प्रयागराज (ब्‍यूरो)। त्रिदिवसीय इंडियन मेनोपॉज सोसाइटी के राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतिम दिन स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ। ऋषिकेश डी। पाई ने डॉ एके बंसल स्मृति व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि युवावस्था में अण्डाणुओं को फ्र जिंग तकनीक द्वारा सुरक्षित रखकर चालीस की उम्र के बाद भी स्वस्थ बच्चे को जन्म देना संभव है। एडवांस्ड लप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ अर्पित बंसल ने लेप्रोस्कोपी एवं हिस्ट्रोस्कोपी द्वारा रक्त विहीन शल्य क्रिया के विषय में वीडियो दिखाते हुए समझाया। इंटरवेंशनल रेडियोलाजिस्ट डॉ हर्षित बंसल ने विभिन्न व्याधियों के इलाज में इंटरवेंशनल रेडियोलोजी की उपयोगिता पर सचित्र प्रकाश डाला। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ साक्षी आर बंसल ने ओवेरियन एवं स्तन कैंसर का आनुवंशिक सम्बन्ध के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी दी। डॉ प्रभु मिश्रा ने स्टेम सेल की इलाज में उपयोगिता पर प्रकाश डाला। डॉ अंजुला सहाय, डॉ मोनिका सिंह, डॉ रणधीर सिंह, डॉ अमृता चौरसिया, डॉ रीना श्रीवास्तव ने मीनोपॉज से सम्बंधित समस्याओं और उनके निदान की नवीनतम चिकित्सा तकनीक पर जानकारी साझा की। मीनोपॉज के दौरान हो रही मनोवैज्ञानिक समस्यायों विचार-विमर्श हुआ।

कम होने लगती है अंडाणुओं की संख्या
मुंबई से आये डा। डी पाई ने कहा कि 40 वर्ष की उम्र में गर्भधारण करने में मां व बच्चे को कई शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। इस उम्र में महिलाओं में अंडाणुओं की संख्या कम होने लगती है। समापन समारोह में डॉ वंदना बंसल ने तीन दिवसीय संगोष्ठी को सफल बनाने में विशेष सहयोग देने के लिए डॉ अमृता चौरसिया, डॉ अंजुला सहाय,डॉ शान्ति चौधरी, चित्रा पांडे समेत पूरी टीम को सम्मानित किया और आभार ज्ञापित किया।