-कीडगंज के यमुना रोड पर अवैध कब्जा करके रह रहे हैं 35 सौ परिवार

-सेना द्वारा कई बार नोटिस देने के बाद भी खाली करने को नहीं हैं तैयार

-मतदाता सूची में नाम दर्ज होने के कारण नेता सेक रहे अपनी रोटी

ALLAHABAD: मथुरा के जवाहरबाग कांड से लगता है सेना और प्रशासन ने सबक नहीं लिया है। शहर में कई ऐसे इलाके हैं, जहां नाजायज रूप से एक बड़ी आबादी तेजी से रहनुमाओं की नाक के नीचे बस रही है। इन्हें यहां रहते लंबा समय भी बीत चुका है, फिर भी जिम्मेदार अधिकारी इसे अनदेखा कर रहे हैं। ऐसा ही इलाका है कीडगंज के यमुना रोड पर बनी झुग्गी-झोपडि़यां। यहां हजारों की संख्या में लोगों ने अपना ठिकाना बना रखा है। सेना के अधिकारियों ने जरूर नोटिस जारी किए लेकिन ये लोग हटने का नाम नहीं ले रहे। आज नहीं तो कल जब जबरन हटाने की कार्रवाई होगी तो जाहिर सी बात है कि इसका विरोध सेना और जिला प्रशासन को झेलना पड़ सकता है। आलम यह है कि इनकी संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। मगर अधिकारी इस दिशा में कोई कदम बढ़ाने को तैयार नहीं है। या तो उन्हें डर है। या फिर वह कुछ करना नहीं चाहते हैं।

तैयार हो रही है बड़ी फौज

कीडगंज क्षेत्र में यमुना रोड के आस-पास छावनी एरिया है। एक समय था जब यहां जमीनें खाली हुआ करती थी मगर जैसे-जैसे समय बीतता गया अवैध कब्जेदारों ने मौका देख, यहां पर अपना ठिकाना बना लिया। और एक समय आया जब यहां हजारों की तदाद में अवैध रूप से निचले स्तर के लोगों ने अपना कब्जा जमा लिया और आज छावनी की इस जमीन पर करीब पैतीस सौ से अधिक लोग निवास कर रहें है। इसमें बड़ी संख्या में पुरुष शामिल हैं। इसके बाद महिलाओं का नंबर आता है। इस प्रकार से अगर देखा जाए तो इस मलीन बस्ती में अंदर ही अंदर पुरुषों की एक बड़ी फौज तैयार हो रही है। जो आने वाले समय में सेना और जिला प्रशासन के लिए समस्या का कारण बन सकता है। कुछ स्थानीय नेताओं का कहना है कि पिछले कुछ सालों में इनकी आबादी काफी तेजी से बढ़ी है। और आगे भी लगातार यह स्थिती जारी है। इतना ही नहीं ये लोग आस-पास पड़ी खाली पड़े प्लॉटों पर भी इनकी नीयत खराब हो रही है। जो आगे चलकर सेना और प्रशासन के लिए बड़ी मुसीबत का कारण बन सकते हैं।

छह बीघे में बसी है बस्ती

स्थानीय पार्षदों की माने तो यमुना रोड पर स्थित जिस छावनी परिषद की जमीन पर ये अवैध कब्जेदारों ने अपना कब्जा जमा लिया। वह एक बड़े क्षेत्रफल में फैली है। यमुना नदी के किनारे होने के कारण यह सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इन अवैध कब्जेदारों से न केवल सेना के अधिकारी परेशान हैं, बल्कि इनसे स्थानीय पब्लिक भी काफी अजीज आ चुकी है। पड़ोस के रहने वाले सुधीर शर्मा बताते हैं कि इन मलीन बस्ती में रहने वाले लोगों से आस-पास के लोग काफी परेशान है। क्योंकि ये अपने आस-पास साफ सफाई का जरा भी ध्यान नहीं देते है। नतीजा गंदगी के चलते आए दिन लोग बीमार पड़ते हैं। इतना ही कहीं इन बस्तियों में रहने वाले कुछ लोग तो क्रिमिनल प्रवृत्ति के भी हैं, जो अक्सर रात के अंधेरे में घटनाओं को अंजाम देते हैं।

नोटिस का कोई जवाब नहीं

बताया जाता है कि इस बस्ती में रहने वाले लोगो कम पढ़े-लिखे होने के साथ ही इन सब के पास पैसा भी नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि सेना संपदा विभाग की तरफ से यहां रहने वाले तमाम लोगों को जगह खाली करने की नोटिस नहीं भेजी गई। मगर इन लोगों ने न तो जगह छोड़ी और न ही आज तक किसी ने भी भेजी गई नोटिस का सही से जवाब दिया है। इसके पीछे और कोई वजह नहीं है बल्कि इनका कम पढ़ा लिखा होना बताया गया है। इसकी वजह से इसे खाली करवाने में सेना को काफी दिक्कतों के साथ ही अड़चन का सामना करना पड़ रहा है अधिकारियों को। अब देखना यह है कि क्या अधिकारी इसे शांति पूर्वक जगह खाली करा पाने में कामयाब होते है। या फिर वे दूसरा जवाहरबाग जैसी घटना का इंतजार कर रहे हैं।

वर्जन

यह मामला सेना के रक्षा संपदा विभाग से जुड़ा है। इसमें बोर्ड को कोई रोल नहीं होता है।

शालिनी पाण्डेय सीईओ कैंट बोर्ड