों पर होलिका दहन किया जाएगा।

4088 स्थानों पर पूरे जिले में जलेगी होलिका
952 स्थानों पर शहर में होगा होलिकादहन
235 स्थानों की होली जिले में संवेदनशील

पीस कमेटी की बैठकों का दौर जारी
प्रशासनिक स्तर पर होली पर्व को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिस विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो जिले भर में करीब 4088 स्थानों पर होलिका जलाई जाएगी। इसमें प्रयागराज शहरी एरिया के करीब 17 थाना क्षेत्रों में लगभग 952 स्थानों पर पर्व के दिन होली जलाई जाएगी। इसी तरह गंगापार अब गंगानगर एरिया में कुल ऐसे 1620 स्थान चिन्हित किए गए हैं, जहां पर होलिका दहन होगा। यमुना नगर में 1529 जगह होली जलाई जाएगी। गौर करने वाली बात यह है कि जिले भर में करीब 235 स्थानों पर जलाई जाने वाली होलिका को संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है। यहां पर पुलिस व प्रशासनिक अफसरों के द्वारा विशेष नजर रखी जाएगी। पर्व के दिन क्षेत्रों में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए थाना वार पीस कमेटी की बैठकों का दौर जारी है। क्षेत्र के सम्भ्रांत व्यक्तियों से थानेदारों के द्वारा शांति सुरक्षा में सहयोग की अपील की जा रही है।

संवेदनशील श्रेणी में होली प्लेस
एरिया संख्या
प्रयागराज शहर में 92
गंगानगर एरिया में 66
यमुनानगर एरिया में 77
पूरे जिले में 235

जानिए थानावार होली की संख्या
थाना क्षेत्र होली स्थान
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कोतवाली शहर 61
खुल्दाबाद 68
शाहगंज 24
सिविल लाइंस 60
करेली 54
धूमनगंज 98
एयरपोर्ट 36
पूरामुफ्ती 46
कैंट 45
कीडगंज 45
मुट्ठीगंज 27
अतरसुइया 66
कर्नलगंज 68
शिवकुटी 44
जार्जटाउन 70
दारागंज 55
झूंसी 78
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कुल 17 952
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होली एक पर्व है, जगह-जगह होली जलाई जाती है। फिर कलर से इसे सेलीब्रेट करते हैं। खुशियों का पर्व है। एक दूसरे को बधाई देते हैं। पर्व मनाने के पीछे की वजह क्या है नहीं मालूम। धार्मिक मान्यताएं हैं, हमारा पुराना पर्व है।
अनामिका घोष, दिल्ली

सर होली पर्व मनाते हैं क्योंकि प्रहलाद नाम के एक भक्त थे भगवान विष्णु उन्हें आग से बचाए थे। इसीलिए होली मनाई जाती है। क्योंकि कलर खुशियों का प्रतीक होता है इसलिए इसे पर्व पर खेलते हैं।
मुस्कान यादव, गोविंदपुर

अरे, हमें नहीं पता सर होली क्यों मनाते हैं? बस त्योहार है सर इसलिए मनाते हैं। कलर खेलते हैं और दोस्तों के साथ इंज्वाय करते हैं। किसलिए होली जलाते हैं नहीं और कलर खेलते हैं नहीं मालूम।
अच्युत जायसवाल, राजरूपपुर

सर, होलिका प्रहलाद की बुआ थीं, जो प्रहलाद को जलाने के लिए आग में बैठ गई थी। लेकिन प्रहलाद बच गए थे। इसलिए हम होली पर्व मनाते हैं और रंग खेलकर इंज्वाय करते हैं। बस इतना ही मालूम है।
ऋषिभा पटेल, तेलियरगंज

होली एक तरह से ईश्वर पर आस्था की जीत और अधर्मियों की हार का प्रतीक है। प्रहलाद भगवान के भक्त थे। भाई के कहने पर उनकी बुआ उन्हें जलाने के लिए आग पर बैठ गई थी। मगर भगवान की कृपा से प्रहलाद बच गए थे खुद होलिका जल गई थी।
विवेक चंद्र, सिविल लाइंस

इस लिए जलाई जाती है होली
हिन्दू धर्म व पौराणिक कथाओं के अनुसार होलिका दहन भक्त प्रहलाद की याद में में किया जाता है। भक्त प्रहलाद का राक्षस कुल में जन्म होने के बाद भी व भगवान नारायण के अनन्य भक्त थे। उनके पिता हिरण्यकश्यप को उनकी भक्ति रास नहीं आती थी। हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मान बैठा था, पर प्रहलाद पिता हिरण्यकश्यप के ईश्वर विरोधी विचारों के विरोध में यातनाओं को सहते हुए नारायण भक्ति नहीं छोड़े। हिरण्यकश्यप की बहन यानी प्रहलाद की बुआ होलिका को वरदान था कि तप से प्राप्त साड़ी पहनकर आग में बैठने पर वे नहीं जलेगी। भाई के कहने पर होलिका वही साड़ी पहनकर प्रहलाद को गोद में लेकर लकडिय़ों के ढेर पर बैठ गई। जिसमें हिरण्यकश्यप प्रहलाद को जलाने के लिए आग लगवा दिया था। इस बीच प्रहलाद नारायण नाम का जप करते रहे। नारायण की भक्ति रूपी शक्ति से प्रहलाद आग में नहीं जले और होलिका जलकर राख हो गई थी। भक्त सिरोमणि प्रहलाद के बचने की खुशी में तभी से लोग जगह-जगह होलिका जलाकर खुशियां मनाने लगे और पर्व मनाया जाने लगा। इस पर्व का जुड़ाव राधा कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ाव मानते हैं। इस पर्व का जुड़ाव शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव के विवाह से भी जुड़ा बताया जाता है।