कमेटी द्वारा काली पूजा की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इसके लिए पहली बार 16 फिट लंबी मां काली की मूर्ति तैयार की गई है। इस विशालकाय मूर्ति को बनाने के लिए जबलपुर से स्पेशली कारीगर बुलाए गए हैं। यही कारीगर 40 फिट ऊंचा बर्फीला पहाड़ भी तैयार कर रहे हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस से बने इस पहाड़ को हूबहू ओरिजिनल लुक दिया जा रहा है। कमेटी के अंबोध मानस बताते हैं कि पहाड़ी के नीचे से ही एक गुफा निकाली जाएगी, जिससे होकर लोग इस विशालकाय मूर्ति के दर्शन कर सकेंगे। इसके अलावा गुफा में भगवान श्रीकृष्ण, साईं बाबा, हनुमान सहित नौ देवियां भी विराजेंगी। पहाड़ी के ऊपर भगवान शंकर के मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, जहां भोलेनाथ संग गणेशजी भी विराजेंगे.
1989 से चल रही है पूजा
खुल्दाबाद में इस पूजा का आयोजन 1989 से लगातार किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत कमेटी के संस्थापक प्रबोध मानस ने किया था। तब से लगातार दीपावली पर काली पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है। इस बार भी एक नवंबर को मूर्ति का अनावरण किया जाएगा। इसके बाद दो नवंबर की रात से तीन नवंबर की सुबह तक कालि रात्रि की भव्य पूजा होगी। इसके छह नवंबर को धूमधाम से विसर्जन होगा। अंबोध मानस बताते हैं कि मूर्ति के वस्त्र और अस्त्र-शस्त्र सभी मिट्टी से बनाए गए हैं। हर साल होने वाली इस पूजा में हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
बस देखते रह जाएंगे कमेटी द्वारा काली पूजा की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इसके लिए पहली बार 16 फिट लंबी मां काली की मूर्ति तैयार की गई है। इस विशालकाय मूर्ति को बनाने के लिए जबलपुर से स्पेशली कारीगर बुलाए गए हैं। यही कारीगर 40 फिट ऊंचा बर्फीला पहाड़ भी तैयार कर रहे हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस से बने इस पहाड़ को हूबहू ओरिजिनल लुक दिया जा रहा है। कमेटी के अंबोध मानस बताते हैं कि पहाड़ी के नीचे से ही एक गुफा निकाली जाएगी, जिससे होकर लोग इस विशालकाय मूर्ति के दर्शन कर सकेंगे। इसके अलावा गुफा में भगवान श्रीकृष्ण, साईं बाबा, हनुमान सहित नौ देवियां भी विराजेंगी। पहाड़ी के ऊपर भगवान शंकर के मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, जहां भोलेनाथ संग गणेशजी भी विराजेंगे.
1989 से चल रही है पूजा खुल्दाबाद में इस पूजा का आयोजन 1989 से लगातार किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत कमेटी के संस्थापक प्रबोध मानस ने किया था। तब से लगातार दीपावली पर काली पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है। इस बार भी एक नवंबर को मूर्ति का अनावरण किया जाएगा। इसके बाद दो नवंबर की रात से तीन नवंबर की सुबह तक कालि रात्रि की भव्य पूजा होगी। इसके छह नवंबर को धूमधाम से विसर्जन होगा। अंबोध मानस बताते हैं कि मूर्ति के वस्त्र और अस्त्र-शस्त्र सभी मिट्टी से बनाए गए हैं। हर साल होने वाली इस पूजा में हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
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