केंद्र सरकार की योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन को संचालित नहीं कर पा रहा लोकल एडमिनिस्ट्रेशन

योजना के तहत महानगरों में वेंडिंग जोन बनाकर पटरी दुकानदारों को स्थान मुहैया कराना है

नगर निगम ने पटरी दुकानदारों के सर्वे का काम एजेंसी को दिया था जो अब तक काम पूरा नहीं कर सकी है

ALLAHABAD: स्मार्ट सिटी बनने जा रहे इलाहाबाद के टोटल पॉपुलेशन में तीन परसेंट यानी करीब तीस हजार पॉपुलेशन की रोजी-रोटी शहर की सड़कों व पटरियों से जुड़ी हुई है। इस पर आए दिन कभी नगर निगम, कभी एडीए, कभी डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन तो कभी पुलिस लाठी बरसाती है। जब भी कोई वीवीआईपी आता है, तो इन्हें खदेड़ दिया जाता है। रोड किनारे व पटरी पर दुकान लगाकर अपना परिवार चलाने वाले करीब 30 हजार से अधिक परिवारों को नगर निगम अभी तक वह स्थान नहीं दिला सका है, जहां वे अपनी दुकान लगा सकें और परिवार का भरण पोषण कर सकें।

कम नहीं है इनका टर्नओवर

इलाहाबाद में स्टैबलिश बिजनेस पर परडे करोड़ों रुपया बरसता है। लेकिन अनस्टैबलिश बिजनेस का टर्नओवर भी इससे कम नहीं है। सिविल लाइंस हो या चौक, लीडर रोड हो या कटरा बाजार पूरे शहर में बड़ी-बड़ी दुकानों के अलावा रोड पर एक बड़ा बाजार सजता है, जहां की फुट फॉलिंग स्टैबलिश दुकानों से अधिक है। यही बाजार शहर के 30 हजार से अधिक परिवारों के जीने का सहारा है, जो ठेला-खोमचा लगाकर या फिर सड़क किनारे दुकान लगाकर अपना परिवार चलाते हैं। हालांकि ये भी हकीकत है कि रोड साइड चल रही दुकानों की वजह से ही शहर में जाम भी लगता है।

सरकार ने की है व्यवस्था

पटरी के दुकानदारों की रोजी-रोटी न मरे और शहर को इंक्रोचमेंट से छुटकारा भी मिल जाए, इसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की व्यवस्था की है। इसके तहत महानगरों में वेंडिंग जोन बनाकर पटरी दुकानदारों को स्थान मुहैया कराना है, जहां वे अपनी दुकान चला सकें।

लोकल फाल्ट से नहीं हुआ सर्वे

इलाहाबाद में भी वेंडिंग जोन बनना है। इसके लिए नगर निगम पहले पटरी के दुकानदारों का सर्वे कराकर कार्ड बनवा रहा है। इसकी जिम्मेदारी एनएफ इंफ्राटेक एजेंसी को सौंपी गई है। उसे फरवरी 2017 तक सर्वे पूरा कर वेंडरों को कार्ड जारी करना था, लेकिन एजेंसी अभी तक केवल 8 हजार वेंडरों को ही कार्ड दे सकी है। इस पर नगर आयुक्त शेषमणि पांडेय ने एजेंसी को नोटिस जारी किया है।