प्रयागराज (ब्‍यूरो)। बंदिशें हजार आएंगी रास्ते में मगर, हौंसला जिंदा रहा तो कह के लेंगे। इसे इत्तेफाक कहें या फिर जीत की जिद। हेल्थॉन 21 किलोमीटर में शामिल छह वीनर्स के अंदर जीत की जिद इस कदर ही कि उन्होंने कह कर जीत का तमगा ले लिया। आइए आपको मिलवाते हैं, उन छह वीनर्स से जिन्हें पहली नजर में आप भांप नहीं पाएंगे कि इनके अंदर जीत की कितनी जिद है। मगर जब इनके कदम सड़क पर दौड़ते हैं तो जीत की इबारत लिख देते हैं।

कानपुर, गोरखपुर के बाद प्रयागराज
इस्लाम अली। उम्र 20 साल। पिता गुलशेर अली किसान हैं। चार भाइयों में सबसे बड़े इस्लाम को जीत का ऐसा चस्का लगा है कि दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के कानपुर और गोरखपुर हेल्थॉन में एक नंबर आने के बाद प्रयागराज हेल्थॉन में अपनी जीत का परचम लहराया। 21 किलोमीटर कटेगरी में इस्लाम ने फस्र्ट रैंक मिली। लखनऊ के बाबलागंज के रहने वाले इस्लाम को तीन साल पहले दौडऩे का शौक हुआ। इसके बाद आज तक इस्लाम के कदम रुके नहीं। कदमों की दौड़ ने इस्लाम को यूपी स्टेट में गोल्ड मेडल दिलवाया। इस्लाम अपना सफर जारी रखना चाहते हैं। इंटरनेशनल खेलना चाहते हैं। इस्लाम बताते हैं कि पिता किसान हैं। वह सबसे बड़े हैं, बड़ी जिम्मेदारियां हैं, वह कुछ बड़ा करना चाहते हैं।

दौड़कर ले ली नौकरी
अब मिलिए हेल्थॉन 21 किलोमीटर कटेगरी में थर्ड विनर वीरेंद्र पाल से। झूंसी के रहने वाले वीरेंद्र पाल ने दौड़ दौड़कर नौकरी ले ली। वीरेंद्र रेलवे के डीआरएम आफिस में क्लर्क हैं। 2011 में दौड़ का शौक प्रैक्टिस में बदल गया। इसके बाद इतनी दौड़ लगाई कि 2016 में वीरेंद्र को रेलवे में नौकरी मिल गई। तीन भाई बहन में सबसे छोटे वीरेंद्र के पिता रामगोविंद पाल किसानी करते हैं। वीरेंद्र पढऩे में बहुत अच्छे नहीं रहे। इसालिए कैरियर बनाने के लिए स्पोर्ट को चुना। संसाधन नहीं थे इसलिए दौड़ लगानी शुरू कर दी। पिछले बारह साल में वीरेंद्र कई मेडल अपने नाम कर चुके हैं। वीरेंद्र इंटरनेशनल प्लेयर हैं। वीरेंद्र अभी और दौडऩा चाहते हैं। वीरेंद्र का कहना है कभी कभी उन्हें विश्वास नहीं होता कि एक छोटे से फैसले ने उनकी जिंदगी बदल दी। कई बार निराशा हुई, मगर जीतने की जिद उन्हें नाम के मुकाम पर ले गई।

एक दिन रोशन होगा नाम
करेली सैदपुर के रहने वाले प्रदुम निषाद अपना नाम रोशन करना चाहते हैं। पिता मोहन लाल निषाद प्राइवेट काम करते हैं। प्रदुम ने हेल्थॉन में सेकेंड विनर रहे। तीन साल से प्रैक्टिस कर रहे प्रदुम इंटरनेशनल प्लेयर बनना चाहते हैं। इसके लिए वह रोज प्रैक्टिस करते हैं। दो बाल ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी क्रास कंट्री में हिस्सा ले चुके प्रदुम को खुद से बहुत उम्मीद है। प्रदुम का कहना है कि वह चाहते हैं कि उसके पिता उन्हें गोल्ड मेडल के साथ देखें।

जारी रखनी है जीत
अंजली हेल्थान 21 किलोमीटर कटेगरी में सेकेंड विनर रहीं। कैण्ट की रहने वाली अंजली रोज प्रैक्टिस करती हैं। ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी क्रास कंट्री में अंजली थर्ड विनर रह चुकी हैं। पिता बनारसी पटेल की रीढ़ की हड्डी खराब है। जिससे मां को नौकरी करनी पड़ती है। एक भाई रोहित है। अंजली चार साल से प्रैक्टिस कर रही हैं। अंजली का कहना है कि कभी कभी लगता है कि जीत हासिल नहीं हो पाएगी। मगर हर दिन आने वाले नए सवेरे के साथ उम्मीद रहती है कि आने वाला वक्त मेरा होगा।

जिंदगी में दौडऩा पड़ता है
पूजा पटेल मऊआइमा की रहने वाली हैं। हेल्थॉन में पूजा थर्ड विनर रहीं। पूजा का कहना है कि जिंदगी में दौडऩा पड़ता है। कोई बिजनेस के लिए दौड़ता है कोई नौकरी के लिए। इसलिए मेरे मन में ख्याल आया कि जब दौडऩा है तो रोज क्यों न दौड़ा जाए। शायद ये दौड़ उन्हें जिंदगी में वो सारे मकाम दे दे जो उन्हें चाहिए। इसके बाद से पांच साल हो गए पूजा को दौड़ते हुए। पूजा क्रास कंट्री रेस में हिस्सा ले चुकी हैं। अभी कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं हुई है, मगर वह चाहती हैं कि एक दिन दौड़ में उन्हें मेडल मिले।

बस एक काम है प्रैक्टिस
अमेठी की रहने वाली श्रेया यहां पर फाफामऊ में रहती हैं। पिता श्याम लाल किसान हैं। चार बहन में श्रेया तीसरे नंबर पर हैं। श्रेया चार साल से प्रैक्टिस कर रही हैं। मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में रोज प्रैक्टिस करने वाली श्रेया इंटरनेशनल खेलना चाहती हैं। ताकि देश उनका और उनके गांव का नाम जान सके।

प्रथम पुरुष वर्ग
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा आयोजित हेल्थॉन के दस किमी रेस में मैं फस्ट पोजीशन पर रहा। अगली बार इस इवेंट के 21 किलो मीटर में प्रतिभाग करेंगे। मैं मूल रूप से अमेठी के अयोध्या नगर का निवासी हूं। रनिंग की प्रैक्टिस लखनऊ में रहकर करते हैं। पिता भारत कुमार व्यापारी हैं।
इंद्रजीत कुमार, धावक

द्वितीय पुरुष वर्ग
हेल्थॉन दस किमी की रेस में सेकंड पोजीशन आई है। फस्ट आने में चूक कहां हुई इस बात पर हम मंथन करेंगे। उन कमियों को दुरुस्त करके अगली बार फस्ट जरूर आएंगे। यहां मिली जीत से काफी खुश हूं। मैं मूल रूप से गोरखपुर चौरीचौरा का रहने वाला हूं। पिता नन्दलाल पासवान किसानी करते हैं।
रुस्तम कुमार, धावक

थर्ड पुरुष वर्ग
दस किमी हेल्थॉन हॉफ मैराथन में मिली सफलता से काफी खुशी मिली है। हमें थर्ड पोजीशन मिली है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट हेल्थॉन हम जैसों के लिए एक बेहतर अवसर है। हम प्रयागराज झूंसी लगड़ीपुर के निवासी हैं। पिता लल्लू प्रसाद एक किसान हैं। शहर में आकर स्पोर्ट की तैयारी करते हैं।
अमन यादव उर्फ दूधनाथ, धावक

प्रथम महिला वर्ग
मैं मूल रूप से भदोही जनपद स्थित सरायजगदीश की रहने वाली हूं। यहां मेडिकल चौराहे के पास रहकर स्पोट्र्स की तैयारी करती हूं। पिता सुरेश यादव किसान हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा आयोजित हेल्थॉन में पापा ने फार्म फिल कराया था। दस किमी दौड़ में मिली फस्ट पोजीशन से काफी खुश हूं।
पुष्पा यादव, धावक


द्वितीय महिला वर्ग

प्रयागराज में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट हेल्थॉन की जानकारी हमें इंस्टाग्राम से मिली तो फार्म भरकर वाराणसी से प्रतिभाग के लिए आ गए। मूल रूप से हम वाराणसी बीएचयू के पास की निवासी हूं। पिता पेशे से राजगीर हैं। बीए में पढ़ाई के साथ रेसनिंग की पैक्टिस भी करती हूं।
प्रियंका पटेल, धावक

तृतीय महिला
हेल्थॉन दस किमी रेस में मिली थर्ड पोजीशन से हमारा हौसला बढ़ा है। अगली बार मैं फस्ट आने के लिए और शिद्दत से प्रैक्टिस करूंगी। हम युवा रेसरों के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा आयोजित हेल्थॉन एक सराहनीय इवेंट व अवसर है। मैं मूल रूप से प्रतापगढ़ जिले के विश्वनाथगंज की रहने वाली हूं। प्रयागराज कर्नलगंज स्थित हॉस्टल में रहती हूं और बी-कॉम सेकंड इयर की स्टूडेंट हूं।
अनुष्का गौतम, धावक