प्रयागराज ब्यूरो । अनियमित लाइफ स्टाइल और खानपान की वजह से डायबिटीज के मरीजों की ंसख्या में बढ़ोतरी जारी है। लंबे समय से शुगर से प्रभावित मरीजों में किडनी की समस्या होने की संभावना बढ़ रही है। अस्पतालों में ऐसे मरीजों का आना इस ओर इशारा कर रहा है। डॉक्टर्स का भी कहना है कि समय समय पर शुगर लेवल की जांच करना जरूरी है। अधिक लेवल हो जाने पर किडनी और हार्ट को प्राब्लम हो सकती है।

केस वन- कपड़ा व्यापारी राशिद को डायबिटीज की प्राब्लम है। कामकाज में बिजी होने की वजह से उन्होंने लंबे समय तक शुगर लेवल की जांच नही कराई। एक दिन उन्हे यूरीन में प्राब्लम आई तो उन्होंने इसे नजर अंदाज कर दिया। धीरे धीरे समस्या बढऩे लगी तो उन्होंने इसकी शिकायत डॉक्टर से की। जांच में उनका शुगर लेवल काफी अधिक मिला। इसकी वजह से किडनी की समस्या भी शुरू हो गई।

केस टू- सरकारी कर्मचारी रंगनाथ सिंह पिछले आठ साल से शुगर की समस्या को झेल रहे हैं। दो सप्ताह पहले अचानक उन्हे सांस लेेने में दिक्कत और पेशाब में झाग आने लगा। उन्होंने डॉक्टर से बताया तो जांच हुई। जिसमें शुगर लेवल तीन सौ के ऊपर मिला। इस पर डॉक्टर ने उन्हे तत्काल एलर्ट रहने की सलाह दी। उनकी किडनी की दवाएं भी शुरू करनी पड़ी है।

कैसे प्रभावित होती है किडनी

डायबिटीज के शिकार लोगों में किडनी की बीमारी होना काफी सामान्य होता जा रहा है। हमारी किडनी लाखों छोटे फिल्टरों से बनी होती है जिन्हें नेफ्र ॉन कहा जाता है। समय के साथ, हाई ब्लड शुगर की समस्या किडनी के साथ-साथ नेफ्र ॉन में खून ले जाने वाली नलिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती है। जिससे किडनी ठीक से अपना काम नही कर पाती है और मरीज मं इसके लक्षण दिखने लगते हैं। साथ ही शुगर पीडि़त हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में भी किडनी को नुकसान पहुंचने का खतरा बना रहता है।

डायबिटीज में किडनी की बीमारियों के लक्षण

- डायबिटीज में किडनी की होने वाली समस्याओं को डायबिटिक नेफ्र ोपैथी कहा जाता है। प्रारंभिक चरण में ज्यादातर लोगों में इसके लक्षण नहीं होते हैं हालांकि अगर ये समस्या बढ़ती है तो इसके कारण कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। डायबिटिक नेफ्र ोपैथी वाले रोगियों के लिए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना कठिन हो जाता है। आइए जानते हैं कि कौन कौन स लक्षण आते हैं सामने-

- पैरों, टखनों, हाथों या आंखों में सूजन

- झागदार पेशाब

- सांस लेने में कठिनाई

- भूख में कमी

- उल्टी, थकान और कमजोरी

- पेशाब के कलर में बदलाव

- हाथ पैर में खुजली और सूजन

ऐसे करें बचाव

- साल में कम से कम दो बार ब्लड में शुगर लेवल की जांच कराएं।

- ब्लड प्रेशर को 140/90 मिमी/एचजी से नीचे रखने का प्रयास करें।

- लो सोडियम चीजों का सेवन करें।

- फल और सब्जियों का अधिक सेवन करें।

- रोजाना वाकिंग और योगा करें।

क्यों मनाया जाता है डायबिटीज डे

वल्र्ड डायबिटीज डे हर साल 14 नवंबर को सर फ्र डरिक बैंटिंग के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने 1922 में चाल्र्स बेस्ट के साथ इंसुलिन की खोज की। विश्व मधुमेह दिवस 1991 में इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस रोग से बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर और इसके प्रति जारूकता फैलाने के लिए मनाया गया था। तब से यह हर साल मनाया जाता है। हर साल इसके लिए अलग-अलग तरह की थीम होती है। माना जा रहा है कि 2025 तक भारत में दुनिया के सबसे अधिक डायबिटीज के मरीज होंगे।

डायबिटीज के रोगियों को समय समय पर अपना शुगर लेवल जांच कराना चाहिए। जिससे बढ़े हुए लेवल को कम किया जा सके। वरना किडनी और हार्ट पर असर पडऩे के चांसेज बढ़ जाते हैं। ऐसे मरीजों का क्लीनिक में आना चिंता का विषय है।

डॉ। डीके मिश्रा, फिजीशियन