तब से हुई है शुरुआत

मोबाइल कनेक्टिविटी में ये प्रॉब्लम एक सितंबर से शुरू हुई हैलोगों की शिकायत है कि अधिकतर कॉल ड्रॉप हो रही हैंकनेक्ट हुई भी तो दूसरी ओर से से साफ आवाज नहीं आतीकई बार नंबर डायल करते ही नॉट रिचेबल सुनाई पड़ता हैजानकार कहते हैं कि ये प्रॉब्लम्स टावर्स की फ्रीक्वेंसी लो हो जाने के चलते पैदा हुई हैहाल ही में मोबाइल टावरों से होने वाले रेडिएशन के खतरे के चलते भारत सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की हैइसके बाद ही स्टेट गवर्नमेंट ने एक सितंबर से टावर्स की फ्रीक्वेंसी लो किए जाने के निर्देश जारी किए हैं

 बिजनेस भी हो रहा चौपट

इस प्रॉब्लम का खामियाजा अकेले मोबाइल कंज्यूमर्स को ही नहीं बल्कि इंटरनेट यूजर्स को भी भुगतना पड़ रहा हैबता दें कि टावरों के जरिए थ्री जी इंटरनेट कनेक्शंस को भी कनेक्टिविटी प्रोवाइड की जाती हैअब जबकि फ्रीक्वेंसी पर लगाम लगी है ऐसे में इंटरनेट प्रॉसेसिंग भी स्लो हो गई हैयूनिवर्सिटी रोड स्थित एक साइबर कैफे संचालक का कहना है कि पिछले चार-पांच दिनों से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैइंटरनेट एक्सेस नहीं होने से कस्टमर लगातार वापस लौट रहे हैंउधर ऑफिसेज, बैंक, स्टोर्स, शॉप्स सहित कई जगहों पर भी लोगों ऐसी समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है

 तो क्या करते

शहरों में जिस तेजी से एक के बाद एक मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं उससे ये खतरा तो पैदा होना ही थालास्ट मंथ सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा साफ तौर पर कहा गया कि मोबाइल टावर्स से होने वाले रेडिएशन से इंसान हीं नहीं बल्कि पशु-पक्षियों को भी जबरदस्त खतरा हो रहा हैइनसे निकलने वाली इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेज से कैंसर सहित दूसरी खतरनाक बीमारियों के फैलने के सबसे ज्यादा चांसेज हैंजानकारी के मुताबिक केवल अर्बन एरिया में 800 से अधिक टॉवर हैंइनमें से अकेले 270 बीएसएनएल के हैं

 मानक से ज्यादा

मानक के अनुसार एक मोबाइल टावर की फ्रीक्वेंसी 900 मेगाहट्र्ज फिक्स्ड की गई हैबावजूद इसके धड़ाधड़ मोबाइल कनेक्शन बेचने में जुटी कंपनियां इससे अधिक फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करने पर उतारू हैंइसकी वजह से टावर के आसपास की आबादी पर रेडिएशन का जबरदस्त इफेक्ट पड़ रहा हैगवर्नमेंट की मंशा है कि कंपनियां फिक्स्ड फ्रीक्वेंसी का ही यूज करें, ताकि पब्लिक और वन्यजीवों को रेडिएशन से होने वाले खतरे से बचाया जा सकेइसके लिए टावरों का सर्वे भी स्टार्ट कर दिया गया है

 इन्हें कुछ पता ही नहीं है

शहर में प्रजेंट में कितने मोबाइल टावर लगे हैं इसका पता डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन को भी नहीं हैएक साल पहले तक टॉवर लगाने का लाइसेंस एडीए द्वारा दिया जाता थाकंपनियों द्वारा तय मानक पूरे न करने पर ऑफिसर्स ने परमिशन पर रोक लगा दीफिर भी सिटी में धड़ाधड़ टावर लगाने का काम जारी हैये किसकी परमिशन से हो रहा है इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं हैनगर निगम लाइसेंस विभाग का कहना है कि टावर लगाने के लिए हमसे कोई परमिशन नहीं ली जाती हैहमारे पास लाइसेंस जारी करने की कोई अथॉरिटी भी नहीं है

 लेकिन पुरानों का क्या होगा

हाल ही में सेंट्रल गवर्नमेंट ने मोबाइल टावर्स को लेकर नई गाइड लाइन जारी की हैइसमें साफ तौर पर कहा गया है कि स्कूल, हॉस्पिटल और रिहायशी इलाकों में नए टावर नहीं लगाए जाएंगेइसके अलावा कहा गया है कि दो टावर के बीच की दूरी एक किलोमीटर रखी जाएनए रूल अपनी जगह ठीक हैं लेकिन जो टावर पहले से ऐसी जगहों पर लगाए गए हैं उनको कौन हटाएगाये भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है

 effect

मानक के अनुरूप किसी भी टावर से निकलने वाला रेडिएशन 0.45 डब्ल्यूएफएसक्यू से अधिक नहीं होना चाहिए
टावरों से निकलने वाली हॉर्मफुल इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेज से लंग्स का कमजोर होना, नींद कम आना, सिरदर्द, बेचैनी, आंख की रोशनी का कम होना, कैंसर, चिड़चिड़ापन, भूख कम लगने जैसी बीमारियां हो सकती हैं

 क्या हैं नए rule

एंटीना वाले टावर से घर की दूरी 35 मीटर होनी चाहिए
एंटीना के सामने किसी का घर नहीं होना चाहिए
ज्यादा रेडिएशन वाले मोबाइल हैंडसेट का प्रोडक्शन 31 अगस्त 2013 तक बंद हो
कंपनियों को टावरों से 90 परसेंट तक रेडिएशन कम करने के निर्देश
इनकी निगरानी की जिम्मेदारी टेलीकॉम इन्फोर्समेंट रिसोर्स एंड मॉनिटरिंग करेगी
रूल्स फॉलो नहीं करने पर कंपनियों पर होगा फाइन