प्रयागराज ब्यूरो । सहित्यिक संस्था अदब सिलसिला की ओर रविवार को नूरउल्ला स्थित नवाब गार्डन में साहित्यिक संगोष्ठी एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। प्रख्यात शायर और अदीब कैसरूल जाफरी स्मृति कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से शायरों, साहित्यकारों और समाज के विभिन्न वर्ग से जुड़े लोगों ने स्वर्गीय कैसर जाफरी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम संयोजक मो। सलीम अलीग ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का परिचय कराया। केरल के शायर केपी शम्सउद्दीन ने कहा कि शायरी हमें सुकून देती है। यह हर साहित्यकार के वंशजों का दायित्व है कि वह परिवार के प्रख्यात शख्यिसतों की विरासतों को आगे बढाए। जौनपुर के इरफान चौधरी ने कहा अदब महसूस करने वाली चीज है, मरहूम शायर ने इसे हद की उंचाईयों तक आगे बढाया।

शायरी पर किसी पंथ या ख्याल का असर नहीं

जबलपुर के सलीम अंसारी ने कहा शायर कलीम कैसर की शायरी पर किसी पंथ या ख्याल का असर नहीं था। उनके जज्बात तरक्की पसंद तहरीक के विचारों से बिल्कुल जुदा थे। बीएचयू के डा। मो। कासिम अंसारी ने कहा कलीम कैसर की शायरी महज भारत ही नहीं बल्कि एशिया के अधिकतर मुल्कों मील का पत्थर है.संचालन कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामियां के डा। जावेद हसन ने अदब और समाज के अंर्तसंबंधों पर कलीम कैसर के ख्यालों पर विस्तृत चर्चा की। मुख्य अतिथि प्रख्यात शायर इरफान जाफरी और समाजिक कार्यकर्ता फाजिल अंसारी रहे। मानद अतिथि अलीगढ मुस्लिम विवि के प्रो, रेहान अख्तर कासमी और बीएचयू के डा। मो। कसिम अंसारी रहे। दूसरे सत्र में मशायरे का आयोजन किया गया। इसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आए शायरों ने अपने कलाम पेश किए। इस अवसर पर सलीम अंसारी, खुर्शीद हयात, सलीम कौसर, फरमूद इलाहाबादी, डा। अजय मालवीय, हसानउल्ला अंसारी, फहीम अहमद राई, सहित बडी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे।

प्रतिभा का हुआ सम्मान

इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों से जुडेलागों को अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इसमें प्रो, अली अहमद फातमी, डा। अहमद मकीन, मौलाना अहमद अमीन, असरार गांधी, तनवीर फरीदी, फाजिल अंसारी, मंसूर आलम, मो। शाहिद, सलमान अख्तर और मजीद मलिक आदि शामिल थे।