- बुद्ध पूर्णिमा पर रोक के बावजूद खुलेआम हुई मांस की बिक्री

- आदेश देने तक सिमटे अफसर, चेकिंग को निकले ही नहीं

<- बुद्ध पूर्णिमा पर रोक के बावजूद खुलेआम हुई मांस की बिक्री

- आदेश देने तक सिमटे अफसर, चेकिंग को निकले ही नहीं

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: जियो और जीने दो का संदेश देकर मानवता का पाठ पढ़ाने वाले शांतिदूत का अवतरण दिवस था। आदेश दिया गया था कि इस रोज किसी जीव की हत्या नहीं की जाएगी। मांस की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी। लेकिन अफसर सिर्फ आदेश देने तक सिमट गए और मांस के कारोबारी अपने धंधे में व्यस्त हो गए। मांस की दुकानों की चेकिंग न होने के कारण बुद्ध पूर्णिमा को भी जमकर निर्दोष जीवों की हत्या कर महात्मा बुद्ध के आर्दशों को चोट पहुंचाई गई। न बेचने वालों को इस आर्दश से कोई सरोकार था और ना ही खरीदने वालों को।

स्लाटर हाउस बंद रखने का था आदेश

दुनियाभर में शांति का पैगाम देने वाले भगवान गौतम बुद्ध की सोमवार को जयंती के अवसर पर सरकारी कार्यालयों में अवकाश घोषित किया गया था। शासन ने स्लाटर हाउस को भी बंद रखने का आदेश दिया था। आदेश का अनुपालन कराने की जिम्मेदारी नगर निगम के पशुधन अधिकारी को सौंपी गई थी। उन्होंने अपनी तरफ से कोरम पूरा करने वाला आदेश एक दिन पहले ही जारी कर दिया और विज्ञप्ति प्रकाशित करने के लिए समाचार पत्रों में भेज दिया।

एक दिन तो बख्श देते

आदेश के बाद भी मांस का कारोबार करने वाले नहीं माने। हटिया स्थित बकरा मंडी, हीवेट रोड, सिविल लाइंस, स्टेशन रोड, रामबाग, तेलियरगंज आदि इलाकों में स्थित दुकानों में खुलेआम पशु पक्षियों की हत्या कर मांस की बिक्री की गई। आदेश का सिर्फ इतना असर रहा कि इन दुकानों का आधा पर्दा बंद था। लेकिन मांस खरीदने वालों की भीड़ यहां साफ देखी गई। जिन अफसरों पर इसकी चेकिंग की जिम्मेदारी वे सरकारी अवकाश मना रहे थे।