यूपीपीएससी में एक सवाल के दो जवाब पर भी छिड़ चुकी है जंग

आयोग की परीक्षाओं में सवालों के गलत जवाब देने की रही है परंपरा

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: प्रश्नों का गलत उत्तर या सवाल ही गलत। यह सवाल उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के लिए बिल्कुल नया नहीं है। कभी हाई कोर्ट के आदेश पर तो कभी छात्रों के आब्जेक्शन पर परिणाम बदलना पड़ा। मंगलवार को आया इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला इसकी अगली कड़ी मात्र है। पिछले पांच सालों के दौरान आयोग को अपनी दो बड़ी परीक्षाओं का पूरा का पूरा परिणाम हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बदलना पड़ गया। वैसे इस दौरान उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की कोई ऐसी परीक्षा नहीं रही, जिसमें आयोग गलत सवाल या जवाब पर घिरा न हो। बात चाहे पीसीएस की हो या पीसीएस जे की। समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी की हो या कम्बाइंड लोअर सबआर्डिनेट की।

हर बड़ी परीक्षा पर सवाल

लगभग हर बड़ी परीक्षा सवालों के चलते सवालों के घेरे में खड़ी हो गई। कभी रिवाइज आंसर की जारी करके आयोग को खुद ही कई सवालों के जवाब बदलने पड़े या जवाब न मिलने पर प्रश्नों को ही डिलीट करना पड़ा। कई बार तो ऐसा भी हुआ। जब आयोग को एक ही सवाल के दो दो जवाब देने पड़े। आयोग की इस कार्यशैली को लेकर प्रतियोगियों ने कई दफे हंगामा भी काटा। मामला हाईकोर्ट की चौखट तक गया तो कोर्ट की दखल पर भी उत्तरों को बदलना पड़ा।

आयोग ने हिडेन कर दी आंसर की

इसका बड़ा एग्जाम्पल पीसीएस जे 2013 की परीक्षा रही है। जिसमें आयोग को 11 प्रश्नो के उत्तर बदलने पड़े थे। समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी 2013 परीक्षा में न्यायालय ने आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष को तलब किया था। जिसके बाद आयोग ने उत्तर कुंजी जारी किए जाने के अपने प्रस्ताव को ही छिपा लिया था। छात्रों के हाथ उत्तर कुंजी जारी किए जाने का प्रस्ताव लगा तो पीसीएस 2015 में न्यायालय के माध्यम से उत्तर कुंजी जारी करवाई जा सकी। इसमें पता चला की आयोग ने नौ प्रश्नो का गलत उत्तर दिया था। छात्रों ने गलत उत्तर के मामले में पीसीएस 2015 को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

लोअर 2015 में चार सवालों के माने थे दो जवाब

कम्बाइंड लोअर सबआर्डिनेट 2015 प्री परीक्षा परिणाम को रद्द करने के लिए भी कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। छात्रों का कहना था कि लोअर 2015 की संशोधित उत्तर कुंजी में पांच सवाल डिलीट किए गए हैं। जबकि चार सवालों के दो उत्तर सही माने गए हैं। इनमें से आठ प्रश्नों के उत्तरों का स्पष्ट प्रमाण प्रमाणिक पुस्तकों में है। आरोप था कि जब बुकलेट के अनुदेश में एक बबल को काला करने की बात कही गई है तो फिर दो उत्तर कैसे रखे जा सकते हैं?