प्रयागराज ब्‍यूरो। प्रधानमंत्री का प्रयागराज आना सैकड़ों बेरोजगारों के लिए काम का अवसर दे गया। चंद घंटे व कुछ दिनों के लिए ही सही मगर उन्हें काम मिला। इस कार्यक्रम में किए गए श्रम से श्रमिकों की खाजी जेब में थोड़े पैसे भी आए। दबी जुबान कुछ अफसर बताते हैं कि करीब 68 स्कूलों में बीस दिसंबर को ही हजारों महिलाएं आ गईं थीं। इनके लिए खाने का इंताजाम स्कूलों में किया गया था। खाना बनाने का जिम्मा लेने वाले हर स्कूल में कम से कम एक हलवाई और चार से पांच हेल्पर लगाए। सुबह उन महिलाओं को बिस्किट और चाय भी दिया जाना था। इस तरह करीब 400 लोगों को पीएम के प्रोग्राम से 48 घंटे का रोजगार मिला। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री के लिए मंच के निर्माण, बैरिकेडिंग, कुर्सी को लाने और लगाने एवं मैट आदि बिछाने में भी कम से कम 100 श्रमिकों को तो काम मिला ही है। गिरी हालत में प्रधानमंत्री के इस प्रोग्राम से 500 लोगों के लिए कुछ दिन व घंटे के लिए ही सही रोजगार का सृजन हुआ। यह तो वे लोग हैं जो केवल काम में लगाए गए। अप्रत्यक्ष रूप से देखा जाय तो अप्रत्यक्ष से प्रोग्राम के जरिए फायदा तो तमाम और भी लोगों को हुआ है। इसमें वे दुकानदार शामिल हैं जिनसे खाने का ठेका लेने वालों ने आटा तेल घी और सब्जी की खरीदारी की है। अब विपक्षियों को यह सारे लाभ नहीं दिखाई दें तो इसमें सरकार का क्या दोष?

यह बता पाना मुश्किल है कि मंच की तैयारी बैरिकेटिंग आदि में कितने लोग लगाए गए थे। खाने की व्यवस्था से विभाग का कोई मतलब नहीं। लगभग देखा जाय तो इन कार्यों में 500 लोग तो रहे ही होंगे। जरूरत के मुताबिक काम घटते बढ़ते रहते हैं, खर्च की बाबत पूरी काउंटिंग के बाद ही स्थिति क्लियर होगी।
कृष्ण कुमार श्रीवास्तव एक्सईएन पीडब्लूडी