पूर्व प्रधानमंत्री स्व। इंदिरा गांधी की स्मृति में आयोजित हुई है प्रतियोगिता

पहली बार हुई प्रतियोगिता में राजीव गांधी ने दिया था विजेताओं को पुरस्कार

ALLAHABAD: देव नगरी प्रयाग की पवित्र धरती पर 19 नवंबर को आयोजित हो रहे अखिल भारतीय इंदिरा मैराथन की ऐतिहासिकता के बारे में जानकर आप को हैरानी होगी। इलाहाबाद में इस प्रतियोगिता की शुरुआत वर्ष 1985 में हुई। इस वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री स्व। इंदिरा गांधी की स्मृति में उनके जन्म दिन पर 19 नवंबर को पुरुष व महिला मैराथन प्रतियोगिता आयोजित कराई गई थी। तभी से इंदिरा मैराथन का जारी सिलसिला अवाध गति से चलता आ रहा है। पहली बार आयोजित इस प्रतियोगिता में राजीव गांधी के द्वारा अमिताभ बच्चन स्पो‌र्ट्स काम्प्लेक्स म्योहाल में पुरस्कार का वितरण किया गया था।

फोर्स में दौड़ को वरीयता की वजह

प्रथम ओलंपिक मैराथन के विजेता यूनानी भिश्ती 'स्पिरिडोन स्पिरोस लुईस' थे। यूनानी इतिहासकार हैरोडोटस के मुताबिक 490 ईशा पूर्व युद्ध की खबर देने के लिए फडिप्पिडस नामक धावक दौड़ते हुए सभा में प्रवेश कर गया था। सभा में पहुंचते ही उसने आवाज दी 'नेनि के कामेन' (हम जीत गए) और गिर कर दम तोड़ दिया। उसी की यादव में ओलंपिक मैराथन की शुरुआत हुई। चूंकि यह विषम परिस्थितियों में सूचना का वाहक बना लिहाजा इस प्रतियोगिता को सभी देशों ने अपने यहां प्रमुखता दी। शायद यही वजह है कि पुलिस व सेना जैसी भर्तियों में आज भी दौड़ को विशेष महत्व दिया जाता है।

धावक की खबर देता है वायरलेस

खेल प्रेमियों को यहां यह बताना जरूरी है कि अखिल भारतीय इंदिरा मैराथन ओलंपिक मैराथन पर ही आधारित है। इंदिरा मैराथन में देश के हर हर कोने से धावक प्रतिभाग करते हैं। धावकों की सारी सुविधा व उनके प्रोत्साहन के लिए राशि का इंतजाम प्रदेश सरकार करती है। जिले स्तर पर रूट का निर्धारण, दौड़ के दौरान सही जानकारी देने के लिए वायरलेस व रास्ते में जलपान आदि के इंतजाम किए जाते हैं। साथ ही दौड़ के समय जगह-जगह रास्ते में बने चेक प्वाइंट पर धावकों की जांच भी कराई जाती है।

वर्जन

इंदिरा मैराथन प्रतियोगिता काफी पुरानी है। इसे खेल विभाग द्वारा आयोजित किया जाता रहा है। परंपरा के अनुरूप इस बार भी प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। तैयारियां जोरों पर चल रही हैं।

संजय शर्मा, प्रभारी क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी