प्रयागराज ब्यूरो ।इस समय लोगों की परेशानी का बड़ा कारण मौसम बना हुआ है। हालत यह है कि दिन और रात के तापमान में लगभग दोगुने का अंतर है। इसकी वजह से लोग मौसम के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पा रहे हैं और बीमार हो रहे हैं। सबसे अहम कि दिन के समय गर्म हवाओं का चलना सिरदर्द बना हुआ है। इसकी वजह से अस्पतालों में मरीजों का पहुंचना जारी है। इसको देखते हुए जिला प्रशासन ने हीट वेव से बचाव की गाइड लाइन जारी कर दी है।
कब चलती है हीट वेव
जानकारी के मुताबिक जब वातावरण का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से 3-4 डिग्री अधिक पहुंच जाता है तो उसे हीटवेब या लू कहते हैं। अभी आगे गर्मी का प्रकोप और बढ़ेगा इसलिए गर्मी से बचाव के लिए विभिन्न उपायों को अपनाना चाहिए। वर्तमान में दोपहर के समय ऐसी गर्म हवाएं तेजी से चल रही है जो कि चिंता का कारण बनी हुई हैं। पिछले एक सप्ताह में बेली अस्पताल में 66 काल्विन अस्पताल में 85 और एसआरएन अस्पताल में 125 मरीज हीट वेव के शिकार होकर पहुंचे हैं।

कब लगती है लू
- गर्मी में शरीर के द्रव्य बॉडी फ्ल्यूड सूखने लगते हैं।
- शरीर में पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है।
- शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किंसस रोग, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह वाले व्यक्तियों को लू से अधिक खतरा।
- डॉययूरेटिक, एंटीस्टिमिनक, मानसिक रोग की औषधि का उपयोग करने वाले व्यक्ति भी लू से सवाधान रहें।

लू के लक्षण
- गर्म, लाल, शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना, तेज पल्स होना, उल्टे श्वास गति में तेजी,व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति, सिरदर्द, मिचली, थकान और कमजोरी का होना या चक्कर आना, मूत्र न होना।
- इन लक्षणों के चलते मनुष्यों के शरीर के उच्च तापमान से आंतरिक अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है। इससे शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न हो जाता है।

इनको है अधिक खतरा
- 05 वर्ष से कम आयु के बच्चे व 65 वर्ष से ज्यादा के व्यक्ति।
- गर्भवती महिलायें।
- ऐसे व्यक्ति जोकी सैन्य, कृषि, निर्माण और औद्योगिक व्यवसाय में श्रमिक, मजदूर, खिलाड़ी आदि हों।
- शारीरिक तौर पर कमजोर व्य1ित एवं मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति।
- त्वचा संबन्धित रोग जैसे:-सोरायसिस, पायोडर्मा आदि से प्रभावित व्यक्ति।
- पर्यावरण बदलने के कारण गर्मी के अनुकूलनता का आभाव।
- सोने का आभाव।

जारी हुआ हेल्प लाइन नंबर
इन नंबरो पर करें कॉल
- एम्बुलेंस 108
- पुलिस -112
- राहत आयुक्त कार्यालय 1070 टोल फ्र
- जिला इमरजेंसी ऑपरेशन सेन्टर प्रयागराज कंट्रोल रूम। 0532.2641577 - 0532.2641578

हीट वेव से बचाव
- रेडियो सुनिए, टीवी देखिए, स्थानीय मौसम समाचार के लिए समाचार पत्र पढ़ें।
- पर्याप्त पानी पियें - भले ही प्यास न लगे।
- खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन), लस्सी, तोरानी (चावल का पानी), नींबू का पानी, छाछ आदि जैसे घरेलू पेय का इस्तेमाल करें।
- हल्के वजन, हल्के रंग के, ढीले, सूती कपड़े पहनें।
- अपना सिर ढंकें: कपड़े, टोपी या छतरी का उपयोग करें।
- हांथों को साबुन और पानी से बार-बार धोएं।
- अनावश्यक घर से बाहर प्रात-11.00 से सांयकाल-4.00 बजे तक न निकले बहुत ही आवश्यक होने पर चेहरे व सिर को ढककर ही निकले।
- शिशुओं के पेशाब का रंग गहरा है तो इसका मतलब है कि वह डिहाईड्रेशन (पानी की कमी) का शिकार हैं।
- बच्चों को बिना देखरेख खड़ी गाड़ी में छोड़ कर न जाएं, वाहन जल्दी गर्म होकर खतरनाक तापमान पैदा कर सकते हैं।
- यदि आप बेहोश या कमजोरी महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए।
- जानवरों को छाया में रखें और उन्हें पीने के लिए भरपूर पानी दें।