-कार्यकारिणी मीटिंग में सदस्यों की दलील हुई खारिज

-हरी-भरी की छुट्टी, नगर निगम कराएगा डोर-टु-डोर कूड़ा कलेक्शन

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PRAYAGRAJ: बड़ी उम्मीदें थीं कि शहर के सदन में पब्लिक की बातों को तवज्जो मिलेगी। सबसे बड़ा मुद्दा था शहर के 2.14 लाख घरों पर बढ़ाया गया हाउस टैक्स। लेकिन पब्लिक की उम्मीदों को पलीता लग गया। फाइनेंशियल ईयर 2019-20 के पुनरीक्षित बजट पर चर्चा के लिए सोमवार को कार्यकारिणी की मीटिंग बुलाई गई थी। इसमें सदस्यों ने 75 फीसदी बढ़ाए गए हाउस टैक्स को कम करने के लिए अपनी दलीलें रखीं। लेकिन उनकी बातों को खारिज कर दिया गया। वहीं मेयर ने स्पष्ट कर दिया कि हरी-भरी को अब किसी भी कीमत पर शहर में काम करने नहीं दिया जाएगा।

बढ़े हुए हाउस टैक्स का विरोध

कार्यकारिणी सदस्य कमलेश सिंह ने कहा कि नगर निगम सदन में निर्णय हुआ था कि कमेटी बनाकर हाउस टैक्स बढ़ाने का निर्णय लिया जाएगा। लेकिन कमेटी ने सदन को अवगत कराए बगैर निर्णय ले लिया, जो गलत है। जिया उबैद खां ने भी हाउस टैक्स 75 प्रतिशत बढ़ाए जाने पर विरोध जताया। उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि हाउस टैक्स कितना प्रतिशत हर साल वसूला जाता है। जिसका जवाब अधिकारी नहीं दे पाए।

आनंद भवन पर कैसे लगाया हाउस टैक्स

पुनरीक्षित बजट पर चर्चा की अध्यक्षता मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी ने की। नगर आयुक्त रवि रंजन व अन्य अधिकारी भी मीटिंग में मौजूद रहे। कार्यकारिणी सदस्य अशोक सिंह ने आनंद भवन पर 4.36 करोड़ रुपए का हाउस टैक्स लगाए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आनंद भवन राष्ट्र को समर्पित भवन है। इस पर हाउस टैक्स लगाना पूरी तरह से गलत है।

मेयर ने दिया जवाब

इस पर मेयर ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू ट्रस्ट गैर आवासीय क्षेत्र में स्थित है। आनंद भवन राष्ट्र की संपत्ति है, इस संबंध में कोई डॉक्यूमेंट आज तक नगर निगम को नहीं दिया गया है। अगर आनंद भवन के चेरिटेबल ट्रस्ट होने का डॉक्यूमेंट नगर निगम को दिया जाता है तो गृहकर माफी पर विचार हो सकता है। फिलहाल मामले की पूरी जांच का आदेश दिया गया है। सफाई व्यवस्था बनाएंगे बेहतर

कार्यकारिणी उपाध्यक्ष ओपी द्विवेदी ने हरी-भरी पर अभी तक फैसला न होने और शहर की सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने पर जवाब मांगा। इस पर मेयर ने कहा कि हरी-भरी से अब कोई समझौता नहीं होगा। शासन को पत्र लिखा जाएगा। सभी वार्डो में समान तरीके से कर्मचारियों को लगाकर सफाई व्यवस्था बेहतर बनाने की बात कही गई।

जीएम जलकल और एकाउंटेंट के बीच बहस

नगर निगम के पुनरीक्षित बजट में कुछ बदलाव के बाद जल कल के पुनरीक्षित बजट पर चर्चा शुरू हुई। कार्यकारिणी सदस्यों ने जलकल में हो रही मनमानी पर सवाल उठाया। इस पर मेयर की अध्यक्षता में जलकल से ठेकेदारी प्रथा पूरी तरह से समाप्त करने का निर्णय लिया गया। कहा गया कि कर्मचारी की जरूरत पड़ने पर डूडा से कर्मचारी लिए जाएं। मेयर ने अकाउंटेंट से सवाल किया कि जलकल में ठेकेदारी प्रथा क्यों लागू है, जिस पर एकाउंटेंट ने कहा कि जीएम मना कर देते हैं। एकाउंटेंट के इस जवाब से जीएम जलकल भड़क उठे और मीटिंग के दौरान ही दोनों अधिकारियों में तीखी बहस हुई।