प्रयागराज- । विशिष्ट रामकथा वक्ता वाराणसी के डा। मदन मोहन मिश्र दिव्य ने कहा कि राम की कृपा पाने के लिए मन को निर्मल करने की आवश्यकता है। दतिया की मानसविद साध्वी लीला भारती ने अंगद के प्रसंग को सुनाया। कहा कि रावण के दरबार में अपने पैर को धरती पर टिका कर उसे पृथ्वी से हटाने के लिए चुनौती दी। अंगद का यह विश्वास उनके साथ था कि राम उनकी लाज रखेंगे। उसका सम्मान रह जाएगा और हुआ भी यही। रावण के दरबारियों में कोई अंगद के पैर को पृथ्वी से नहीं हटा सका। रावण स्वयं यह करने के लिए जब उठा तो अंगद ने पैर खींच लिया। सलाह दी कि प्रभू राम की शरण में आ जाओ, कल्याण हो जाएगा। अध्यक्षता व संचालन लल्लूलाल गुप्त सौरभ ने किया।