चलता था सिक्का पर एक न चली

वुमेन कालेज कैम्पस में रेड के दौरान प्रियदर्शनी हास्टल के पांच कमरे तथा शताब्दी गल्र्स हास्टल के एक कमरे से कुल छह लड़कियों को गलत तरीके से रहते पाया गया। सोर्सेस का कहना है कि ये सभी हास्टल में जुगाड़ और सोर्स के दम पर जबरन कब्जा जमाए हुए थीं। जिन्हें अभी तक हास्टल एडमिनिस्ट्रेशन नहीं निकाल पा रहा था। लेकिन फ्राइडे को पहुंचे पुलिस बल के आगे उनकी एक नहीं चली और उन्हें बाहर निकाला गया। जिन लड़कियों को बाहर निकाला गया। अभी तक हास्टल में उनका सिक्का चलता रहा है।

दो seat पर एक साथ कब्जा

चीफ प्राक्टर प्रो। आरके उपाध्याय ने बताया कि प्रियदर्शनी हास्टल के कुछ कमरों में दो सीटों पर एक लड़की ही कब्जा जमाए हुए थी। उसे आगे से ऐसा न करने की हिदायद दी गई और कहा गया है कि वे नए लोगों को पूरा मौका दें। बाकी बचे कल्पना चावला, सरोजनी नायडू, महादेवी वर्मा और हाल आफ रेजिडेंस हास्टल वन में भी रैंडम चेकिंग की गई। लेकिन वहां कोई भी गलत ढंग से रहता नहीं पाया गया। मालूम हो कि ईयर 2012 में लम्बे समय के बाद पड़ी रेड में महिला हास्टल में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से लड़कियों को रहते पाया गया था। जिन्हें उस समय हास्टल से बाहर करना टेढ़ी खीर साबित हुआ था।

Monday से trust वालों की बारी

सैटरडे को हास्टल्स में रेड नहीं डाली जाएगी। इसके बाद संडे की छुट्टी पड़ेगी। मंडे को दोबारा से रेड डाली जाएगी। जिसमें अब ट्रस्ट के हास्टल्स में रेड डाले जाने की शुरुआत होगी। बता दें कि एयू आफिसर्स के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द ट्रस्ट के हास्टल ही हैं। जहां व्यापक स्तर पर इल्लीगल लड़के काबिज हैं। इनमें कई लोग आपराधिक प्रवृत्ति के भी हैं। डीएसडब्ल्यू प्रो। जगदम्बा सिंह ने बताया कि मंडे को केपीयूसी या हालैण्ड हाल में किसी एक में रेड पड़ेगी।

हर वर्ष डालनी होगी raid

उधर, अभी तक जितने भी हास्टल्स में रेड डाली गई है। वहां तकरीबन 200 के आसपास इल्लीगल तरीके से लोग रहते पाए गए हैं। जिससे यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि एयू एडमिनिस्ट्रेशन को अगर हास्टल्स को अराजकता से बचाना है तो उसे प्रत्येक वर्ष कार्रवाई को अंजाम देना पड़ेगा। वरना इस तरह की कवायदों का लांग टर्म में कोई नतीजा नहीं निकलेगा। ईयर 2012 में रेड पडऩे के बाद उस समय के तत्कालीन चीफ प्राक्टर प्रो। माता अम्बर तिवारी ने वादा किया था कि अब निरंतर अन्तराल में रेड डाली जाएगी। लेकिन ईयर 2013 के लास्ट तक ऐसा नहीं हो पाया। दिसम्बर 2013 से रेड की कार्रवाई शुरु भी हुई तो वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के डायरेक्शन पर ही सम्भव हो पाई।

Encroachment का विरोध

वुमेन हास्टल में रेड के दौरान कई छात्राओं ने हास्टल की दीवार से सटकर बाहर रोड पर अतिक्रमण करने वाले दुकानदारों का मसला भी उठाया। छात्राओं का कहना था कि इन दुकानों पर जमा शोहदे आए दिन उनके साथ छेड़छाड़ करते हैं। जिससे उनका आना जाना मुश्किल हो गया है। लड़कियों ने बताया कि अधिकतर दुकानदारों पर नए पुराने छात्रनेताओं और ठेकेदारों का वरदहस्त है।

चौबीस दिन से सुलग रही है आग

कैम्पस में रेड के दरम्यान आफिसर्स को एक और आश्चर्यजनक नजारा देखने को मिला। यहां एक नीम के पेड़ में लगी आग ने अभी तक बुझने का नाम नहीं लिया है। इस पेड़ में बीती एक जनवरी को अचानक से आग लग गई थी और लम्बा अरसा बीतने के बाद भी यह आग अभी तक पेड़ में अन्दर ही अन्दर सुलग रही है। लड़कियों ने जब आफिसर्स को यह बात बताई तो वे चौक पड़े और मौके पर जाकर पूरा नजारा देखा तो वे खुद ही भौचक्के रह गए। लड़कियों ने कहा कि जर्जर हो चुके इस पेड़ को पूरी तरह से कटवाने के लिए स्टेट अफसर को रिटेन में दिया भी गया है। लेकिन अभी तक उनकी ओर से इसे नहीं कटवाया गया। जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। बता दें कि जिस समय यह आग लगी थी। उसे बुझाने के लिए फायर बिग्रेड के कई दमकल लगाए गए थे।