प्रयागराज (ब्‍यूरो)। हाथी पांव यानी फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी को हल्का लेना ठीक नहीं होगा। जो लोग राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के दवा का सेवन नही कर रहे हैं उनकी सूची आशा कार्यकर्ताओं को तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। जिससे उन्हे बाद में काउंसिलिंग कराकर उनको मॉपअप राउंड में दवा खिलाई जा सके। बता दें कि अभियान की प्रगति को जानने के लिए भारत सरकार की तीन सदस्यीय टीम दो दिवसीय दौरे पर है। मंगलवार को टीम कौडि़हार ब्लॉक के मलाक हरहर गांव पहुंची। टीम में शामिल बीएमजीएफ संस्था से डॉ। राज शंकर घोष व पाथ संस्था से डॉ। सत्यव्रत राउत्रे व डॉ। पी बिस्वाल ने गांव में भ्रमण के दौरान स्थानीय लोगों से मिलकर अभियान की प्रगति का जायजा लिया।

टीम ने दवा खाने के लिए किया प्रेरित
भ्रमण के दौरान टीम कुछ घरों के परिवारों से मिली, जहां उनकी अंगुली पर दवा सेवन का निशान देखकर टीम ने उन्हें जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बताया। वहीं आशा ने टीम को ऐसे एक परिवार से भी मिलाया जिन्होंने दवा खाने से इनकार कर दिया था। टीम परिवार से मिली और उन्हें फाइलेरिया की गंभीरता बताते हुए दवा सेवन करने के लिए प्रेरित किया। टीम की अपील से प्रेरित होकर परिवार के सभी पांच सदस्यों ने टीम के सामने दवा का सेवन किया।

दवा का सेवन जरूरी
टीम में शामिल राज शंकर ने कहा कि फाइलेरिया की चेन तोडऩे के लिए दवा का सेवन जरूरी है। इसके लिए आशा व स्वास्थ्यकर्मी विद्यालय, राशन वितरण के समय व ग्राम पंचायत केन्द्रों पर लोगों को बुलाकर सामूहिक तौर पर दवा सेवन कराने पर अधिक ज़ोर दें, ताकि बड़ी संख्या में लोगों को दवा का सेवन करते देख समुदाय जागरूक हो। अभियान के दौरान आशा रैपिड रिस्पांस टीम के संपर्क में रहें और आपातकालीन परिस्थिति पडऩे पर उन्हें सूचित करें। स्तनपान कराने वाली माताओं को भी दवा का सेवन कराएं। दवा खिलाने के बाद उंगली पर निशान अवश्य लगाएं। साथ ही आशा ऐसे लोगों की सूची तैयार करे जिन्होंने दवा के सेवन से मना किया है, ताकि ऐसे लोगों की काउन्सलिग कर उन्हें माप अप राउंड के दौरान दवा का सेवन कराया जा सके।

हर पहलू को बारीकी से जांचा
केंद्रीय टीम के भ्रमण के बारे में जिला मलेरिया अधिकारी आनंद सिंह ने बताया कि केंद्रीय टीम ने गांव में दवा सेवन की स्थिति को जाना जिससे वह सतुष्ट दिखें। वहीं टीम ने अभियान में लगे स्वास्थ्य कर्मियों के पास दवा, चाक, मार्कर और बुकलेट की उपलब्धता तथा घरों पर मार्किंग का गहनता से जांच कर रिकॉर्ड दस्तावेजो का अवलोकन किया। टीम ने आशा के कार्यों में परिवार रजिस्टर की भूमिका भी देखी। अभियान को सफल बनाने के लिए टीम के द्वारा प्राप्त दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा।

8 दिन में 21 लाख से अधिक का लक्ष्य
10 से 28 फरवरी तक चलने वाले अभियान में 36 लाख 68 हजार 149 लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें से 19 फरवरी तक 15 लाख 8 हजार 12 लोगों को दवा खिलाने में सफलता मिली है। बाकी आठ दिनों में 21 लाख से अधिक को दवा खिलाने का कठिन लक्ष्य बाकी है। वही केंद्रीय टीम के साथ दौरे पर स्वास्थ्य विभाग से जिला मलेरिया अधिकारी आनंद सिंह, पाथ संस्था के मंडलीय समन्वयक डॉ शाश्वत त्रिपाठी, मलेरिया निरीक्षक आशीष यादव, मलेरिया निरीक्षक सौम्या, क्षेत्र की आशा कार्यकत्री व सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के प्रतिनिधि और पीसीआई संस्था के प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।