-कान्वेंट व निजी स्कूलों में पढ़ते हैं शिक्षा विभाग के ज्यादातर अधिकारियों के बच्चे

-कॉमनमैन ने किया हाइ कोर्ट के फैसले का स्वागत

-विधायक बोले जजेज अपने बच्चों का एडमिशन कराकर मिसाल पेश करें

ALLAHABAD: शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बात ही छोडि़ए प्रधानाध्यापक और अध्यापकों तक के बच्चे कांवेंट और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। हाइ कोर्ट का फैसला आने के बाद आई नेक्स्ट ने बुधवार को पड़ताल की तो यह सच सामने आया। सीधे तौर पर तो ये लोग कुछ भी बोलने से कतराएं लेकिन, इस फैसले से वे खुश बिल्कुल नहीं थे। एक विधायक जी ने तो जजों को नसीहत दे डाली है कि वे अपने बच्चों को प्राइमरी व सीनियर बेसिक स्कूलों में एडमिशन कराकर मिसाल पेश करें। कॉमनमैन हाइ कोर्ट के इस फैसले से बेहद खुश है।

बेहतर शिक्षा दिला रहे हैं बच्चों को

इस फैसले से बेसिक और माध्यमिक शिक्षा के अधिकारी कितना इत्तेफाक रखते हैं? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए आई नेक्स्ट ने अधिकारियों से बात की तो उन्होंने सीधे-सीधे कुछ भी बोलने से मना कर दिया। अपने बच्चों को प्राइवेट या कांवेंट स्कूलों में ही क्यों पढ़ाते हैं? के जवाब में उनका कहना था कि बेहतर शिक्षा हासिल करना हर बच्चे का हक है। इसीलिए हम उन्हें निजी स्कूलों में भेज रहे हैं। इसका मतलब है कि आप खुद मानते हैं कि प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में शिक्षा का स्तर ठीक नहीं है? इस सवाल का जवाब भी सीधा-सीधा नहीं मिला।

अफसरों के बच्चे प्राइवेट स्कूल में

आई नेक्स्ट ने जिले में तैनात शिक्षा विभाग के अधिकारियों के बच्चों के स्कूलों के बारे में पता लगाया। पता चला कि बेसिक शिक्षा परिषद में तैनात सहायक सचिव स्कंद शुक्ला के बच्चे महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर में पढ़ते हैं। मंडल के जेडी महेन्द्र कुमार के तीनों बच्चों का दाखिला भी इसी स्कूल में है। बड़ा बेटा नाइंथ, बेटी सेवेंथ व छोटा बेटा थर्ड में है। माध्यमिक शिक्षा परिषद के अपर सचिव प्रशासन राजेन्द्र प्रताप के बच्चे भी इसी स्कूल में हैं। बीएसए राजकुमार यादव की फैमली लखनऊ में रहती है और उनके बच्चें वहीं पढ़ते है। डीआईओएस कोमल यादव के बच्चे अब हायर एजूकेशन प्राप्त कर रहे हैं।

स्टेटस सिंबल है बड़ा कारण

कान्वेंट या निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का मुख्य कारण स्टेटस सिंबल है। बच्चे इंफीरियारिटी काम्प्लेक्स का शिकार न हों। उनका ओवरआल डेवलपमेंट हो, यह परपज भी कांवेंट और प्राइवेट स्कूल साल्व करते हैं। ग्लोबल रिक्वॉयरमेंट और एजुकेशन का स्टेटस आज के डेट में हर किसी के लिए ज्यादा मैटर करता है। स्वराज अभियान संस्था के जिला प्रवक्ता सै। इम्तियाज अली का कहना है कि इस फैसले पर अमल के बाद सरकारी विद्यालयों एवं वहां के शिक्षा के स्तर में अभूतपूर्व सुधार होगा। जमाल अफजल, अरविंद पांडेय, काजी मकसूद, वीआर प्रसाद, रामयश यादव आदि ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।

सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए दिया गया हाइ कोर्ट का फैसला सराहनीय है। इससे यूपी की बदहाल प्राथमिक शिक्षा पटरी पर आएगी।

-मुकुंद तिवारी

सदस्य, उत्तर प्रदेश कांग्रेस

उच्च पदों पर बैठे लोगों के बच्चों की वजह से अंग्रेजी माध्यम के स्कूल मनमानी करते हैं। हाइ कोर्ट के फैसले पर अमल से प्राइमरी स्कूलों के बच्चों का मनोबल भी बढ़ेगा। उनके मन से हीनभावना दूर होगी।

-सै। मो। अस्करी

महानगर अध्यक्ष, संयुक्त व्यापार मंडल

हाइ कोर्ट के फैसले पर अमल के बाद स्कूली बच्चों में भेदभाव समाप्त हो जाएगा। यह बेहतर समाज के निर्माण और सबको बराबरी का दर्जा होने का एहसास कराने के लिए जरूरी है।

प्रमिल केसरवानी,

व्यापारी

हाइ कोर्ट के फैसले पर अमल से सरकारी स्कूलों की दशा सुधरेगी और बच्चों के बीच बंटवारा दूर होगा।

राजेश केसरवानी

व्यापारी