प्रयागराज ब्यूरो । हापुड़ में अधिवक्ताओं पर पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में प्रदेश भर के चल रहे न्यायिक कार्य के बहिष्कार को खत्म करके वकीलों से काम पर लौटने का अनुरोध इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किया है। प्रकरण को स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई के लिए सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस एमसी त्रिपाठी की बेंच बैठी थी। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि वकीलों की मांग को मांगते हुए प्रकरण की जांच के लिए पूर्व जिला जज की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन कर दिया गया है। एक हफ्ते में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आ जायेगी। साढ़े चार बजे शाम को बैठी अदालत ने अधिवक्ताओं के खिलाफ अभी तक दर्ज एफआईआर के तहत उत्पीडऩात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने सभी वकीलों से काम पर लौटने का अनुरोध किया।

रिपोर्ट आने के बाद ही कोई कार्रवाई

सुनवाई कर रही कोर्ट के सामने पक्ष रखने के लिए मौजूद अधिवक्ताओं ने पुलिस अफसरों पर कार्रवाई की मांग उठायी तो कोर्ट ने बार एसोसिएशन की इस मांग को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जायेगी। रिपोर्ट में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह व महासचिव नितिन शर्मा ने कहा कि बार काउंसिल की मांग पर विचार किया जाय। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज सहित बार काउंसिल के प्रतिनिधि को भी जांच कमेटी में रखा जाय। क्योंकि पुलिस की कमेटी से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है।

हम तो बार कौंसिल के प्रस्ताव का पालन कर रहे

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की बेंच के सामने यूपी बार काउंसिल की तरफ से अधिवक्ता ने भी पक्ष रखा। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना था कि बार काउंसिल हमारी मातृ संस्था है। हम उसके प्रस्ताव का पालन कर रहे हैं। कहा चार जिलों में वकीलों पर एफआईआर दर्ज की गई है। कोर्ट का कहना था कि हमारा उद्देश्य निष्पक्ष जांच कराना है। किसी को भी परेशान न किया जाय। बिना जांच किसी पर कार्रवाई उचित नहीं है।

हड़ताल शब्द पर आपत्ति

चीफ जस्टिस की बेंच ने बार काउंसिल द्वारा हड़ताल शब्द का इस्तेमाल करने पर आपत्ति की। कहा ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लघंन है। कोर्ट ने साथ में यह भी जोड़ा कि बेंच बार का हिस्सा है। वह सभी का हित देख रही है। हड़ताल से वादकारियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। इसका समाधान निकाला जाना चाहिए। वकीलों को जांच में सहयोग करना चाहिए। पूर्व उपाध्यक्ष अश्वनी कुमार ओझा ने बहस में शामिल होते हुए कहा कि 2004 में हाईकोर्ट में पुलिस बर्बरता को लेकर याचिका दाखिल की गयी थी। यह याचिका अब भी पेंडिंग है। इस याचिका प कार्रवाई की गई होती तो यह घटना ही नहीं होती। पुलिस ने हड़ताली हाईकोर्ट वकीलो के खिलाफ बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करते हुए दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया। सैकड़ों वाहनों में तोडफ़ोड़ की थी। पूर्व संयुक्त सचिव संतोष कुमार तिवारी, आद्या प्रसाद ने भी पक्ष रखा।

एसआईटी में शामिल करने पर करेंगे विचार

दो जजों की बेंच ने वकीलों से बार बार काम पर लौटने का अनुरोध किया और साफ कहा कि मंगलवार से अदालतें समय पर बैठेगी। वकील कोर्ट में आये या न आयें, अदालतों में काम निबटाया जाएगा। अपर महाधिवक्ता ने अविनाश सक्सेना व आरबी सिंह को एसआईटी में शामिल करने पर विचार करने का आश्वासन दिया। इस फैसले के बाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की आपात मिटिंग बुलाई गई थी। इसमें कोर्ट में सुनवाई का फैसला अपलोड होने का इंतजार किया जा रहा था। वैसे संयुक्त सचिव प्रेस अमरेन्द्र सिंह की तरफ से एक मैसेज जारी किया गया, जिसमें कहा गया है कि हम हाई कोर्ट बार और बार कौंसिल के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं और मंगलवार को काम नहीं होगा। समाचार लिखे जाने के समय तक बार कौसिंल की तरफ से कोई फैसला नहीं आया था।