प्रयागराज (ब्यूरो)। पिछले तीन साल से कोरोना के चलते हजारों लोगों का रोजगार चला गया। लोग परेशान हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्होंने विभिन्न योजनाओं के तहत बैंकों से लोन मांगा है। लेकिन बैंक उनके आवेदन को पूरा करने को तैयार नही हैं। इस वित्तीय वर्ष में नौ माह में महज 38 फीसदी को ही लोन दिया गया। बाकी के आवेदनों के ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। कई आवेदक अभी भी अपनी फाइल लेकर बैंकों का चक्कर काट रहे हैं।

किस योजना में कितनों को मिला लोन

योजना आवेदन की संख्या मिला लोन धनराशि

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम 142 90 13.50 करोड़

मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना 223 72 8.44 करोड़

ओडीओपी 132 30 4.60 करोड़

कुल 497 192 26.54 करोड़

आपत्ति लगाकर कर देते हैं वापस

बता दें कि पीएम रोजगार सृजन कार्यक्रम में 63 फीसदी, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में 32 फीसदी और ओडीओपी में केवल 22 फीसदी को ही लोन दिया गया है। बाकी आवेदनों को आपत्ति लगाकर भेज दिया जाता है। आवेदनों का रिजेक्ट करने के बैंकों के पास कई रीजन होते हैं। वह ऐसे आवेदकों को लोन देना पसंद करते हैं जिसका बिजनेस बेहतर हो या जिसने पहले लोन लेकर चुका दिया हो। यही कारण है कि नए आवेदकों को लोन नही मिल पा रहा है।

फैक्ट फाइल

- विनिर्माण क्षेत्र में अधिकतम 25 लाख रुपए लोन दिया जाता है।

- सेवा क्षेत्र मे अधिकतम 10 लाख रुपए तक लोन दिया जाता है।

- तीनों योजनाओं में यह दोनों कंडीशन लागू हैं।

- सरकार 25 फीसदी सब्सिडी संपूर्ण परियोजना धनराशि पर अनुमन्य करती है।

एनपीए से डरते हैं बैंक

सोर्सेज बताते हैं कि मीटिंग में प्रशासनिक अधिकारी तमाम बैंकों की परफार्मेंस पर नाराजगी जाहिर करते हैं। इन मीटिंग्स में शत प्रतिशत आवेदनों पर लोन देने को कहा जाता है। लेकिन ऐसा होता नही है। बैंक अपने एनपीए के डर से लोन देने से डरते हैं। क्योंकि इसकी जिम्मेदारी सीधे मैनेजर्स के सिर पर होती है। लोन देने से पहले बैंक इन प्वाइंट्स को लेकर आपत्तियां लगाते हैं।

- आवेदक का सिबिल स्कोर चेक किया जाता है।

- सर्वे कर बिजनेस की जगह को देखा जाता है।

- आवेदन से संबंधित सभी डाक्यूमेंट मांगे जाते हैं।

- मार्जिन मनी जमा करने की स्थिति में आवेदक है या नही, ये भी देखा जाता है।

- आवेदक को प्रोजेक्ट कास्ट का पांच फीसदी लगाना होता है।

- प्रोजेक्ट की फिजिबिलिटी चेक की जाती है।

- लोन के बदले गारंटी या गारंटर का ब्यौरा भी लिया जाता है।

एसबीआई और ग्रामीण बैंकों की परफार्मेंस खराब!

नियमानुसार उद्योग विभाग से लोन के कागज चेक होकर जाते हैं। इन्हे पास करके बैंकों में भेजा जाता है। विभाग के सोर्सेज का कहना है कि लोन देने में पीएनबी और बैंक आफ बड़ौदा बैंक की स्थिति कुछ ठीक है। जबकि एसबीआई और ग्रामीण बैंक की परफार्मेंस अच्छी नही हैं। इन बैंकों पर लक्ष्य के अनुरूप लोन नही देने का आरोप लगता है।

जो लोग विभिन्न योजनाओं के तहत लोन के लिए आवेदन करते हैं उनका चयन कर बैंकों को भेजा जाता है। यह बैंक निश्चित करते हैं कि उन्हें किसे लोन देना है। इस साल 38 फीसदी को लोन दिया गया है।

अजय कुमार चौरसिया, उपायुक्त उद्योग प्रयागराज