प्रयागराज ब्यूरो । गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी मुसीबत का बड़ा कारण बन सकती है। इससे होने वाले शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास रुक सकता है। कई बार देखा जाता है कि घर में आयोडीन युक्त नमक मौजूद होने के बावजूद बॉडी में आयोडीन की कमी बनी रहती है। ऐसा इसलिए कि नमक एक साल से अधिक पुराना हो गया है वह किसी कारण से गीला हो चुका है तो उसमें से आयोडीन की मात्रा का हहृास हो जाता है। लेकिन लोग जानकारी के अभाव में इस नमक का सेवन करते रहते हैं।

बॉडी के लिए बेहद जरूरी है आयोडीन

बता दें कि आयोडीन बढ़ते शिशुओं के दिमाग के विकास एवं थायराइड ग्रंथी जिससे उत्सर्जित होने वाले हार्मोन को नियंत्रित करता है। उनके सफल संचालन के लिए आयोडीन अतिआवश्यक है। आयोडीन की थोड़ी मात्रा ही शरीर के लिए आवश्यक मानी जाती है। आयोडीन मिट्टी एवं पानी में पाया जाने वाल सूक्ष्म पोषक तत्व है। इसकी कमी को पूरा करने के लिए आयोडीन युक्त नमक का उपयोग अनिवार्य रूप से करना चाहिए। वैसे खाद्य पदार्थों जैसे अनाज, दाल, मछली, मांस एवं अंडों में भी कुछ मात्रा में ही सही लेकिन आयोडीन पाया जाता है। आयोडीन की कमी से थायराइड ग्रंथि का असामान्य रूप से विस्तार हो सकता है जिसे घेंघा रोग या गंडमाला रोग के रूप में जाना जाता है।

एडल्ट को चाहिए 150 माइक्रोग्राम

डॉक्टर्स बताते हैं कि वयस्कों को आमतौर पर प्रतिदिन 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है जबकि प्रेग्नेंट और ब्रेस्ट फीड कराने वाली महिलाओं को प्रतिदिन 200 माइक्रोग्राम आयोडीन जरूरी होता है। इसके अलावा आयोडीन की कमी से चेहरे पर सूजन, गले में सूजन (गले के अगले हिस्से में थाइराइड ग्रंथि में सूजन) थाइराइड की कमी (जब थाइराइड हार्मोन का बनना सामान्य से कम हो जाए) और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में वजऩ बढऩा, रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढऩा और ठंड बर्दाश्त ना होना जैसे आदि रोग होते हैं।

क्या कहते हैंै फैक्ट्स

एक सर्वे के अनुसार सरकार का लक्ष्य देश के 90 फीसदी शहरों में आयोडीन युक्त नमक पहुंचाने का है। लेकिन, ऐसा नही हो रहा है। यूपी की बात करें तो यहां 73 फीसदी घरों तक ही यह नमक पहुंच पा रहा है। गांव ही नही शहरों में भी लोग ऐसे क्रिस्टल नमक का यूज कर रहे हैं जिसमें आयोडीन की मात्रा है ही नही। डॉक्टर्स बताते हैं कि आए दिन पांच साल तक के ऐसे बच्चे आते हैं जो आयोडीन की कमी से तमाम विकार का शिकार हो जाते हैं। ओपीडी में उनकी जांच कराकर इलाज शुरू किया जाता है। महिलाएं भी इस मामले को लेकर जागरुक नही है। जिसका खामियाजा पैदा होने वाले बच्चे को लंबे समय तक भुगतना पड़ता है।

र्जनसबसे पहली बात कि दुकान पर जाकर आयोडीन युक्त नमक ही लेना चाहिए। सस्ते के चक्कर में लोग क्रिस्टल नमक का यूज करते हैं। यह बॉडी के लिए बेहद घातक है। इसी तरह एक साल से अधिक पुराने नमक का सेवन भी नही करना चाहिए। यह भी बॉडी में आयोडीन की कमी को पूरा नही कर पाता है।

डॉ। मंसूर, फिजीशियन, बेली अस्पताल प्रयागराज