डेंगू बन गया प्राइवेट हॉस्पिटल्स की मोटी कमाई का जरिया

चंगुल में फंसे मरीज लगा रहे गुहार, स्वास्थ्य विभाग मौन

ALLAHABAD: लोगों में डेंगू से अधिक उसका खौफ सिर चढ़कर बोल रहा है। शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल इस दहशत को कैश करने में लगे हैं। यहां पर एक दिन का कमरे का किराया शहर के थ्री स्टार होटल्स से भी अधिक है। इलाज के नाम पर हजारों रुपए वसूले जा रहे हैं, जिसकी खबर स्वास्थ्य विभाग को दूर-दूर तक नहीं है। खून की जांच रिपोर्ट भी अधिकृत नहीं कराई जा रही है। केवल प्लेटलेट्स काउंट के नाम पर मरीजों को खुलेआम डराया जा रहा है। मरीजों ने इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के पास दर्ज कराई है।

पहले भर्ती हुए, अब लगा रहे गुहार

सिटी में ऐसे दर्जनों केस सामने आ रहे हैं जिनमें पहले तो इलाज के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती हो गए और अब मोटी रकम खर्च होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं। इनकी सुनवाई करने वाला भी कोई नहीं है। लोगों की माने तो हॉस्पिटल्स में कमरे का एक दिन का किराया तीन हजार रुपए तक वसूला जा रहा है। दवाओं और इंजेक्शन के नाम पर चार हजार रुपए प्रतिदिन वसूले जा रहे हैं। बिल भारी भरकम होने के बाद अब यह मरीज हॉस्पिटल से बाहर भी नहीं निकल पा रहे हैं।

सरकारी नहीं, प्राइवेट जांच पर इलाज

सबसे अहम यह कि डेंगू की प्राइवेट जांच को शासन ने पूरी तरह अमान्य कर दिया है। शहर में इसकी अधिकृत जांच केवल एमएलएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायलाजी लैब में होती है। बावजूद इसके प्राइवेट हॉस्पिटल्स अपनी लैब में जांच कराकर डेंगू का इलाज कर रहे हैं। मरीजों को प्लेटलेट्स काउंट कम दिखाकर इलाज शुरू कर दिया जाता है। गिनती के हॉस्पिटल्स हैं जिन्होंने सरकारी लैब में मरीज के खून का सैंपल भेजा है।

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सीएमओ के लेटर का असर नहीं

सीजन की शुरुआत में ही स्वास्थ्य विभाग ने प्राइवेट हॉस्पिटल्स को लेटर भेजकर डेंगू के मरीजों की जानकारी मुहैया कराने को कहा था। जिसका कोई असर नहीं हुआ है। मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज किया जा रहा है। जिसकी जानकारी अधिकारियों को नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के यह आंकड़ा मौजूद नहीं कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स में डेंगू के कितने मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।

केवल प्लेटलेट्स कम होना डेंगू का लक्षण नहीं

बता दें कि ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी है, जबकि फिजीशियन डॉ। ओपी त्रिपाठी कहते हैं कि केवल प्लेटलेट्स काउंट कम होना डेंगू का लक्षण नहीं है। यह मलेरिया और वायरल इंफेक्शन के चलते भी कम घट सकती है। जब तक बीस हजार प्लेटलेट्स काउंट न हो, तब तक इनकी डिमांड नहीं करनी चाहिए। इससे मरीज के शरीर में दूसरे विकार भी पैदा हो सकते हैं। बता दें कि वर्तमान में शहर के ब्लड बैंकों में रोजाना पांच सौ यूनिट की डिमांड पहुंच रही है और सरकारी जांच में चिंहित डेंगू के मरीजों की संख्या महज 11 है।

प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भर्ती कई मरीजों ने डेंगू के नाम पर महंगे इलाज की शिकायत की है। हमने उन्हें खून की जांच सरकारी लैब में कराने की सलाह दी है। लोगों को परेशान नहीं होना चाहिए। लक्षणों के आधार पर ही बीमारी का इलाज कराना चाहिए।

केपी द्विवेदी, जिला मलेरिया अधिकारी

डेंगू से हुई तीन मौतें

जिले में अब तक डेंगू से तीन मौते हो चुकी हैं। बुधवार को डेंगू पीडि़त चित्रकूट के कर्वी निवासी कृष्णा पांडेय (42) व कौशांबी के भरवारी कस्बा निवासी महेशचंद्र (32) की मौत हो गई। इनका इलाज निजी चिकित्सालय में चल रहा था।

अब तक 12 पाजिटिव

एमएलएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रो बायलाजी लैब में बुधवार को कुल 27 सैंपल की जांच की गई, जिसमें से डेंगू की एक रिपोर्ट पाजिटिव आई है। प्रतापगढ़ के रहने वाले महेश कुमार का इलाज एसआरएन हॉस्पिटल में चल रहा है। जांच में उनके ब्लड में डेंगू के लक्षण पाए गए हैं। इस तरह से अभी तक कुल 12 मरीज सामने आ चुके हैं, जिसमें से छह इलाहाबाद के बताए जा रहे हैं और बाकी दूसरे शहरों से आकर इलाज करा रहे हैं।